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इंडियाबुल्स पर बड़ी कार्रवाई, सेबी ने कंपनी के अधिकारियों पर कुल 1.05 करोड़ का जुर्माना लगाया

बाजार नियामक सेबी ने बुधवार को इंडियाबुल्स वेंचर और उससे जुड़े कुछ व्यक्तियों पर बाजार नियमों का उल्लघंन करने के मामले में शुक्रवार को कुल 1.05 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published : May 22, 2021 10:56 IST
इंडियाबुल्स पर बड़ी...- India TV Paisa
Photo:FILE

इंडियाबुल्स पर बड़ी कार्रवाई, सेबी ने कंपनी के अधिकारियों पर कुल 1.05 करोड़ का जुर्माना लगाया 

नयी दिल्ली। बाजार नियामक सेबी ने बुधवार को इंडियाबुल्स वेंचर और उससे जुड़े कुछ व्यक्तियों पर बाजार नियमों का उल्लघंन करने के मामले में शुक्रवार को कुल 1.05 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया। कंपनी फिलहाल धानी सर्विसेज के नाम से काम कर रही है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इंडियाबुल्स की पूर्व गैर-कार्यकारी निदेशक पिया जॉनसन उनके पति मेहुल जॉनसन पर भेदिया कारोबार निषेध (पीआईटी) नियमों का उल्लंघन करने पर 25-25 लाख का जुर्माना लगाया है। 

नियामक ने मूल्य संबंधी अप्रकाशित संवेदनशील जानकारी जारी करने की अवधि के दौरान इस शेयर का कारोबार करने के मामले में उन पर यह जुर्माना लगाया है। पिया और मेहुल ने इससे 69.09 लाख रुपये का सामूहिक लाभ कमाया था। सेबी के अनुसार इस मामले की जांच जनवरी-नवंबर 2017 के बीच की गई। एक अन्य आदेश में सेबी ने इंडियाबुल्स वेंचर पर संबंधित अवधि में बाजार में शेयर की खरीद फरोख्त पर रोक की सूचना जारी न करने के लिए पचास लाख रुपये और उसके सचिव ललित शर्मा पर बाजार को कारोबार बंद रखने की निगरानी नहीं करने को लेकर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया। 

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निजी गारंटर के खिलाफ कार्रवाई कर सकेंगे बैंक

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र की उस अधिसूचना की वैधता को बरकरार रखा, जिसमें बैंकों को दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के तहत ऋण वसूली के लिए व्यक्तिगत गारंटरों के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुमति दी गई थी। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने कहा कि आईबीसी के तहत समाधान योजना की मंजूरी से बैंकों के प्रति व्यक्तिगत गारंटरों की देनदारी खत्म नहीं हो जाती। 

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न्यायमूर्ति भट ने फैसले के निष्कर्ष को पढ़ते हुए कहा, ‘‘फैसले में हमने अधिसूचना को बरकरार रखा है।’’ याचिकाकर्ताओं ने आईबीसी और अन्य प्रावधानों के तहत जारी 15 नवंबर 2019 की अधिसूचना को चुनौती दी थी, जो कॉरपोरेट देनदारों को व्यक्तिगत गारंटी देने वालों से संबंधित हैं। अधिसूचना की वैधता को बरकरार रखते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि किसी कंपनी के लिए दिवालिया समाधान योजना शुरू होने से व्यक्तियों द्वारा वित्तीय संस्थानों के बकाया भुगतान के प्रति दी गई कॉरपोरेट गारंटी खत्म नहीं होती। 

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