Tuesday, April 30, 2024
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समान नागरिक संहिता पर बोले मौलाना अरशद मदनी- 1300 साल से किसी सरकार ने मुस्लिम पर्सनल लॉ नहीं छेड़ा

समान नागरिक संहिता को लेकर मौलाना अरशद मदनी ने इंडिया टीवी से खास बातचीत की है। इस दौरान उन्होंने कहा कि संविधान के नाम पर मौजूदा सरकार पिछले 8-9 साल से मुस्लिम दुश्मनी की बद्तरीन मिसाल पेश कर रही है।

Reported By : Shoaib Raza Edited By : Swayam Prakash Published on: June 15, 2023 18:58 IST
Maulana, Arshad Madani- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO समान नागरिक संहिता पर बोले अरशद मदनी

यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी कि समान नागरिक संहिता का मुद्दा लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही फिर से चर्चा में आ गया है। इसको लेकर अब जमकर बयानबाजी भी शुरू हो गई है और लॉ कमीशन ने इसपर जनता से सुझाव भी मांगे हैं। इसी मुद्दे को लेकर मौलाना अरशद मदनी ने इंडिया टीवी से खास बातचीत की है। इस दौरान उन्होंने कहा कि कुछ संप्रदायिक ताकतें ये समझती हैं कि मुसलमानों के हौसले को तोड़ दें और उन्हे ऐसी जगह पर लाकर खड़ा कर दिया जाए कि वो अपने धर्म पर ना चल सकें।

"मुस्लिम पर्सनल लॉ में जीते आए, इसी पर मरना है"

जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने इंडिया टीवी से खास बातचीत में कहा कि पिछले 1300 सालों से देश में किसी भी सरकार ने मुस्लिम पर्सनल लॉ को नहीं छेड़ा है। ये बदकिस्मती की बात है कि मौजूदा सरकार पिछले 8-9 साल से मुस्लिम दुश्मनी की बद्तरीन मिसाल पेश कर रही है और ये सबकुछ संविधान का नाम लेकर किया जा रहा है। मदनी ने कहा कि हम भारत में मुस्लिम पर्सनल लॉ में जीते आए हैं और इसी पर जीना चाहते हैं, इसी पर मरना चाहते हैं।

"लोगों से अपील, देशभर से राय भेजें"
इंडिया टीवी से मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि उत्तराखंड में यूसीसी पर राय मांगी गई थी। हमने डेढ़ लाख से ज्यादा खत और कागज़ भेजे। हम पूरे देश के लोगों से अपील करेंगे कि वो देशभर से राय भेजें। ये राय या खत 50 लाख से ज्यादा होंगे। मदनी ने कहा कि हमने उत्तराखंड के उत्तरकाशी मामले में सीएम से अपील की है कि शांति व्यवस्था बनाना सरकार की जिम्मेदारी है।

दारुल उलूम में अग्रेजी पर फरनाम पर भी बोले
इतना ही नहीं इस दौरान, दारुल उलूम में अंग्रेजी ना पढ़ने के आदेश पर भी अरशद मदनी ने बात की है। उन्होंने कहा कि मेरे बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है। मदने ने कहा कि छात्र दारुल उलूम के सिलेबस के बाद अंग्रेजी पढ़ें, हमे कोई दिक्कत नहीं। लेकिन अगर दारुल उलूम में दाखिला लेकर कोई बच्चा बाहर पढ़ेगा तो वो ना इधर का रहेगा ना उधर का।

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