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Sakhalin : रूस की दोस्ती से भारत को हुआ एक और बड़ा फायदा, तेल और गैस में जल्द मिल सकती है खुशखबरी

सखालिन-1 ओवीएल के लिए काफी फायदेमंद है और इस परियोजना के बिना कंपनी घाटे में चल रही इकाई होगी। रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के बाद एक्सॉन मोबिल कॉर्प ने परियोजना से बाहर निकलने का फैसला किया था।

Sachin Chaturvedi Edited By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: October 18, 2022 17:27 IST
Putin And PM Modi- India TV Paisa
Photo:FILE Putin And PM Modi

Highlights

  • OVL ने सखालिन-1 तेल और गैस परियोजना में 20% हिस्सेदारी फिर से लेने की पेशकश की
  • पुतिन ने अमेरिकी कंपनी एक्सॉनमोबिल की सहायक इकाई - एक्सॉन नेफ्टेगाज को भंग कर दिया
  • ओवीएल वर्ष 2001 में इस परियोजना का हिस्सा बनी थी 2005 में यहां से तेल उत्पादन शुरू

यूक्रेन और रूस के युद्ध (Russia Ukraine War) सिर्फ महंगाई लेकर ही नहीं आया है, वहीं इस संघर्ष के बाद से दुनिया दो धड़ों में बंट चुकी है। रूस पर 1300 से अधिक प्रतिबंध लग चुक हैं। युद्ध के दौरान रूसी तेल और गैस की भूमिका भी अहम रही है। दुनिया से अलग थगल पड़ने के बीच रूस का पुराना रणनीतिक साझीदार भारत अमेरिका के विरोध के बाद भी बीते 8 महीनों में रूसी तेल का बड़ा खरीदार बना हुआ है। 

वहीं अब भारतीय कंपनी ओएनजीसी विदेश (ONGC Videsh) जल्द रूस के सखालिन-1 तेल एवं गैस क्षेत्र में 20 प्रतिशत की हिस्सेदारी लेने की तैयारी में हैं। सरकारी कंपनी ओएनजीसी की विदेशी शाखा ओएनजीसी विदेश लिमिटेड (OVL) ने सुदूर पूर्व में रूस की सखालिन-1 तेल और गैस परियोजना में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी फिर से लेने की पेशकश की है। 

अमेरिकी कंपनी को पुतिन ने किया आउट 

अमेरिका लगातार रूस पर शिकंजा कस रहा है। इसके उलट रूस भी बदले की कार्रवाई कर रहा है। इस बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस महीने की शुरुआत में सखालिन-1 के परिचालक के रूप में अमेरिकी कंपनी एक्सॉनमोबिल की क्षेत्रीय सहायक इकाई - एक्सॉन नेफ्टेगाज को भंग कर दिया था। इसी के साथ ही परियोजना तथा इसकी सभी संपत्तियों को एक नए परिचालक को स्थानांतरित कर दिया था। परियोजना के अन्य पूर्व विदेशी शेयरधारकों को अपनी हिस्सेदारी हासिल करने के लिए रूसी सरकार के पास आवेदन करना होगा। इन हिस्सेदारों में OVL भी शामिल है। 

ओवीएल ले सकती है 20 प्रतिशत हिस्सेदारी

मामले से जुड़े तीन सूत्रों ने बताया कि ओवीएल परियोजना में अपनी 20 फीसदी हिस्सेदारी हासिल करने के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया में है। एक सूत्र ने कहा, ''हम हिस्सेदारी बरकरार रखना चाहते हैं और स्थानीय कानून के मुताबिक हम वह सब करेंगे, जो हमें करने की जरूरत है।'' एक अन्य सूत्र ने कहा कि सखालिन-1 ओवीएल के लिए काफी फायदेमंद है और इस परियोजना के बिना कंपनी घाटे में चल रही इकाई होगी। रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के बाद एक्सॉन मोबिल कॉर्प ने परियोजना से बाहर निकलने का फैसला किया था। 

ओवीएल 2001 से है परियोजना का हिस्सा

एक्सॉन मोबिल की सखालिन-1 तेल क्षेत्र में 30 प्रतिशत हिस्सेदारी थी, जबकि ओवीएल के पास 20 प्रतिशत हिस्सा था। इस तेल क्षेत्र से वर्ष 2021 में औसतन 2.27 लाख बैरल तेल का प्रतिदिन उत्पादन हुआ था। ओवीएल वर्ष 2001 में इस परियोजना का हिस्सा बनी थी। एक्सॉन मोबिल ने वर्ष 2005 में यहां से तेल उत्पादन शुरू किया था। 

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