Saturday, May 11, 2024
Advertisement

Navratri Kalash Sthapana 2023: नवरात्रि में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त, इस समय को न चूकें; विधि और सही मंत्र भी जानिए

Navratri 2023: 15 अक्टूबर से नवरात्रि का पर्व शुरू हो रहा है। नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है। माता रानी की कृपा पाने के लिए सही विधि और शुभ मुहूर्त में कलश या घटस्थापना करना चाहिए। तो आइए आचार्य इंदु प्रकाश से जानते हैं कलश स्थापना विधि, मुहूर्त और मंत्र के बारे में।

Written By : Acharya Indu Prakash Edited By : Vineeta Mandal Published on: October 11, 2023 6:30 IST
Navratri 2023- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Navratri 2023

Shardiya Navratri 2023: 15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो रही है। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के अलग-अलग नौ शक्ति स्वरूपों की पूजा की जाती। आपको बता दें कि साल में चार बार पौष, चैत्र, आषाढ़ और अश्विन महीने में नवरात्र आते हैं। चैत्र और आश्विन में आने वाले नवरात्र प्रमुख होते हैं, जबकि अन्य दो महीने पौष और आषाढ़ में आने वाले नवरात्र गुप्त नवरात्रि के रूप में मनाए जाते हैं। वहीं आश्विन महीने से शरद ऋतु की शुरुआत होने लगती है, इसलिए आश्विन महीने के इन नवरात्र को शारदीय नवरात्र के नामसे जाना जाता है। ये नौ दिवसीय शारदीय नवरात्र 15 अक्टूबर से शुरू हो कर 23 अक्टूबर तक चलेंगे। नवरात्रि के पहले दिन देवी मां के निमित्त कलश स्थापना की जाती है।

कलश स्थापना शुभ मुहूर्त 

15 अक्टूबर को आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि, रविवार और चित्रा नक्षत्र के साथ ही वैधृति योग है। वैधृति योग आज सुबह 10 बजकर 24 तक रहेगा। उसके बाद विषकुम्भ योग लग जाएगा। शास्त्रों के अनुसार किसी भी शुभ काम के लिए वैधृति योग सम्पूर्ण त्याज्य है। अतः आज सुबह 10 बजकर 24 मिनट तक कलश स्थापना सम्पूर्ण त्याज्य है। उसके बाद विषकुम्भ योग लग जाएगा, जिसकी प्रथम 5 घटिकाएं त्याज्य हैं। आपको बता दूं एक घटी चौबीस मिनट की होती है और 5 घटी का मतलब पूरे-पूरे 2 घंटे, यानि कि आज दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक आप कलश नहीं रख सकते। अब बचा दोपहर 12 बजकर 24 मिनट के बाद का समय, जिसमें राहुकाल आज शाम 4 बजकर 26 मिनट से शाम 5 बजकर 52 मिनट तक रहेगा। वहीं कुछ विद्वान अभिजीत मुहूर्त को निर्दोष मानकर अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना की सलाह देते हैं, क्योंकि नित ही सूर्य जब अपने चरम पर होता है तो सभी कुछ अस्त हो जाता है और सूर्य के आगे सभी कुछ प्रभावहीन हो जाता है। मध्याह्न के इस मुहूर्त को अभिजित मुहूर्त कहते हैं। आज के दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर पहले 11 बजकर 22 मिनट से दोपहर 12 बजकर 8 मिनट तक रहेगा।

कलश स्थापना की पूरी विधि

सबसे पहले घर के ईशान कोण, यानि उत्तर-पूर्व दिशा के हिस्से की अच्छे से साफ-सफाई करके, वहां पर जल छिड़कर साफ मिट्टी या बालू बिछा दें। फिर उस साफ मिट्टी या बालू पर जौ की परत बिछाएं। उसके ऊपर पुनः साफ मिट्टी या बालू की परत बिछानी चाहिए और उसका जलावशोषण करना चाहिए। जलावशोषण का मतलब है कि उस मिट्टी की परत के ऊपर जल छिड़कें। अब उसके ऊपर मिट्टी या धातु के कलश की स्थापना करें। कलश को अच्छे से साफ, शुद्ध जल से भरना चाहिए और उस कलश में एक सिक्का डाल दे। अगर संभव हो तो कलश के जल में पवित्र नदियों का जल भी जरूर मिलाना चाहिए। इसके बाद कलश के मुख पर अपना दाहिना हाथ रखकर– गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु ॥ ये मंत्र पढ़ें और अगर मंत्र न बोल पाएं तो या ध्यान न रहे तो बिना मंत्र के ही गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिन्धु और कावेरी, पवित्र नदियों का ध्यान करते हुए उन नदियों के जल का आह्वाहन उस कलश में करे और ऐसा भाव करना चाहिए कि सभी नदियों का जल उस कलश में आ जाए। 

पवित्र नदियों के साथ ही वरूण देवता का भी आह्वाहन करना चाहिए, ताकि वो उस कलश में अपना स्थान ग्रहण कर लें। इस प्रकार आह्वाहन आदि के बाद कलश के मुख पर कलावा बांधें और एक मिट्टी की कटोरी से कलश को ढक दीजिए। अब ऊपर ढकी गई उस कटोरी में जौ भर दें यदि जौ न हो तो चावल भी भर सकते हैं। इसके बाद एक जटा वाला नारियल लेकर उसे लाल कपड़े में लपेटकर, ऊपर कलावे से बांध दें। फिर उस बंधे हुए नारियल को जौ या चावल से भरी हुई कटोरी के ऊपर स्थापित कर दीजिए।

कुछ लोग कलश के ऊपर रखी गई कटोरी में ही घी का दीपक जला लेते हैं। ऐसा करना उचित नहीं है। कलश का स्थान पूजा के उत्तर-पूर्व कोने में होता है जबकि दीपक का स्थान दक्षिण-पूर्व कोने में होता है। लिहाजा कलश के ऊपर दीपक नहीं जलाना चाहिए। दूसरी बात ये है कि कुछ लोग कलश के ऊपर रखी कटोरी में चावल भरकर उसके ऊपर शंख स्थापित करते हैं। इसमें कोई परेशानी नहीं है, आप ऐसा कर सकते हैं। बशर्ते कि शंख दक्षिणावर्त होना चाहिए और उसका मुंह ऊपर की ओर और चोंच अपनी ओर करके रखें। इस सारी कार्यविधि में एक चीज का विशेष ध्यान रखें कि ये सब करते समय नवार्ण मंत्र अवश्य पढ़ें। नवार्ण मंत्र है- 'ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे।'

(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं।)

ये भी पढ़ें-

Navratri 2023: इस बार हाथी पर सवार होकर आ रहीं मां दुर्गा, जानिए इसका क्या होगा असर

Navratri 2023: इस दिन से शुरू हो रही है नवरात्रि, जानें घटस्थापना का शुभ मुहूर्त और दुर्गापूजा की महत्वपूर्ण तिथियां

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Festivals News in Hindi के लिए क्लिक करें धर्म सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement