गोयल ने कहा कि जिंसों के दाम, मुद्रास्फीति, पोत परिवहन तथा कंटेनर की कमी को लेकर चुनौतियां हैं।
शक्तिकांत दास ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद उच्च विदेशी मुद्रा भंडार और चालू खाते का घाटा निचले स्तर पर होने से अर्थव्यवस्था बेहतर स्थिति में है।
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की परिस्थितियों में कच्चे तेल के दामों में बढ़ोतरी का प्रभाव दुनियाभर में देखा जा रहा है। भारत भी इसके प्रभाव से अछूता नहीं है। जानिए क्या और कैसे पड़ता है इसका प्रभाव।
सूत्र ने कहा कि रूस से एमएफएन का दर्जा वापस लेने के लिए हर देश को अपनी राष्ट्रीय प्रक्रियाओं का पालन करना होगा।
कई रूसी बैंकों के लिए स्विफ्ट तक पहुंच को रोकना चिंताजनक है। रूस भारतीय चाय का सबसे बड़ा आयातक है।
रूस यूक्रेन युद्ध से सिर्फ तेल ही नहीं, खाने-पीने खेती गैस सीमेंट ऐसी फ्रिज की महंगाई से 25 प्रतिशत तक बढ़ेंगे आपके खर्चे
स्विफ्ट वैश्विक भुगतान प्रणाली से रूसी बैंकों को बाहर करने के बाद सोमवार तड़के अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रूबल लगभग 26 प्रतिशत टूट गया था।
बीते सप्ताहांत अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के साथ ही जापान ने भी रूस के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंधों में बढ़ोतरी की।
दरअसल इसका कारण सूरजमुखी का तेल (Sunflower Oil) है। भारतीय रसोई घरों में प्रमुखता से प्रयोग में आने वाले सूरजमुखी के तेल का आयात यूक्रेन से ही होता है।
रूसी मुद्रा रूबल में तेज गिरावट आई और यह 10% गिरकर एक नए सर्वकालिक निचले स्तर पर आ गई।
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर सोने का भाव 51,500 प्रति दस ग्राम पहुंच गया है। वहीं, चांदी की कीमत 65,500 प्रति किलोग्राम पहुंच गई है।
Russia Ukraine News: यूक्रेन संकट पड़ेगा आम भारतीय की जेब पर भारी, आटे-दाल से लेकर पेट्रोल-मोबाइल तक सब कुछ होगा महंगा
क्रूड की तरह ही गैस पर भी संकट के बाद मंडरा रहे हैं। पेट्रोल डीजल से इतर गैस भी आपकी जेब को खाक करने की तैयारी में है।
रूस और यूक्रेन के बीच संकट से मार्केट पहले ही भारी गिरावट देख चुका है। युद्ध के आगाज़ के साथ ही बाजार में एक और बड़ी गिरावट आई है।
बता दें कि रूस (Russia) दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक है, जो मुख्य रूप से यूरोपीय रिफाइनरियों को कच्चा तेल बेचता है।
यह पाइपलाइन गैस के भंडार रूस के साइबेरिया को बाल्टिक सागर के रास्ते जर्मनी से जोड़ती है। यह प्रोजेक्ट जितना जरूरी रूस के लिए है उतना ही जर्मनी और यूरोप के लिए भी है।
विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपये में 29 पैसे की भारी गिरावट आई। इसी के साथ 74.84 प्रति डॉलर पर आ गया
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नौ जुलाई को समाप्त सप्ताह में 1.883 अरब डॉलर बढ़कर रिकॉर्ड 611.895 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
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