डिजिटल करेंसी भारत में हमेशा से ही चर्चा का विषय रही है। कारण है क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन को लेकर सख्ती। लेकिन अब RBI की तरफ से डिजिटल करेंसी पेश की जा रही है। जाहिर है यह कदम भारत के कई सेक्टर्स को नई दिशा देगा। तो चलिए जानते है
वर्ष 2016 में मौद्रिक नीति निर्धारण के एक व्यवस्थित ढांचे के रूप में MPC का गठन किया गया था। उसके बाद से MPC ही नीतिगत ब्याज दरों के बारे में निर्णय लेने वाली सर्वोच्च इकाई बनी हुई है।
Next Week Market: भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की विशेष बैठक से कंपनियों के तिमाही नतीजे और अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों पर निर्णय जैसे घटनाक्रमों से इस सप्ताह भारतीय शेयर बाजारों की दिशा तय होगी।
डिजिटल करेंसी भारत में हमेशा से ही चर्चा का विषय रही है। कारण है क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन को लेकर सख्ती। लेकिन अब आरबीआई की तरफ से डिजिटल करेंसी पेश करने की बात हो रही है। जाहिर है यह कदम भारत के कई सेक्टर्स को नई दिशा देगा। तो चलिए जानते हैं कि डिजिटल करेंसी क्या होती है और इसके क्या फायदे हैं।
जानकारों का कहना है कि इस बैठक में महंगाई को काबू करने के लिए आरबीआई सख्त फैसले ले सकता है। एक बार ब्याज दरों में और बड़ी बढ़ोतरी की जा सकती है।
सभी के मन में यह भी सवाल उठता है कि भारत में करेंसी नोट पर छपने वाली तस्वीरें कौन तय करता है और इससे जुड़े नियम एवं कानून क्या हैं।
रिजर्व बैंक की तरफ से एक डिजिटल मुद्रा लाने की योजना के बारे में पूछे जाने पर गोयल ने कहा कि इससे नकदी के इस्तेमाल में कमी का मकसद पूरा हो सकेगा।
खुदरा मुद्रास्फीति सितंबर में बढ़कर 7.41 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह लगातार नौंवां महीना रहा जब मुद्रास्फीति आरबीआई के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर बना हुआ है।
रिजर्व बैंक अधिनियम के तहत अगर मुद्रास्फीति के लिये तय लक्ष्य को लगातार तीन तिमाहियों तक हासिल नहीं किया गया है, तो आरबीआई को केंद्र सरकार को रिपोर्ट देकर उसका कारण और महंगाई को रोकने के लिये उठाये गये कदमों के बारे में विस्तार से जानकारी देनी होगी।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को कहा कि वह जल्द ही विशिष्ट उपयोग के लिए ई-रुपये की पायलट आधार पर पेशकश करेगा। केंद्रीय बैंक भारत में डिजिटल मुद्रा का परीक्षण कर रहा है।
आरबीआई ने रूस-यूक्रेन युद्ध से पैदा हुए चुनौतीपूर्ण वैश्विक भू-राजनीतिक हालात के बीच चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए अपने मुद्रास्फीति के अनुमान को 6.7 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।
विदेशी ब्रोकरेज क्रेडिट सुइस ने एक रिपोर्ट में कहा है कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं में कमजोर बाहरी मांग और डॉलर की मजबूती से विकास पर असर पड़ेगा।
आरबीआई ने ग्राहकों की वित्तीय सुरक्षा को बढ़ाने के लिए एक अक्टूबर से भुगतान कार्डों को टोकन में बदलना अनिवार्य कर दिया है
अर्थव्यवस्था में मजबूती के संकेत से निवेशकों का भरोसा फिर से लौटा। इससे बाजार में जोदार तेजी देखने को मिली।
जानकारों का कहना है कि सस्ते और मध्यम खंड के घरों की बिक्री पर इसका असर अधिक दिखाई देगा। बैंक रेपो दर में इजाफे का धीरे-धीरे करके ग्राहकों पर डालेंगे।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिये आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर सात प्रतिशत कर दिया।
आरबीआई द्वारा भारतीय जीडीपी को लेकर मजबूती के संकेत देने के बाद बाजार में तेजी देखने को मिल रही है।
अब जब रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी की घोषणा कर दी है तो ऐसे में अब यह तय माना जा रहा है कि देश के प्रमुख बैंक भी आज या कल में ब्याज दरें बढ़ा देंगे।
आरबीआई ने कहा कि रुपये की चाल अमेरिकी डॉलर के मुकाबले सही। इस साल 28 सितंबर तक सिर्फ 7.4 प्रतिशत की गिरावट हुई।
रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी होने से रिजर्व बैंक की तरफ से बैंकों को लोन महंगी दर पर मिलेगा। इस प्रकार बैंक भी इस बढ़ी लागत को ग्राहकों से वसूलेंगे जिससे कर्ज लेने की दरें महंगी हो जाएंगी।
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