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देश के विदेशी मुद्रा भंडार की बढ़ी रौनक, 7 दिनों में 2.82 अरब डॉलर बढ़ा, जानें टोटल फिगर

8 दिसंबर को खत्म सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा विदेशी मुद्रा आस्तियां 3.08 अरब डॉलर बढ़कर 536.69 अरब डॉलर हो गई।

Sourabha Suman Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Updated on: December 15, 2023 20:23 IST
विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश की इकोनॉमी की क्षमता को दर्शाने का एक संकेत होता है।- India TV Paisa
Photo:FILE विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश की इकोनॉमी की क्षमता को दर्शाने का एक संकेत होता है।

देश के विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी दर्ज की गई है। बीते 8 दिसंबर को खत्म हुए सप्ताह में 2.82 अरब डॉलर बढ़कर 606.86 अरब डॉलर हो गया। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। इससे पिछले सप्ताह देश का कुल मुद्रा भंडार 6.11 अरब डॉलर बढ़कर 604.04 अरब डॉलर हो गया था। भाषा की खबर के मुताबिक, इससे पहले अक्टूबर 2021 में, देश का विदेशी मुद्राभंडार 645 अरब डॉलर के अब तक के सबसे ऊंचे लेवल पर पहुंच गई थी।

विदेशी मुद्रा आस्तियां  3.08 अरब डॉलर बढ़ीं

खबर के मुताबिक, पिछले साल से ग्लोबल एक्टिविटीज के चलते दबाव के बीच भारतीय रिजर्व बैंक ने रुपये की विनिमय दर बनाए रखने के लिए मुद्रा भंडार का इ्स्तेमाल किया। इससे मुद्रा भंडार प्रभावित हुआ। रिजर्व बैंक के साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक, 8 दिसंबर को खत्म सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा विदेशी मुद्रा आस्तियां 3.08 अरब डॉलर बढ़कर 536.69 अरब डॉलर हो गई।

स्वर्ण भंडार का मूल्य 19.9 करोड़ डॉलर घटा

डॉलर में अभिव्यक्त की जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियों में यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में घट-बढ़ के प्रभावों को शामिल किया जाता है। हालांकि इसके उलट, आरबीआई के मुताबिक, स्वर्ण भंडार का मूल्य 19.9 करोड़ डॉलर घटकर 47.13 अरब डॉलर रह गया। विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 6.3 करोड़ डॉलर घटकर 18.19 अरब डॉलर रह गया।

आलोच्य सप्ताह (8 दिसंबर को खत्म हुए सप्ताह) में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास रखा देश का मुद्रा भंडार 1.1 करोड़ डॉलर घटकर 4.84 अरब डॉलर रह गया। विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश की इकोनॉमी की क्षमता को दर्शाने का एक संकेत होता है। ज्यादातर विदेशी मुद्रा भंडार अमेरिकी डॉलर में रिजर्व किए जाते हैं, क्योंकि अमेरिकी डॉलर की वैल्यू बाकी करेंसी के मुकाबले सबसे ज्यादा है। बढ़ता विदेशी मुद्रा भंडार देश के बाहरी और  आंतरिक वित्तीय मुद्दों के मैनेजमेंट में सरकार और आरबीआई को सुविधा प्रदान करता है।

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