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  4. AI के जोखिमों को लेकर स्टीफन हॉकिंग भी जता चुके थे खतरा! जानिए नीति आयोग किस बात को लेकर है चिंतित

AI आने के बरसों पहले स्टीफन हॉकिंग ने बजा दी थी खतरे की घंटी! क्या मानव जाति का अंत करेगी ये तकनीक?

हमें स्टीफन हॉकिंग की बात भूलनी नहीं चाहिए कि पूर्ण आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का विकास आगे चलकर मानव जाति के अंत का भी सबब बन सकता है।

Sachin Chaturvedi Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: February 18, 2023 13:59 IST
AI आने के बरसों पहले...- India TV Paisa
Photo:FILE AI आने के बरसों पहले स्टीफन हॉकिंग ने बजा दी थी खतरे की घंटी!

भारत के नीति आयोग ने AI को लेकर एक बार फिर चिंता जताई है। इसी के साथ ही आयोग ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर सतर्कता बरतने की सलाह दी है। नीति आयोग के सदस्य वी के सारस्वत ने अगली पीढ़ी की तकनीक के विकास में सतर्कता बरतने का शुक्रवार को अनुरोध करते हुए कहा कि मशहूर भौतिकविद स्टीफन हॉकिंग पूर्ण आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के मानव जाति के अंत का सबब बनने की आशंका पहले ही जता दी थी। 

स्टीफन हॉकिंग ने जताया था खतरा

सारस्वत ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था के लिए इसके लाभ होने के साथ इसके विकास से जुड़े कुछ नियंत्रण एवं संतुलन स्थापित करने की भी जरूरत है। उन्होंने कहा, "हमें स्टीफन हॉकिंग की बात भूलनी नहीं चाहिए कि पूर्ण आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का विकास आगे चलकर मानव जाति के अंत का भी सबब बन सकता है। इंसान एक बार कृत्रिम बुद्धिमत्ता विकसित करता है और फिर वह बड़ी तेजी से खुद ही अपने-आप को नए सिरे से डिजाइन करने लगती है।" 

कौन थे स्टीफन हॉकिंग?

स्टीफन हॉकिंग ने ब्लैक होल की भौतिकी पर काम किया था। उन्होंने प्रस्तावित किया कि ब्लैक होल उप-परमाणु कणों का उत्सर्जन करेंगे जब तक कि वे अंततः विस्फोट न करें। उन्होंने सबसे ज्यादा बिकने वाली किताबें भी लिखीं, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम: फ्रॉम द बिग बैंग टू ब्लैक होल्स (1988) थी।

कितना बड़ा खतरा है एआई

नीति आयोग सदस्य ने कहा, "ऐसी स्थिति में जैविक विकास के क्रम में धीमी रफ्तार वाले इंसान उसका मुकाबला नहीं कर पाएंगे और उनकी जगह छीन ली जाएगी। हमें उस स्थिति के खिलाफ अभी ही अपना बचाव करना है।" उन्होंने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता के वर्ष 2035 तक भारतीय अर्थव्यवस्था में एक लाख करोड़ डॉलर का योगदान देने की संभावना है लेकिन इसी के साथ समाज पर भी इसका काफी असर देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि संभावित असर से जुड़े जोखिमों को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। इससे बचने के उपाय करने होंगे।

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