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नए साल पर कपड़े और जूते होंगे महंगे, 1 जनवरी से ऑनलाइन शॉपिंग की डिलीवरी पर भी कटेगी जेब

टैक्स के नए बदलाव लागू होने के बाद नए साल में फुटवियर और टेक्सटाइल सेक्टर में इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर में करेक्शन होने जा रहा है।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: December 28, 2021 13:29 IST
नए साल पर कपड़े और जूते...- India TV Paisa
Photo:PIXABAY

नए साल पर कपड़े और जूते होंगे महंगे, 1 जनवरी से ऑनलाइन शॉपिंग की डिलीवरी पर भी कटेगी जेब

Highlights

  • 1 जनवरी 2022 से जीएसटी के नियमों में कई बड़े बदलाव
  • जूतों और कपड़ों पर टैक्स की मार पड़ सकती है
  • ऑनलाइन शॉपिंग की डि​लीवरी पर भी टैक्स लगेगा

GST के नए नियम: अगर आपको कपड़े या जूतों की शॉपिंग करनी है और आप नए साल पर बाजार जाने की सोच रहे हैं तो यह खबर आपके फायदे के लिए है। दरअसल 1 जनवरी 2022 से गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के नियमों में कई बड़े बदलाव हो रहे हैं। इसके तहत जूतों और कपड़ों पर टैक्स की मार पड़ सकती है और ये महंगे हो सकते हैं। 

दूसरी ओर अब ऑनलाइन शॉपिंग की डि​लीवरी पर भी टैक्स लगेगा, जिससे अमेजन और ​फ्लिपकार्ट से सामान मंगाना महंगा हो जाएगा। ऐसे में यह तय मानिए कि नया साल आपकी जेब में महंगाई के कुछ नए सुराख करने की पूरी तैयारी कर चुका है। 

कपड़े जूते महंगे

टैक्स के नए बदलाव लागू होने के बाद नए साल में फुटवियर और टेक्सटाइल सेक्टर में इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर में करेक्शन होने जा रहा है। यह बदलाव शनिवार 1 जनवरी से लागू होगा। नए नियम के तहत सभी फुटवियर प्रोडक्ट पर 12 फीसदी जीएसटी लगेगा, जबकि कॉटन को छोड़कर सभी टेक्सटाइल प्रोडक्ट पर 12 फीसदी जीएसटी लगेगा।

डिलीवरी पर 5 प्रतिशत टैक्स

GST के नए नियम के तहत होने वाले बदलाव में ई-कॉमर्स ऑपरेटर पर पैसेंजर ट्रांसपोर्ट या रेस्टोरेंट सर्विसेज के माध्यम से प्रदान की जाने वाली सेवाओं पर टैक्स का भुगतान करने की जिम्मेदारी डाली गई है। जीएसटी कानून में संशोधन किया गया है ताकि जीएसटी अधिकारियों को बिना किसी पूर्व कारण बताओ नोटिस के कर बकाया की वसूली के लिए परिसर का दौरा करने की अनुमति दी जा सके।

ओला उबर पर भी पड़ेगा असर

नए टैक्स नियम के मुताबिक वे ऑटो-रिक्शा चालक जो कैश के जरिए पैसेंजर ट्रांसपोर्ट सर्विस देते हैं, उन्हें टैक्स के दायरे से बाहर रखा जाएगा। लेकिन ओला उबर की तर ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के माध्यम से प्रदान की जाने वाली सेवाओं पर नए साल में 5 फीसदी टैक्स लगेगा।

स्विगी और जोमेटो की बढ़ी जिम्मेदारी

स्विगी और जोमेटो जैसे फूड एग्रीगेटर पर यह जिम्मेदारी है कि उनके द्वारा दी जाने वाली रेस्तरां सेवा के बदले वे जीएसटी की रकम जुटाएं और उसे सरकार के पास जमा कराएं। ऐसी सेवाओं के बदले उन्हें बिल भी जारी करने होंगे। इससे फूड मंगाने वाले ग्राहकों पर कोई अतिरिक्त भार नहीं आएगा क्योंकि रेस्तरां पहले से ही जीएसटी वसूल रहे हैं। बदलाव सिर्फ इतना हुआ है कि कर जमा करवाना और बिल जारी करने की जिम्मेदारी अब खाद्य पदार्थ आपूर्ति करने वाले प्लेटफॉर्म पर आ गई है।

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