Saturday, April 20, 2024
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कलाई में चोट ने बनाया कुलदीप को चाइनामैन, बनना चाहते थे तेज़ गेंदबाज़

कोलकता में दूसरे वनडे में हैट्रिक लेकर इतिहास रचने वाले गेंदबाज़ कुलदीप यादव दरअसल इत्तेफ़ाक से स्पिनर बने वर्ना उनका इरादा तो तेज़ गेंदबाज़ बनने का था।

India TV Sports Desk Written by: India TV Sports Desk
Published on: September 23, 2017 14:49 IST
Kuldeep Yadav- India TV Hindi
Kuldeep Yadav

कोलकता में दूसरे वनडे में हैट्रिक लेकर इतिहास रचने वाले गेंदबाज़ कुलदीप यादव दरअसल इत्तेफ़ाक से स्पिनर बने वर्ना उनका इरादा तो तेज़ गेंदबाज़ बनने का था। बचपन में उनके साथ एक ऐसा हादसा हुआ कि तेंज़ गेंदबाज़ बनने का उनका सपना सपना ही बनकर रह गया लेकिन अब जो कमाल उन्होंने कर दिखाया है उसकी कल्पना ख़ुद उन्होंने सपने में नहीं की थी।

दरअसल कुलदीप जब दस साल के थे तब घर में सीढ़ी से गिर गए थे। गिरने से उनके बाएं हाथ की कलाई में चोट लग गई और प्सास्टर चढ़वाना पड़ा। लेकिन जब प्लास्टर खुला तो देखा कि उनकी कलाई टोढ़ी हो गई यानी ऐसी ख़ामी जिसकी वजह से वह तेंज़ गेंदबाज़ी करने लायक नहीं रहे। लेकिन किसी को क्या पता था कि यही ख़ामी उनकी सबसे बड़ी ताक़त बन जाएगी और एक दिन वह स्टार बन जाएंगे। 

धोनी ने अगर ये न कहा होता तो कुलदीप कभी नहीं बनते चाइनामैन से हैट्रिकमैन

कलाई में टेढ़ेपन को लेकर कुलदीप मायूस रहने लगे लेकिन तभी उनके कोच कपिल पांडेय ने उन्हें एक सलाह दी। उन्होंने कहा कि तुम यूं भी छोटे क़द (168 सें.मी) के हो जो तेज़ गेंदबाज़ी के लिए बिल्कुल ठीक नही है। कोच ने सलाह दी कि क्यों न तुम स्पिन गेंदबाज़ी शुरु करो। बस फिर क्या था, कुलदीप ने नेट्स पर जाकर स्पिन गेंदबाज़ी का अभ्यास करना शुरु कर दिया। खुद कुलदीप ने नोटिस किया कि हाथ में हल्का टेढ़ापन होने की वजह से ही उनकी गेंद ज़्यादा टर्न हो रही हैं। कुलदीप ने घंटों नेट्स पर बिताने शुरु किए और इस कला पर महारत हासिल करने के लिए पसीना बहाया। 

कुलदीप ने ख़ुद कहा है कि चाइनामैन बॉलर बनने के लिए बहुत मेनत करनी पड़ती है क्योंकि एक आम स्पिनर की तुलना में चाइनामैन बॉलर के लिए के लिए बॉल पर नियंत्रण रखना बहुत मुश्किल होता है। उन्होंने बताया कि अभ्यास के दौरान उनकी अंगुलिया छिल जाया करती थीं और यहां तक की टेढ़ी भी हो गईं थी।

कुलदीप के पिता राम सिंह यादव ने बताया कि कुलदीप बचपन में बहुत दुबला-पतला था। व्यायाम कराने के उद्देश्य से वह उसे जेके कालोनी स्थित रोवर्स मैदान लेकर जाते थे। तब उसकी उम्र करीब आठ साल थी। करीब छह महीने बाद कोच कपिल पांडेय ने उन्हें बुलाकर कहा कि इस बच्चे में लगन है, यह मेहनती है, वह बहुत आगे जा सकता है। इसके बाद क्रिकेट प्रेमी रामसिंह ने बेटे कुलदीप का एडमिशन क्रिकेट एकेडमी में करा दिया।

कुलदीप के पिता ने बताया कि वह खुद भी क्रिकेट के शौकीन हैं। कॉलेज से क्रिकेट खेलते भी रहे हैं। भाई जनार्दन भी अच्छे बल्लेबाज रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुलदीप पढ़ने में भी तेज था और तेज गेंदबाज बनना चाहता था। उनका भी सपना था कि बेटा देश के लिए क्रिकेट खेले। आज बेटे ने उनका ही नहीं पूरे देश का नाम रोशन कर दिया है।

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