कर्ज के बोझ तले दबे पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से एक और राहत मिली है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने देश की नवीनतम समीक्षा को मंजूरी देते हुए 1.2 अरब डॉलर की नई किस्त जारी कर दी है। आर्थिक कुप्रबंधन और विदेशी मुद्रा भंडार में भारी गिरावट के चलते हाल ही में पाकिस्तान डिफॉल्टर होने से बाल-बाल बचा था। IMF की इस किस्त से उसे अस्थायी सहारा तो मिलेगा, लेकिन इसके बदले कड़े वित्तीय सुधार और सरकारी कंपनियों के निजीकरण जैसी शर्तों को पूरा करना पाकिस्तान के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के कार्यकारी बोर्ड के इस निर्णय से पाकिस्तान का आईएमएफ कार्यक्रम न केवल ट्रैक पर बना रहा, बल्कि उसे अपनी गंभीर आर्थिक चुनौतियों से निपटने में भी सहायता मिलेगी।
कितनी राशि जारी हुई?
IMF बोर्ड ने पाकिस्तान के 7 अरब डॉलर के एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (ईएफएफ) के तहत 1 अरब डॉलर और रेजिलिएंस एंड सस्टेनेबिलिटी फैसिलिटी (आरएसएफ) के तहत 200 मिलियन डॉलर जारी करने की मंजूरी दी। इससे दोनों कार्यक्रमों के तहत अब तक कुल वितरण लगभग 3.3 अरब डॉलर हो गया है। IMF ने बयान में कहा कि अनिश्चित वैश्विक माहौल में पाकिस्तान को आवश्यक है कि वह सतर्क नीतियां बनाए रखे, ताकि मैक्रोइकोनॉमिक स्थिरता को मजबूत किया जा सके और मध्यम अवधि में निजी क्षेत्र-नेतृत्व वाली सतत वृद्धि हासिल करने के लिए सुधारों को तेज किया जा सके।
पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर निजीकरण शुरू
आईएमएफ कार्यक्रम की शर्तों के तहत पाकिस्तान लगभग दो दशकों बाद पहली बड़ी निजीकरण प्रक्रिया पर भी काम कर रहा है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ़ ने पिछले सप्ताह कहा कि पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (पीआईए) में बहुमत हिस्सेदारी की नीलामी 23 दिसंबर को आयोजित की जाएगी। इस बिक्री में भाग लेने के लिए चार समूहों को शॉर्टलिस्ट किया गया है। पाकिस्तान ने IMF को गारंटी दी है कि वह निम्न सुधारों को जारी रखेगा। इनमें राजस्व बढ़ाना और सख्त मौद्रिक नीति बनाए रखना और सरकारी कंपनियों के निजीकरण को आगे बढ़ाना और हालिया बाढ़ जैसी जलवायु-जनित आपदाओं से निपटने के लिए मजबूत कदम उठाना शामिल है।






































