Friday, March 29, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. पैसा
  3. बिज़नेस
  4. भारतीय ई-कॉमर्स कंपनियों की बिक्री तो बढ़ी, लेकिन बढ़ते घाटे से हैं सब परेशान

भारतीय ई-कॉमर्स कंपनियों की बिक्री तो बढ़ी, लेकिन बढ़ते घाटे से हैं सब परेशान

अच्‍छे रिजल्‍ट के लिए भारत में ई-कॉमर्स कंपनियां ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए आक्रामक तरीके से विज्ञापन कर रही हैं और भारी डिस्‍काउंट दे रही हैं।

Abhishek Shrivastava Abhishek Shrivastava
Updated on: December 28, 2016 18:41 IST
Bleeding:  भारतीय ई-कॉमर्स कंपनियों की बिक्री तो बढ़ी, लेकिन बढ़ते घाटे से हैं सब परेशान- India TV Paisa
Bleeding: भारतीय ई-कॉमर्स कंपनियों की बिक्री तो बढ़ी, लेकिन बढ़ते घाटे से हैं सब परेशान

नई दिल्‍ली। एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था में ई-कॉमर्स कंपनियां मुनाफे की सीढि़या चढ़ने से अभी भी काफी दूर हैं। इन कंपनियों में करोड़ों डॉलर्स निवेश करने वाले इन्‍वेस्‍टर्स अब अच्‍छे रिजल्‍ट का दवाब बना रहे हैं, ऐसे में फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसी कंपनियां ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए अभी भी आक्रामक तरीके से विज्ञापन पर पानी की तरह पैसे खर्च कर रही हैं और भारी डिस्‍काउंट दे रही हैं।

  • इससे अधिकांश ऑनलाइन रिटेलर्स के सेल्‍स कई गुना बढ़ने से रेवेन्‍यू में चालू वित्‍त वर्ष के अंत तक बड़ा उछाल आने की उम्‍मीद की जा रही है, लेकिन इसके साथ ही इन कंपनियों का घाटा भी काफी बढ़ चुका है।
  • उदाहरण के लिए, अमेजन ने बताया कि वित्‍त वर्ष 2015-16 के दौरान उसे भारत में 3,572 करोड़ रुपए (52.5 करोड़ डॉलर) का नुकसान हुआ है। यह आंकड़ा पिछले साल से दोगुना है।
  • इसका कारण भी स्‍पष्‍ट है। अमेजन ने भारत में इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर और टेक्‍नोलॉजी पर बहुत अधिक निवेश किया है, क्‍योंकि अमेरिका के बाद अमेजन के लिए भारत दूसरा सबसे बड़ा बाजार है।
  • भारत में अमेजन की प्रतिद्वंदी कंपनी फ्लिपकार्ट को भी भारी घाटा हो रहा है। वित्‍त वर्ष 2015-16 में कंपनी का घाटा बढ़कर दोगुना हो गया है।
  • दुनिया के सबसे तेजी से विकसित होते ई-कॉमर्स मार्केट में अपनी टॉप पोजीशन को बनाए रखने के लिए फ्लिपकार्ट ने विज्ञापन, लॉजिस्टिक और डिस्‍काउंट पर बहुत बड़ी धनराशि खर्च की है।
  • कई अन्‍य ऑनलाइन रिटेलर्स जैसे ई-बे, शॉपक्‍लूज और फर्स्‍टक्राय ने भी 2016 में रेवेन्‍यू में तो बढ़ोतरी दर्ज की लेकिन इनका घाटा भी बहुत अधिक बढ़ चुका है।

भारत में सभी ऑनलाइन कंपनियां अपनी वित्‍तीय जानकारी साझा नहीं करती हैं। लेकिन कुछ टॉप कंपनियां रजिस्‍ट्रार ऑफ कंपनीज को अपनी वित्‍तीय जानकारी देती हैं, आइए ऐसी ही कुछ कंपनियों की वित्‍तीय स्थिति पर डालते हैं एक नजर :

No

विशेषज्ञ कहते हैं कि इन कंपनियों को मुनाफे में आने में अभी कुछ वक्‍त लग सकता है, इनमें से अधिकांश जो यूनीकॉर्न हैं (मार्केट वैल्‍यू 1 अरब डॉलर से अधिक) वह मुनाफे में आएंगी। लेकिन यह बड़ा मुद्दा नहीं है।

एडवायजरी फर्म Greyhound Research के चीफ एनालिस्‍ट और सीईओ संचित वीर गोगिया कहते हैं कि,

मैं कंपनियों के इस घाटे से बिल्‍कुल चिंतित नहीं हूं। मैं वास्‍तव में इन कंपनियों द्वारा बेचे जाने वाले प्रोडक्‍ट्स की क्‍वालिटी और उनके प्रबंधन को लेकर चिंतित हूं। उदाहरण के लिए, मैं इस बात से काफी परेशान हूं कि यदि उनके प्रोडक्‍ट्स रिटर्न में बढ़ोतरी होती है, तो इससे उनकी लागत बढ़ेगी जिसके परिणामस्‍वरूप घाटा भी बढ़ेगा।

  • गोगिया के मुताबिक एक ऑनलाइन सेलर का प्रोडक्‍ट रिटर्न रेशियो कुल बिक्री का 10 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए।
  • यह आंकड़ा जितना अधिक होगा उस कंपनी का घाटा भी उसी अनुपात में बड़ा होता जाएगा।
  • विश्‍लेषक 2016 में ई-कॉमर्स के ओवरऑल ग्रोथ को लेकर भी चिंतित हैं।
  • इंडस्‍ट्री का अनुमान था कि 2020 तक भारत का ई-कॉमर्स मार्केट 60 से 100 अरब डॉलर के बीच पहुंच जाएगा।
  • लेकिन अब यह लक्ष्‍य काफी महात्‍वकांक्षी नजर आने लगा है।
  • ग्रोथ में कमी आने के कुछ कारण नो‍टबंदी और इलेक्‍ट्रॉनिक ट्रांजैक्‍शन व डिजिटल पेमेंट के यूजर बेस में सीमित ग्रोथ का होना है।
  • विशेषज्ञों का कहना है कि अभी तुरंत रिकवरी आना मुश्किल है, क्‍योंकि नोटबंदी का असर अगले साल अप्रैल-मई तक बने रहने की आशंका हर कोई जता रहा है।

Source: qz.com

Latest Business News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Business News in Hindi के लिए क्लिक करें पैसा सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement