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वेदांता को मिले 41 तेल एवं गैस खोज ब्‍लॉक, OIL को 9 तथा ONGC को 2 ब्‍लॉक मिले

खनन क्षेत्र की दिग्गज अनिल अग्रवाल की अगुवाई वाली वेदांता लिमिटेड को देश में पहली खुली नीलामी में पेशकश किये गये 55 में से 41 तेल एवं गैस खोज ब्‍लॉक मिले हैं।

Edited by: India TV Paisa Desk
Updated : August 28, 2018 19:09 IST
Oil and Gas Block- India TV Paisa

Oil and Gas Block

नई दिल्ली खनन क्षेत्र की दिग्गज अनिल अग्रवाल की अगुवाई वाली वेदांता लिमिटेड को देश में पहली खुली नीलामी में पेशकश किये गये 55 में से 41 तेल एवं गैस खोज ब्‍लॉक मिले हैं। खोज एवं उत्पादन नियामक डीजीएच ने आज यह कहा। सार्वजनिक क्षेत्र की ऑयल इंडिया (ओआईएल) को 9 ब्‍लॉक मिले जबकि ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) को केवल दो ब्‍लॉक प्राप्त हुए हैं।

सार्वजनिक क्षेत्र की गेल, भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन लि. की खोज एवं उत्पादन इकाई तथा हिंदुस्तान ऑयल एक्सप्लोरेशन कंपनी (एचओईसी) को एक-एक ब्‍लॉक मिले। डीजीएच ने खुला क्षेत्र लाइसेंस नीति (ओएएलपी) चरण-1 के विजेताओं की सूची जारी करते हुए यह बात कही।

वेदांता ने सभी 55 ब्‍लॉक के लिए बोली लगायी। कंपनी ने इसमें से 41 ब्‍लॉक हासिल किए। अग्रवाल ने कहा कि हम इस अवसर का लाभ उठाने के लिए कठिन मेहनत करेंगे। हमारे देश में ऊर्जा की कमी है और ओएएलपी जैसी नीतियां देश की आयात पर निर्भरता कम करेंगी। देश अपनी जरूरतों का 80 प्रतिशत आयात करता है जो प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के मुताबिक 2022 तक घटकर 67 प्रतिशत पर आ जाएगी।

उन्होंने कहा कि इससे हमारा भारत में निवेश और घरेलू कच्चे तेल उत्पादन में 50 प्रतिशत योगदान का दृष्टिकोण मजबूत होगा।

2 मई को बोली समापन के दिन ओएनजीसी ने 37 ब्‍लॉक के लिये स्वयं से या अन्य सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के साथ मिलकर बोली लगायी थी। ओआईएल ने इसी तरह 22 ब्‍लॉक के लिए बोली लगायी थी। वेदांता दो ब्‍लॉक के लिए एकमात्र बोलीदाता थी और न तो ओएनजीसी और न ही ओआईएल अन्य ब्‍लॉक में सीधे तौर पर प्रतिस्पर्धी थी।

इस नीलामी में न तो रिलांयस इंडस्ट्रीज और न ही किस विदेशी कंपनी ने हिस्सा लिया। इस नीति के तहत कंपनियों को तेल एवं गैस की संभावना वाले उन क्षेत्रों के लिये रूचि पत्र देने की अनुमति है जहां कोई उत्पादन या खोज लाइसेंस नहीं दिए गए हैं।

भारत ने पिछले साल जुलाई में अपनी रुचि के हिसाब से ब्‍लॉक के लिए बोली लगाने की अनुमति दी थी। इसका मकसद देश में 28 लाख वर्ग किलोमीटर के उस क्षेत्र को खोज एवं उत्पादन के अंतर्गत लाना था जहां अभी कुछ नहीं हो रहा।

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