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दुनिया को अकेले नहीं बदल सकते सेंट्रल बैंक, भारतीय बाजार की ओर बढ़ेगा निवेशकों का रुझान

रघुराम राजन ने कहा सेंट्रल बैंक अकेले दुनिया को नहीं बदल सकते। सरकारों को विश्व अर्थव्यवस्था की दीर्घकालीन वृद्धि के लिए आधारभूत मसौदा तैयार करना चाहिए।

Abhishek Shrivastava Abhishek Shrivastava
Updated on: January 21, 2016 13:52 IST
दुनिया को अकेले नहीं बदल सकते सेंट्रल बैंक, भारतीय बाजार की ओर बढ़ेगा निवेशकों का रुझान- India TV Paisa
दुनिया को अकेले नहीं बदल सकते सेंट्रल बैंक, भारतीय बाजार की ओर बढ़ेगा निवेशकों का रुझान

दावोस। रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि मौद्रिक नीति अकेले दुनिया को नहीं बदल सकती है। सरकारों को विश्व अर्थव्यवस्था की दीर्घकालीन वृद्धि के लिए आधारभूत मसौदा तैयार करना चाहिए। उन्होंने चीन को लेकर चिंता को तवज्जो नहीं दी और कहा कि साम्यवादी देश के बारे में अच्छी चीज यह है कि वे अपनी आर्थिक समस्याओं के समाधान के लिए ताजा प्रयास करना जारी रखते हैं। शेयर बाजार में गिरावट और डॉलर के मुकाबले रुपए में कमजोरी को लेकर राज ने कहा, चीजें स्थिर होंगी और लोग भारत समेत अन्य देश को स्थिर उभरते बाजार के रूप में देखेंगे।

सेंट्रल बैंक नहीं कर सकते सभी चिंताओं का समाधान

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) की सालाना बैठक में रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि दुनिया भर की सरकारों को यह एहसास करने की जरूरत है कि कई ऐसे अन्य उपाय हैं जिसके जरिए सुधारों एवं वृद्धि को गति दी जा सकती है। उन्होंने कहा, दुनिया भर में अच्छी खबर यह है कि हमने यह माना है कि मौद्रिक नीति अकेले दुनिया को बदलने नहीं जा रही और सुधारों के लिये और बहुत कुछ करने की जरूरत है। राजन ने कहा, केवल समर्थ बनाना या शक्ति देना नहीं बल्कि वृद्धि के लिये आधारभूत मसौदा तैयार करना एक ऐसा माध्यम है जो हमें दूर तक ले जाएगा। हालांकि उन्होंने इस बारे में कुछ भी कहने से मना कर दिया कि क्या अमेरिकी फेडरल रिजर्व फिर से ब्याज दर में वृद्धि करेगा।

चीन बदलता रहा है अपने मॉडल

चीन को लेकर चिंता के बारे में राजन ने कहा कि चीन अपने मॉडल बदलता रहा है। वित्तीय संकट से पहले के मॉडल ने सही तरीके से काम नहीं किया। विभिन्न देशों में आतंकवादी घटनाएं और युद्ध जैसी स्थिति के बीच हो रही डब्ल्यूईएफ की बैठक में रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि युद्ध को आर्थिक वृद्धि को गति देने के अवसर के रूप में नहीं देखना चाहिए। जब उनसे पूछा गया था कि क्या देशों को युद्ध लड़ने के लिए युद्ध कोष बनाना चाहिए या ज्यादा मुद्रा की छपाई करनी चाहिए तो उन्होंने कहा, युद्ध वृद्धि के लिए अवसर सृजित नहीं करता लेकिन निश्चित रूप से यह जीडीपी को नुकसान पहुंचाता है।

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