भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) आर्थिक वृद्धि को रफ्तार देने के लिए नीतिगत दर में लगातार छठवीं बार कटौती कर सकता है।
विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट और कृषि क्षेत्र में पिछले साल के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन से चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत पर रह गयी।
एसबीआई ने कहा है कि ऑटो सेक्टर में कमजोर मांग, एयर ट्रैफिक घटने, कोर सेक्टर की कमजोर वृद्धि दर और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में निवेश घटने से चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में देश की जेडीपी वृद्धि दर घटकर 4.2 प्रतिशत रह सकती है।
आईएमएफ ने मोदी सरकार के कॉरपोरेट टैक्स में कटौती के फैसले की सराहना की है, साथ ही कहा है कि कॉरपोरेट टैक्स में कटौती की वजह से देश में निवेश बढ़ेगा।
वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में सुस्ती के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर पड़ा है। इसके बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था अब भी व्यापक संभावनाओं के साथ तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनी हुई है।
आईएमएफ के बाद अब विश्व बैंक ने रविवार को चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत का ग्रोथ रेट अनुमान घटा दिया है। विश्व बैंक के मुताबिक, भारत की विकास दर 6 फीसदी रह सकती है।
मूडीज इंवेस्टर्स सर्विस ने 2019-20 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर का अनुमान 6.20 प्रतिशत से घटाकर बृहस्पतिवार को 5.80 प्रतिशत कर दिया।
इससे पहले जुलाई में एडीबी ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए अपने वृद्धि दर अनुमान को घटाकर सात प्रतिशत किया था।
धीमी वैश्विक वृद्धि और देश में कमजोर मानसून के बीच आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 7.1 प्रतिशत से घटाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया है।
चीन की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार इस साल की दूसरी तिमाही में करीब तीन दशक के सबसे निम्न स्तर 6.2 प्रतिशत पर रही।
रिजर्व बैंक ने घरेलू गतिविधियों में नरमी तथा वैश्विक स्तर पर व्यापार युद्ध बढ़ने के मद्देनजर चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिए आर्थिक वृद्धि दर अनुमान को गुरुवार को कम कर 7 प्रतिशत कर दिया है।
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने जीडीपी और रोजगार से जुड़े तमाम आंकड़े शुक्रवार को जारी कर दिए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि नीतिगत दर में कटौती तथा किसानों को सरकार से आय समर्थन मिलने के कारण घरेलू मांग में तेजी आएगी, जिससे देश की आर्थिक वृद्धि दर बढ़कर 2019 में 7.20 प्रतिशत और 2020 में 7.30 प्रतिशत पर पहुंच जाएगी।
रेटिंग एजेंसी फिच ने बृहस्पतिवार को चालू वित्त वर्ष के लिये भारत की जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को 7.8 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया।
भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में 7.1 प्रतिशत रही, जो तीन महीने का निचला स्तर है।
विनिर्माण गतिविधियों में तेजी आने से वित्त वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत दर्ज की गई।
श्विक वित्तीय सेवा कंपनी HSBC के अनुसार 2018-19 में जीडीपी वृद्धि दर 2017-18 के 6.5 प्रतिशत वृद्धि दर के मुकाबले बढ़कर 7.0 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चौथी तिमाही में GDP की ग्रोथ रेट में गिरावट के पीछे नोटबंदी का प्रभाव होने की बात को नकारते हुए कहा कि इसके कई अन्य कारण भी हैं।
नोटबंदी का आर्थिक गतिविधियों पर फौरी असर होने के बीच क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ICRA ने GDP ग्रोथ रेट संबंधी अपना अनुमान 0.40% घटाकर 7.5 प्रतिशत कर दिया है।
भारत की आर्थिक वृद्धि चालू वित्त वर्ष के दौरान अच्छे मानसून और विनिर्माण में तेजी के साथ आठ फीसदी को पार कर जाएगी।
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