Thursday, April 25, 2024
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Ranji Trophy 2022 Final: मुंबई के 42वें खिताब का सपना तोड़ने उतरेगी मध्यप्रदेश, बारिश बन सकती है विलेन

मध्य प्रदेश की टीम की नजरें अपने पहले रणजी खिताब पर होंगी तो 47वीं बार फाइनल खेलने वाली मुंबई 42वें खिताब को अपने हाथों से जाने नहीं देना चाहेगी।

Priyam Sinha Written by: Priyam Sinha @PriyamSinha4
Published on: June 21, 2022 13:18 IST
मुंबई और मध्यप्रदेश...- India TV Hindi
Image Source : TWITTER मुंबई और मध्यप्रदेश के बीच होगा रणजी ट्रॉफी 2022 का फाइनल मुकाबला

Highlights

  • मुंबई की टीम 47वीं बार खेलने उतरेगी रणजी ट्रॉफी फाइनल
  • मध्यप्रदेश की टीम 23 साल बाद रणजी फाइनल में पहुंची
  • आमने-सामने होंगे मुंबई के ही दो कोच चंद्रकांत पंडित और अमोल मजूमदार

भारत के सबसे प्रतिष्ठित घरेलू टूर्नामेंट यानी रणजी ट्रॉफी के 2022 सत्र का फाइनल मुकाबला बुधवार से शुरू होगा। यह मुकाबला बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेला जाएगा। इस मुकाबले में मुंबई की नजरें जहां 42वें खिताब पर होंगी वहीं मध्यप्रदेश की टीम उसका सपना तोड़ पहली बार रणजी चैंपियन बनना चाहेगी। वहीं इस मुकाबले में भी बारिश विलेन बन सकती है। तीन दिन पहले इसी मैदान पर भारत-साउथ अफ्रीका के बीच होने वाला पांचवां टी20 रद्द हो गया था।

बारिश फीका कर सकती है मैच का मजा

आपको याद होगा 19 जून को इसी मैदान पर भारत और साउथ अफ्रीका के बीच टी20 सीरीज का पांचवां मुकाबला बारिश की भेंट चढ़ गया था। ऐसे में इस टूर्नामेंट के खिताबी मुकाबले पर भी बारिश का खतरा है। एक दिन पहले मंगलवार को भी यहां लगातार बारिश का आना-जाना जारी है। अगर फोरकास्ट की बात करें तो आने वाले सभी दिनों में यहां बारिश की संभावना है क्योंकि यह प्री मॉनसून बारिश है और किसी भी वक्त मॉनसून साउथ में हिट कर सकता है।

मुंबई के ही दो खिलाड़ी होंगे आमने-सामने

इस खिताबी मुकाबले में दो ऐसे कोच की टक्कर होगी, जिन्होंने घरेलू क्रिकेट में एक खिलाड़ी के तौर पर मुंबई का प्रतिनिधित्व किया है। मध्यप्रदेश के कोच चंद्रकांत पंडित और मुंबई के कोच अमोल मजूमदार क्रिकेट को लेकर अपनी मुंबईया मानसिकता के लिए मशहूर हैं। इन दोनों में एक और चीज समान है कि दोनों ने खुद को दिग्गज कोच रमाकांत आचरेकर की देखरेख में निखारा है। खिलाड़ी के तौर पर लंबे समय तक मुंबई का प्रतिनिधित्व करने के बाद चंद्रकांत मध्यप्रदेश से जुड़े और उनकी कप्तानी में टीम ने 1998 में फाइनल तक का सफर तय किया। कोच के तौर पर मध्यप्रदेश की टीम को उन्होंने मुंबई के तौर तरीके से आगे बढ़ाया जिससे यह टीम फिर फाइनल में पहुंच सकी। 

23 साल बाद फाइनल में पहुंची मध्यप्रदेश के लिए कठिन चुनौती

1998-99 सत्र के बाद अब 23 साल बाद फाइनल में पहुंची मध्यप्रदेश के सामने 41 बार की चैम्पियन मुंबई की चुनौती आसान नहीं होगी। यह पृथ्वी शॉ, यशस्वी जायसवाल, अरमान जाफर, सरफराज खान और सुवेद पारकर जैसे अगली पीढ़ी के बल्लेबाजों से सजी है। ये सभी बल्लेबाज 25 साल के कम उम्र के हैं और मध्य प्रदेश के गेंदबाजी आक्रमण को ध्वस्त करने के लिए तैयार हैं। पिछले दोनों मुकाबलों में टीम विशाल लीड लेकर जीती है।

दूसरी तरफ मध्य प्रदेश के पास कुमार कार्तिकेय के रूप में बाएं हाथ का शानदार स्पिनर है लेकिन कुछ अनुभवी खिलाड़ियों की गैर मौजूदगी में दूसरे गेंदबाज उतने प्रभावी नहीं रहे हैं। मजूमदार कोच के तौर पर पहली बार टीम को चैंपियन बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहेंगे तो वहीं पंडित छठी बार यह खिताब जीतना चाहेंगे। कोच के तौर पर उन्होंने विदर्भ और मुंबई के लिए पांच रणजी खिताब जीते हैं। पंडित ने कहा, ‘‘अमोल को मेरे सोचने और तरीके के बारे में पता है। इसी तरह मैं भी उसके बारे जानता हूं। हम दोनों मुंबई क्रिकेट के तरीके को अपनाते रहे हैं।’’ 

Ranji Trophy 2022: कभी एक ही टीम से खेले थे साथ, अब रणजी के फाइनल में कोच के तौर पर होंगे आमने-सामने

उधर मजूमदार ने कहा, ‘‘मुझमें और चंदू में कोई अंतर नहीं है। हम दोनों एक जैसी परिस्थितियों में ही आगे बढ़े हैं। फाइनल मुकाबला खिलाड़ियों के बारे में अधिक है, जो मैदान पर होंगे और अपनी टीम के लिए खिताब जीतना चाहेंगे।’’ पंडित ने यह भी कहा कि,‘‘मैं मुंबई से हूं और मुंबई में खिताब जीतने को हम अच्छा सत्र मानते हैं जबकि उससे कम किसी भी चीज को बुरा माना जाता है।’’ पंडित ने खिलाड़ी के तौर पर अपना आखिरी सत्र मध्यप्रदेश के साथ खेला था। जहां इसी मैदान पर खेले गये फाइनल में उनकी टीम को हार का सामना करना पड़ा था। 

यह भी संयोग की बात है!

संयोग की बात यह है कि 23 साल पहले इसी मैदान पर मध्यप्रदेश को कर्नाटक ने रणजी फाइनल में हराया था। एमपी की उस टीम के कप्तान उनके मौजूदा कोच ही थे। उस सत्र के बाद टीम अब फाइनल में पहुंची है। इसको लेकर चंद्रकांत पंडित ने कहा, ‘‘यह वही एम चिन्नास्वामी स्टेडियम है जहां मेरी कप्तानी में मध्यप्रदेश को रणजी फाइनल में कर्नाटक से हार का सामना करना पड़ा था। 23 साल के बाद इसी मैदान में टीम को चैंपियन बनने का एक और मौका मिला है।’’ 

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