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बैंकों ने FD पर घटाया ब्याज लेकिन कॉरपोरेट एफडी पर मिल रहा 9.40% तक इंटरेस्ट, जानें कैसे निवेश करें

बैंक एफडी और कॉरपोरेट एफडी दूसरा अंतर सुरक्षा होती है। बैंक एफडी में 5 लाख रुपये तक का इंश्योरेंस दिया जाता है। अगर बैंक डूब जाता है तो एफडी कराने वाले निवेशक को पैसा दिया जाता है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Apr 19, 2025 8:11 IST, Updated : Apr 19, 2025 8:15 IST
Corporate FD
Photo:FILE कॉरपोरेट एफडी

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा रेपो रेप में लगातार दूसरी बार कटौती करने के बाद से बैंकों ने फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर ब्याज घटाया है। इसका असर निवेशकों पर होगा। उनको एफडी पर मिलने वाला रिटर्न कम हो जाएगा। ऐसे में अगर आप अब एफडी करने की सोच रहे हैं तो अभी भी मौके खत्म नहीं हुए हैं। आप कॉरपोरेट एफडी का विकल्प चुन सकते हैं। कॉरपोरेट एफडी पर अभी भी 9.40% तक ब्याज मिल रहा है। आखिर क्या होता है कॉरपोरेट एफडी और कैसे इसमें निवेश कर सकते हैं। किन बातों का रखें ख्याल। आइए आपको पूरी जानकारी देते हैं। 

कंपनी का नाम क्रेडिट रेटिंग ब्याज दर (सामान्य) वरिष्ठ नागरिकों के लिए ब्याज दर निवेश अवधि
श्रिराम फाइनेंस ICRA AA+ अधिकतम 8.80% अधिकतम 9.40%* 1 से 5 वर्ष
बजाज फाइनेंस लिमिटेड CRISIL FAAA अधिकतम 8.35% अधिकतम 8.60% 1 से 5 वर्ष
महिंद्रा फाइनेंस CRISIL AAA अधिकतम 8.10% अधिकतम 8.35% 1 से 5 वर्ष
मुथूट कैपिटल सर्विसेस CRISIL A+ अधिकतम 8.38% अधिकतम 8.88% 1 से 5 वर्ष
पीएनबी हाउसिंग फाइनेंस CRISIL AA+ अधिकतम 8.00% अधिकतम 8.30% 1 से 10 वर्ष
आईसीआईसीआई होम फाइनेंस CRISIL AAA अधिकतम 7.80% अधिकतम 8.05% 1 से 10 वर्ष
एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस CRISIL AAA अधिकतम 7.75% अधिकतम 8.00% 1 से 5 वर्ष

क्या होती है कॉरपोरेट एफडी?

कॉरपोरेट एफडी या कंपनी फिक्स्ड डिपॉडिट नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी यानी एनबीएफसी कंपनियों की ओर से जारी की जाती है। साधारण शब्दों में इसे कंपनी डिपॉजिट भी कहा जाता है। इसमें भी बैंक एफडी की तरह एक फिक्स्ड ब्याज दर निवेशकों को दी जाती है। इसकी अवधि कुछ महीनों से लेकर वर्षों तक हो सकती है। आरबीआई द्वारा मान्यता प्राप्त एनबीएफसी कंपनियां ही कॉरपोरेट एफडी में डिपॉजिट स्वीकार कर सकती है। 

बैंक और कॉरपोरेट एफडी में क्या है अंतर? 

बैंक एफडी और कॉरपोरेट एफडी में सबसे बड़ा अंतर यह है कि कॉरपोरेट एफडी एनबीएफसी की ओर से जारी होने के कारण इसमें ब्याज दर अधिक होता है, जिससे कि बैंक में एफडी कराने वाले निवेशक कॉरपोरेट एफडी की ओर अधिक आकर्षित होता हो। ब्याज दर में यहां बैंक एफडी की तरह समय सीमा की अहम भूमिका होती है। 

बैंक एफडी और कॉरपोरेट एफडी दूसरा अंतर सुरक्षा होती है। बैंक एफडी में 5 लाख रुपये तक का इंश्योरेंस डीआईसीजीसी की ओर से दिया जाता है। ऐसे में अगर बैंक डूब जाता है तो एफडी कराने वाले निवेशक को पैसा डीआईजीसी की ओर से दे दिया जाएगा। वहीं, कॉरपोरेट एफडी में ऐसा कोई भी इंश्योरेंस नहीं मिलता है। अगर एनबीएफसी कंपनी डूब जाती है तो आपका पैसा भी इसके साथ डूब जाता है। 

निवेश से पहले रेटिंग जरूर चेक करें 

कॉर्पोरेट एफडी में निवेश करने से पहले पहले कॉर्पोरेट्स की तुलना करना बेहतर है और जांच लें कि क्या उनके पास केयर, क्रिसिल और आईसीआरए की बेहतर रेटिंग है। AAA रेटिंग सबसे अच्छी मानी जाती है। निवेशकों को कंपनी के लाभ और नुकसान का  ट्रैक रिकॉर्ड भी देखना चाहिए। अधिकांश बैंक समय से पहले निकासी के लिए एफडी निवेशकों पर पेनाल्टी लगाते हैं। यह आमतौर पर निवेश के लगभग 3 महीने बाद होता है। 

डिस्क्लेमर: यह आर्टिकल सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी प्रकार के निवेश से पहले या वित्तीय जोखिम लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह जरूर लें। इंडिया टीवी किसी भी प्रकार के जोखिम के लिए उत्तरदायी नहीं होगा।

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