आगामी बजट में केंद्र सरकार पीएम किसान सम्मान निधि में मिलने वाली सालाना 6 हजार रुपये की राशि को बढ़ा कर 8000 रुपये कर सकती है।
किसान नेता राकेश टिकैत ने शनिवार को कहा कि लखीमपुर खीरी में जो घटना हुई थी, हम 21 तारीख से वहां पर 3-4 दिन के लिए जाएंगे। वहां पर पीड़ितों से मुलाक़ात करेंगे। जो किसान जेल में है, हम उनसे भी मिलेंगे।
राज्य सरकार के एक प्रवक्ता के मुताबिक यह व्यवस्था चालू माह से ही लागू होगी और इससे राज्य के 13 लाख किसानों को सीधा फायदा मिलेगा। उन्होंने बताया कि बिजली के बिल में छूट की इस नई व्यवस्था से उत्तर प्रदेश विद्युत निगम लिमिटेड पर लगभग 1000 करोड रुपए प्रति वर्ष का अतिरिक्त वित्तीय भार आएगा।
लखीमपुर-खीरी हिंसा मामले में पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी है। इस मामले में आशीष मिश्रा को मुख्य आरोपी बनाया गया है।
सबसे पहले नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों ने 26 जनवरी 2021 को लाल किला पर जमकर उत्पात किया। 26 जनवरी 2021 को किसानों के ट्रैक्टर मार्च के दौरान हिंसा में एक किसान की मौत भी हुई। वहीं कुछ युवकों ने लालकिले पर तिरंगे के बराबर निशान साहिब को फहरा दिया गया।
तीनों कानूनों के खिलाफ यूं तो आंदोलन की शुरुआत 2020 में हो गई थी। वर्ष 2021 से पहले ही किसान दिल्ली बॉर्डर पर डेरा डाल चुके थे। सरकार की ओर से भी बातचीत की पहल चल रही थी।
किसान संगठनों ने 'संयुक्त समाज मोर्चा' नाम से चुनावी संगठन चंडीगढ़ में लॉन्च कर दिया है। 22 किसान संगठनों ने मिलकर 'संयुक्त समाज मोर्चा' बनाया है।
पीएम मोदी ने देश के किसानों से वर्चुअल बात की। इस दौरान तकरीबन 8 करोड़ किसान किसी न किसी माध्यम से पीएम के साथ जुड़े। पीएम मोदी ने किसानों को प्राकृतिक खेती करने के फायदे बताए।
भाजपा के महासचिव अरुण सिंह और पार्टी की किसान शाखा के अध्यक्ष राजकुमार चाहर ने कहा कि प्रधानमंत्री का भाषण सुनने के लिए किसानों को आमंत्रित किया जाएगा। भाजपा और केंद्र और राज्यों में उनकी सरकारें कृषि क्षेत्र की प्रगति और किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
किसानों के परिवारों ने ट्रैक्टरों में आ रहे किसानों को माला पहनाकर; लड्डू, बर्फी और अन्य मिठाइयां खिलाकर उनका स्वागत किया। किसानों के आंदोलन का समर्थन करने वाले गांववासी और अन्य लोग उनका स्वागत करने के लिए राजमार्गों के किनारे एकत्रित हुए और उन्होंने किसानों पर फूल बरसाए।
380 दिनों से इस घड़ी का इंतज़ार दिल्ली को भी था, हरियाणा को भी था, पंजाब को भी था और यूपी को भी था। प्रधानमंत्री भी इस दिन का इंतज़ार कर रहे थे और कम से कम 10 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी इसका इंतज़ार था। जो तस्वीर आप देख रहे हैं वो सच हो रहा है। किसान बॉर्डर से लौटने लगे हैं. अगले 48 से 72 घंटे में दिल्ली के सारे बॉर्डर पूरी तरह खुल जाएंगे।
घर लौटने को लेकर उत्साहित भूपेंद्र सिंह ने कहा कि वह कई बार अपने बच्चों से कोई बहाना करते थे।
कुंडली की झुग्गियों में रहने वाले 13 वर्षीय आर्यन ने बताया, हम अपना नाश्ता, दोपहर का भोजन और रात का खाना यहीं लंगर में करते थे।
मुख्यालय के लोहे के जिस द्वार पर SKM के स्वयंसेवक आगंतुकों पर नजर रखते थे, आज सुबह वहां सन्नाटा पसरा दिखा।
किसानों को राज्य के आर्थिक ढांचे की रीढ़ बताते हुए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा, ‘‘राज्य सरकार पीड़ित परिवारों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए हमेशा हर संभव कदम उठाएगी।’’
सुबह से ही झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले लोग और कबाड़ी बांस के खंभे, तिरपाल, लकड़ियां, प्लास्टिक और लोहे की छड़े चुनने में लगे रहे।
आखिरकार 378 दिन बाद किसानों का आंदोलन खत्म हो गया है। आज 11 दिसंबर को सभी अपने-अपने घर की ओर रवाना होंगे। किसानों का पहला जत्था अपने घर के लिए रवाना हो गए हैं। राकेश टिकैत ने कहा है कि वो 15 जनवरी के बाद जाएंगे। उन्होंने कहा है कि अगले चार दिनों में अधिकांश किसान चले जाएंगे।
भारतीय किसान यूनियन (दोआबा) के सरदार गुरमुख सिंह ने मार्च में ईंटों और सीमेंट से 3 कमरों का एक ढांचा बनाया था।
एसकेएम की तरफ से कहा गया कि अब 15 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं की फिर मीटिंग होगी जिसमें इस बात की समीक्षा की जाएगी कि सरकार ने अपने वादे कहां तक पूरे किए।
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