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नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करेगा तेलंगाना, मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने किया ऐलान

रेवंत रेड्डी ने कहा कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री के रूप में, मैं तेलंगाना के हितों को नुकसान पहुंचाने और तेलंगाना की बकाया धनराशि जारी नहीं करने के विरोध में नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार कर रहा हूं।

Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Published : Jul 24, 2024 23:41 IST, Updated : Jul 24, 2024 23:41 IST
revanth reddy- India TV Hindi
Image Source : PTI/FILE मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी

हैदराबाद:तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी ने बुधवार को कहा कि उनकी सरकार ने केंद्र द्वारा राज्य के अधिकारों को कथित रूप से नुकसान पहुंचाए जाने और राज्य की बकाया धनराशि जारी नहीं किए जाने के विरोध में 27 जुलाई को होने वाली नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया है। रेड्डी ने विधानसभा में एक एक प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान यह घोषणा की। यह प्रस्ताव केन्द्रीय बजट में राज्य के प्रति केन्द्र सरकार के कथित भेदभाव के खिलाफ लाया गया था जिसे एक दिन की चर्चा के बाद पारित कर दिया गया। 

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27 जुलाई को नीति आयोग की बैठक

उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नीति आयोग के अध्यक्ष हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में 27 जुलाई को नीति आयोग की बैठक होगी। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के रूप में, मैं तेलंगाना के हितों को नुकसान पहुंचाने और तेलंगाना की बकाया धनराशि जारी नहीं करने के विरोध में नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार कर रहा हूं।” रेड्डी ने कहा कि राज्य सरकार अपने विरोध के तहत नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार कर रही है। 

उन्होंने कहा कि राज्य को उम्मीद है कि मोदी आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम में तेलंगाना को दिए गए आश्वासनों और राज्य द्वारा किए गए अनुरोधों पर बजट में संशोधन कर मौजूदा संसद सत्र में एक बयान जारी करेंगे। इनमें एक इस्पात कारखाना और रेलवे कोच कारखाना स्थापित करना, सूचना प्रौद्योगिकी निवेश क्षेत्र (आईटीआईआर) को सहायता देना, पलामुरु-रंगा रेड्डी लिफ्ट सिंचाई परियोजना को अनुमति देना, एनटीपीसी विद्युत संयंत्र का निर्माण और जनजातीय विश्वविद्यालय शुरू करना शामिल है। 

 केंद्र ने संघीय भावना को त्याग दिया

प्रस्ताव में कहा गया है कि संविधान के अनुसार, भारत राज्यों का एक संघ है और देश के सभी राज्यों का एकीकृत और समग्र विकास सुनिश्चित करना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है। प्रस्ताव में आरोप लगाया गया कि केंद्र ने संघीय भावना को त्याग दिया है और बजट में तेलंगाना के साथ अन्याय किया गया है। इसमें आरोप लगाया गया है कि मुख्यमंत्री और मंत्रियों ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात की और धनराशि जारी करने के लिए निवेदन किया, लेकिन केंद्र ने अनुरोधों की अनदेखी की और केंद्रीय बजट में राज्य के साथ भेदभाव किया। 

रेड्डी ने दावा किया कि तेलंगाना को केवल 1.68 लाख करोड़ रुपये मिले, जबकि राज्य के लोगों ने पिछले पांच वर्षों के दौरान केंद्र को करों के रूप में 3.68 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया। उन्होंने आरोप लगाया कि पांच दक्षिणी राज्यों तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु से लगभग 22 लाख करोड़ रुपये का जीएसटी संग्रह हुआ, लेकिन केंद्र ने बजट में इन पांच राज्यों को केवल 6.42 लाख करोड़ रुपये ही दिए। उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश ने करों के रूप में 3.41 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया, जबकि केंद्र ने उसे 6.91 लाख करोड़ रुपये दिए। उत्तर प्रदेश को पांच राज्यों से अधिक दिया जा रहा है। यह भेदभाव है।” बीआरएस विधायक के टी रामा राव ने सुझाव दिया कि मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों को राज्य के हितों के समर्थन में दिल्ली में अनशन करना चाहिए। इसके जवाब में रेड्डी ने कहा कि विपक्ष के नेता और बीआरएस अध्यक्ष के चंद्रशेखर राव को भी अनशन में उनके साथ शामिल होना चाहिए। रामा राव ने राज्य के हितों की रक्षा के लिए प्रस्ताव को अपनी पार्टी का समर्थन दिया। (भाषा)

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