Thursday, April 25, 2024
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आईएसएल के आलोचक से कैसे बने प्रशंसक, एटीके सहायक कोच संजय सेन ने बताई वजह

एटीके के सहायक कोच संजय सेन एक समय आईएसएल के आलोचक हुआ करते थे, लेकिन वह अब लीग के प्रशंसक बन गए हैं।

IANS Reported by: IANS
Published on: April 21, 2020 20:51 IST
Sanjay Sen - India TV Hindi
Image Source : AIFF Sanjay Sen 

नई दिल्ली| इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) की टीम एटीके के सहायक कोच संजय सेन एक समय इस लीग के आलोचक हुआ करते थे, लेकिन वह अब लीग के प्रशंसक बन गए हैं। मोहन बागान के पूर्व कोच का मानना है कि लीग में आकर इसे लेकर उनकी सोच बदल गई है।

सेन ने आईएएनएस से कहा, "जब 2014 में यह शुरू हुई तो मैं हकीकत में आईएसएल का आलोचक हुआ करता था। मुझे यह फॉर्मेट पसंद नहीं था और साथ ही यह विश्व कप खेलने वाले रिटायर्ड खिलाड़ियों को मार्की खिलाड़ी बनाने वाली बात भी पसंद नहीं थी।"

उन्होंने कहा, "2018 की शुरुआत तक, मैं आई-लीग में काफी सफल रहा था। मोहन बागान के खिलाफ मैंने आईलीग भी जीती और फेडरेशन कप भी, लेकिन 2017-18 में खराब प्रदर्शन के कारण मैंने इस्तीफा दे दिया।"

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उन्होंने कहा, "2018 में संजय गोयनका ने मुझसे मिलने को कहा और मैं उनसे मिलने चला गया। उन्होंने मुझसे आईएसएल में आने को कहा। मैं थोड़ा डरा हुआ था। मैंने जब देखा कि डैरेक जा रहा है, साबिर पाशा जा रहा है, तो मैंने सोचा कि मैं भी देखता हूं कि क्या होता है।"

उन्होंने कहा, "मैं आपको बता दूं कि यहां अंतर है। आईएसएल टीम को बहुत पेशेवर तरीके से संभाला जाता है। आई-लीग क्लब उतने पेशेवर तरीके से नहीं चलते हैं।"

सेन ने कहा कि आईएसएल में सपोर्ट स्टाफ को लेकर किसी तरह की पाबंदियां नहीं हैं।

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उन्होंने कहा, "आई-लीग में आप बाहर के मैच में सिर्फ चार या पांच सपोर्ट स्टाफ ले जा सकते हैं, लेकिन आईएसएल में इस पर कोई पाबंदी नहीं है। टीम प्रबंधन को जो लगता है उसके हिसाब से वह स्टाफ ले जा सकतस है। यह बहुत बड़ा अंतर है। इसके अलावा आप स्टीव कोपेल, एंटोनियो लोपेज हबास, डिएगो सिमोन जैसे कोचों के साथ ड्रेसिंग रूम साझा करते हैं।"

सेन ने कहा है कि वह आईएसएल में अपने सफर का लुत्फ उठा रहे हैं।

उन्होंने कहा, "आईएएसएल में एक पैमाना है कि आपको प्रो लाइसेंस होना चाहिए या आपको आईएसएल टीम में सहायक कोच होना चाहिए तभी आप किसी आईएसएल टीम के कोच बन सकते है। उम्मीद है कि काफी सारे भारतीय कोच आएंगे। मुझे भी यहां आने से पहले शंका थी, लेकिन अब मैं कह सकता हूं कि मैंने इसका लुत्फ उठाया है।"

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