
वैसे तो हर महीने शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है, लेकिन फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि की शिवरात्रि का विशेष महत्व है, इसे हम शिवरात्रि के नाम से जानते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव निराकार रूप से साकार रूप में आए थे। इस दिन शिव जी की विशेष पूजा और अभिषेक किया जाता है। शास्त्रों के मुताबिक, इस दिन भोलेनाथ की पूजा प्रदोष काल में 4 पहर की जाती है। महाशिवरात्रि के दिन देश भर के सभी 12 ज्योतिर्लिंगों समेत शिव मंदिरों में शिव भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी रहती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि?
क्या है वजह?
शास्त्रों में कहा गया है कि महाशिवरात्रि वह महारात्रि है, जिसका संबंध शिव तत्व से घनिष्ठ है। यह पर्व शिव के साकार रूप में आने का मंगल सूचक है। ईशान संहिता के मुताबिक, फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि की रात्रि में करोड़ों सूर्य के बराबर भगवान शिव ने शिवलिंग रूप लिया था। साथ ही उस शिवलिंग की सबसे पहले पूजा महानिशा में ब्रह्मा और विष्णु ने किया था।
दूसरे दंतकथाओं में बात करें तो कहा जाता है कि इस तिथि में मां पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था। यही कारण है कि हर साल फाल्गुन माह की शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। इस दिन काशी, उज्जैन, वैद्यनाथ धाम समेत सभी ज्योतिर्लिंग मंदिर में शिव-बारात निकाली जाती है। साथ ही रात्रि के 4 पहर शिवलिंग की पूजा होती है। साथ ही व्रत आदि की भी परंपरा होती है।
कब है महाशिवरात्रि?
फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 26 फरवरी की सुबह होगी, जिसके समय है 11.08 बजे और इस तिथि की समापन अगले दिन 27 तारीख की सुबह 08.54 बजे किया जाएगा। प्रदोष काल की मान्यता के कारण यह पर्व 26 फरवरी को ही मनाया जाएगा।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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