किसानों के विरोध ने आलम जैसे कई युवाओं को भी आकर्षित किया जो बी. टेक के बाद एम. टेक कर चुके हैं।
चालीस किसान संघों का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन निलंबित करने का बृहस्पतिवार को निर्णय लिया और घोषणा की कि किसान 11 दिसंबर से अपने घरों की ओर लौटने लगेंगे।
आंदोलन करने वाले 40 किसान संगठनों का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल से अधिक समय से जारी प्रदर्शन को बृहस्पतिवार को स्थगित करने का फैसला किया और घोषणा की है कि किसान 11 दिसंबर को दिल्ली की सीमाओं वाले विरोध स्थलों से घर लौट जाएंगे।
किसान नेता आजाद पालवां का कहना है की उचाना में राष्ट्रीय राजमार्ग पर किसानों की आखरी ट्रॉली नहीं गुजरने तक लंगर की सेवा सुचारू रूप से चलती रहेगी। उन्होंने कहा कि खटकड़ टोल प्लाजा पर चल रहे धरना को भी 11 दिसम्बर को खत्म कर दिया जाएगा।
किसानों ने अपना आंदोलन स्थगित कर दिया है। 11 दिसंबर से किसानों की घर वापसी शुरू होगी। किसान 15 जनवरी को समीक्षा बैठक करेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा ने किसान आंदोलन को खत्म करने का ऐलान कर दिया है। दिल्ली की सीमाओं पर पिछले एक साल से ज्यादा वक्त से किसान आंदोलन कर रहे थे। इस फैसले के बाद सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने अपने-अपने तंबू उखाड़ने शुरू कर दिए हैं। बता दें कि केंद्र ने किसानों की मांग को मान लिया है और एक नया प्रस्ताव संगठनों को भेजा जिसपर सहमति बन गई है।
राहुल गांधी ने अपने ट्वीट के साथ एक वीडियो भी शेयर किया है। राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा- 'अपना देश महान है, यहाँ सत्याग्रही किसान है! सत्य की इस जीत में हम शहीद अन्नदाताओं को भी याद करते हैं।'
किसानों ने अपना आंदोलन स्थगित कर दिया है। 11 दिसंबर से किसानों की घर वापसी शुरू होगी। किसान 15 जनवरी को समीक्षा बैठक करेंगे।
कांग्रेस सांसदों की बैठक में आज सोनिया गांधी ने किसान आंदोलन और राज्यसभा से 12 सांसदों के निलंबन जैसे मुद्दों पर चर्चा की। अपने बयान में उन्होंने कहा कि किसानों के प्रति सरकार असंवेदनशील है।
किसान आंदोलन कब ख़त्म होगा - इस सवाल पर अब भी सस्पेंस बरकरार है। किसान नेताओं की अब मांग है कि किसानों पर सभी दर्ज मुक़दमे वापस ले लिए जाएं।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसान नेता युद्धवीर सिंह ने कहा, संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में सरकार के प्रस्ताव पर कई घंटों तक चर्चा हुई।
खुद राकेश टिकैत ने कबूल किया है कि चिट्ठी मिली है। राकेश टिकैत ने इंडिया टीवी से फोन पर बताया कि सरकार से चिट्टी आई है।
कृषि कानूनों की वापसी के बाद अब किसान भी अपने वापस लौटने को पूरी तरह तैयार हैं। 4 दिसंबर को किसानों की बैठक के बाद पांच ऐसे किसान नेता चुने गए जो सरकार से बातचीत करेंगे। इन्हीं में से एक हैं किसान नेता युद्धवीर सिंह जिन्होंने इंडिया टीवी से ख़ास बातचीत की और कृषि कानूनों की वापस से लेकर किसानों आंदोलन के अंत जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा की।
किसान आंदोलन ख़त्म हो रहा है। बातचीत शुरु हो रही है। अब किसान और मोदी सरकार एक लाइन पर दिख रही है। 7 दिसम्बर को Good न्यूज़ आ सकती है। किसान वापस जा सकते हैं। किसानों के खेमे से ख़बर आ रही है। कि अब ना तो मोदी के खिलाफ..न सरकार के खिलाफ और न बीजेपी के खिलाफ कोई रैली निकलेगी। और न कोई विरोध प्रदर्शन होगा। राहुल को इसकी भनक लग गई है। इसलिए वो अभी भी किसानों के बहाने मोदी मोदी कर रहे हैं।
आज संयुक्त किसान मोर्चा की सिंघु बॉर्डर पर बहुत बड़ी बैठक हुई। 40 से ज्यादा किसान संगठन इसमें शामिल हुए। सरकार से बात करने के लिए 5 लोगों की किसान कमेटी बनाने का फैसला हुआ। इसमें बड़ी बात ये कि किसान नेता राकेश टिकैत का नाम इस कमेटी में नहीं है| देखिए मुक़ाबला मीनाक्षी जोशी के साथ।
सिंघु बॉर्डर पर चल रही संयुक्त किसान मोर्चा की अहम बैठक खत्म हो चुकी है। संयुक्त किसान मोर्चा ने MSP पर सरकार से बातचीत के लिए बनाई जाने वाली कमेटी के लिए 5 लोगों के नाम तय कर दिए हैं। वहीं संयुक्त किसान मोर्चा की अगली बैठक आगामी 7 दिसंबर को होगी।
सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में शामिल हिम्मत सिंह गुर्जर ने दावा किया कि आगामी 7 दिसंबर की बैठक में आंदोलन की वापसी का ऐलान हो सकता है। हिम्मत सिंह गुर्जर ने कहा कि मुआवजे पर गृह मंत्रालय से बात हो गई है। पंजाब मॉडल पर मृतक किसानों के परिवार को मुआवजा मिलेगा।
सिंघु बॉर्डर पर चल रही संयुक्त किसान मोर्चा की अहम बैठक खत्म हो चुकी है। संयुक्त किसान मोर्चा ने MSP पर सरकार से बातचीत के लिए बनाई जाने वाली कमेटी के लिए 5 लोगों के नाम तय कर दिए हैं। वहीं संयुक्त किसान मोर्चा की अगली बैठक आगामी 7 दिसंबर को होगी।
अलग-अलग किसान नेता अलग-अलग बात कर रहे हैं। राकेश टिकैत का कहना है कि जब तक एमएसपी गारंटी कानून नहीं बन जाता है तब तक किसान धरना स्थल से नहीं हटेंगे।
केंद्र ने एमएसपी एवं अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए मंगलवार को एसकेएम से पांच नाम मांगे थे। हालांकि बाद में एसकेएम ने एक बयान में कहा था कि उसके नेताओं को केंद्र से इस मुद्दे पर फोन आये थे लेकिन कोई औपचारिक संदेश नहीं मिला है।
कृषि कानूनों की वापसी के बाद अब किसानों के आंदोलन को लेकर गहमागहमी बनी हुई है। भले ही पंजाब के कुछ किसानों ने ये कह दिया है कि आंदोलन अब ख़त्म होना चाहिए लेकिन आंदोलन के भविष्य को लेकर 4 दिसंबर को किसान एक बड़ी बैठक करने वाले हैं। लेकिन किसान नेताओं को सरकार से MSP पर लिखित गारंटी की मांग कर रहे हैं।
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