नई दिल्ली। अक्सर डेबिट या एटीएम कार्ड का पासवर्ड हम अपने जीवनसाथी या कभी कभार दोस्तों के साथ साझा करते हैं। कभी एटीएम से पैसे निकालने के लिए तो कभी ऑनलाइन शॉपिंग के लिए। अगर आपने अपने दोस्त या किसी रिश्तेदार को अपना एटीएम कार्ड और पासवर्ड पैसे निकालने के लिए दिया है तो यह आपको काफी महंगा पड़ सकता है। बैंक भुगतान करने से साफ मना कर सकता है। बैंकों का कहना है कि एटीएम कार्ड नॉन-ट्रांसफरेबल या अहस्तांतरणीय चीज है और खाताधारक के अलावा किसी भी व्यक्ति को इसका इस्तेमाल करने का अधिकार नहीं है।
इकॉनोमिक टाइम्स ने बेंगलुरू की एक महिला के साथ ऐसी ही घटना के बारे में रिपोर्ट किया है। दरअसल, यह घटना 2013 की है। वह महिला मातृत्व अवकाश पर थी और उसने अपने पति को एटीएम कार्ड और उसका पासवर्ड देकर 25000 रुपए निकालने के लिए भेजा था। SBI के एटीएम में स्वाइप करने के बाद उसके पति को पैसे नहीं मिले। एक स्लिप मिला जिस पर लिखा था कि खाते से पैसे निकल चुके हैं। अब शुरू हुई कानूनी लड़ाई जो तीन साल तक चली और अंत में महिला की हार हुई क्योंकि बैंकों के अनुसार एटीएम कार्ड अहस्तांतरणीय चीज है।
सबसे पहले एसबीआई से इसकी शिकायत की गई और कुछ ही दिनों में बैंक ने यह कहकर मामला रफा-दफा कर दिया कि एटीएम कार्ड अहस्तांतरणीय है। फिर उस महिला ने बैंकिंग लोकपाल और उपभोक्ता फोरम में इसकी शिकायत की। उस एटीएम के सीसीटीवी फुटेज मंगवाए गए। फुटेज में दिखा कि महिला के पति उसके एटीएम कार्ड से पैसे निकालने पहुंचे थे और पैसे नहीं निकले। जांच के आधार पर बैंक ने साफ कहा कि इस फुटेज में एटीएम कार्ड का वास्तविक धारक नहीं है। उपभोक्ता कोर्ट ने भी कहा कि अगर पैसे निकालने ही थे तो महिला को अपने पति को चेक देना चाहिए था ताकि वह बैंक जाकर पैसे निकाल लाते। महिला को अपना एटीएम कार्ड और पिन अपने पति के साथ साझा नहीं करना चाहिए था। और, इस प्रकार उपभोक्ता अदालत ने भी इस मामले को रफा-दफा कर दिया।