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पूर्व गवर्नर के अनुसार RBI भंडार में हिस्‍सा लेना है खतरनाक, सरकार की कोशिश को बताया हताशा भरा

विदेशी बाजारों में सरकारी बांड जारी कर धन जुटाने के मामले में सुब्बाराव ने कहा कि यदि बाजार की गहराई मापने के लिए सरकारी बांड जारी किया जाता है तो उन्हें दिक्कत नहीं है

Edited by: India TV Paisa Desk
Published : Aug 02, 2019 06:20 pm IST, Updated : Aug 02, 2019 06:20 pm IST
Subbarao says raiding RBI reserves shows govts desperation- India TV Paisa
Photo:SUBBARAO

Subbarao says raiding RBI reserves shows govts desperation

मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव ने शुक्रवार को कहा कि केंद्रीय बैंक के अधिशेष भंडार को हड़पने की कोशिशों से सरकार की हताशा का पता चलता है। उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि केंद्रीय बैंक के अधिशेष भंडार का मूल्य तय करते हुए सजग रहने की जरूरत है। हालांकि, विदेशी बाजारों में सरकारी बांड जारी कर धन जुटाने के मामले में सुब्बाराव ने कहा कि यदि बाजार की गहराई मापने के लिए सरकारी बांड जारी किया जाता है तो उन्हें दिक्कत नहीं है, लेकिन विदेशी मुद्रा बाजार से नियमित रूप से धन जुटाने को लेकर सावधान रहने की जरूरत है।

उन्होंने सीएफए सोसायटी इंडिया के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि यदि दुनिया में कहीं भी एक सरकार उसके केंद्रीय बैंक की बैलेंस शीट को हड़पना चाहती है तो यह ठीक बात नहीं है। इससे पता चलता है कि सरकार इस खजाने को लेकर काफी व्यग्र है। सुब्बाराव ने केंद्रीय बैंक के अधिशेष भंडार में हिस्सा लेने के सरकार के प्रयासों पर अपने विरोध का बचाव करते हुए कहा कि रिजर्व बैंक के जोखिम अन्य केंद्रीय बैंकों से अलग हैं। उसके लिए पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय परंपराओं और नियमों का अनुसरण करना पूरी तरह से फायदेमंद नहीं होगा।

सुब्बाराव की टिप्पणी ऐसे समय आई है जब कहा जा रहा है कि विमल जालान समिति अपनी रिपोर्ट तैयार करने के अंतिम चरण में है। समिति रिजर्व बैंक की पर्याप्त पूंजी की पहचान करने तथा अतिरिक्त राशि सरकार को हस्तांतरित करने के तौर-तरीके के बारे में रिपोर्ट तैयार कर रही है। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल के इस्तीफे के लिए केंद्रीय बैंक के अधिशेष भंडार को लेकर सरकार और रिजर्व बैंक के बीच के खींचतान को मुख्य कारणों में से एक माना गया है।

सुब्बाराव ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय निवेशक सरकार और केंद्रीय बैंक दोनों के बैलेंसशीट पर गौर करते हैं। संकट के समय में ऋण देने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष भी इसी तरीके को अपनाती है। उन्होंने कहा कि मैं कहना चाहता हूं कि हमें बेहद सावधान रहना चाहिए तथा अधिशेष भंडार के हस्तांतरण के बारे में जो निर्णय लिया जाएगा उसपर विचार-विमर्श होना चाहिए।

कई विश्लेषकों ने रिजर्व बैंक के पास करीब नौ हजार अरब रुपए अधिशेष भंडार होने का अनुमान जताया है। यह मुख्य पूंजी का करीब 27 प्रतिशत है। विश्लेषकों का कहना है कि जालान समिति तीन साल की अवधि में डेढ़ से तीन हजार अरब रुपए भुगतान करने का सुझाव दे सकती है। सुब्बाराव ने आरबीआई की स्वायतता बनाए रखने की वकालत करते हुए कहा कि इसका दायरा सरकार को प्रभावित करने वाले तात्कालिक चुनावी दृष्टिकोण से परे बेहद विस्तृत है। हालांकि, उन्होंने अपने से पहले के गवर्नर वाई. वी. रेड्डी तथा ठीक उसके बाद के गवर्नर रघुराम राजन से इतर रुख अपनाते हुए कहा कि विदेश में बांड जारी कर बाजार की गहराई को परखना सरकार के लिए ठीक हो सकता है।

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