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बंगाल गवर्नर को छेड़छाड़ मामले में क्लीन चिट, रिपोर्ट पर TMC बोली- दिखावा है

पश्चिम बंगाल के गवर्नर को यौन उत्पीड़न केस में राजभवन ने क्लीन चिट दे दी है। राजभवन ने गवर्नर के खिलाफ वहां काम करने वाली महिला कर्मचारी के आरोपों को निराधार बताया।

Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published : Jul 21, 2024 6:46 IST, Updated : Jul 21, 2024 7:38 IST
पश्चिम बंगाल के गवर्नर सीवी आनंद बोस- India TV Hindi
Image Source : PTI पश्चिम बंगाल के गवर्नर सीवी आनंद बोस

पश्चिम बंगाल के गवर्नर सीवी आनंद बोस को यौन उत्पीड़न केस में राजभवन ने क्लीन चिट दे दी है। राजभवन की एक महिला संविदा कर्मचारी ने राज्यपाल पर ये आरोप लगाया था, जिसे राजभवन ने निराधार बताया। इस संबंध में एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की ओर से की गई इन-हाउस न्यायिक जांच की प्रारंभिक रिपोर्ट शनिवार को राज्यपाल के कार्यालय ने जारी की। इसमें राज्यपाल पर लगाए गए आरोपों को गलत बताया गया है। 

सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश डी. रामबाथिरन की जांच रिपोर्ट के मुताबिक, 24 अप्रैल और 2 मई को राजभवन में कथित घटना के संबंध में शिकायतकर्ता का आरोप आधारहीन और तथ्यों से परे है। रिपोर्ट के अनुसार, जांच के दौरान सेवानिवृत्त न्यायाधीश ने राजभवन के 8 कर्मचारियों से पूछताछ की। इनमें राज्यपाल के सहयोगी मेजर निखिल कुमार और मनीष जोशी, टेलीफोन ऑपरेटर कावेरी कर, अटेंडेंट साइमा बेगम, सुपरवाइजर मुन्ना चौधरी, अटेंडेंट कुसुम छेत्री, चपरासी संत कुमार लाल और ओएसडी संदीप कुमार सिंह शामिल हैं।

रिपोर्ट में ऐसी घटना पर सवाल

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2 मई को जिस दिन राज्यपाल के खिलाफ राजभवन की महिला संविदा कर्मचारी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, उस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोलकाता में थे और राजभवन में एक रात रुके थे। इसके लिए विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) के सदस्य पहले से ही शहर में थे। रिपोर्ट ने उस दिन ऐसी घटना होने की संभावना पर सवाल उठाया गया है।

"राज्यपाल ने खुद को क्लीन चिट दे दी"

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि राजभवन की किसी भी महिला कर्मचारी ने जांच के दौरान राज्यपाल के खिलाफ ऐसी कोई आशंका नहीं जताई। उधर, आंतरिक रिपोर्ट को गलत बताते हुए तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष ने कहा कि यह एक दिखावा है। राज्यपाल ने खुद ही जांच करवाकर खुद को क्लीन चिट दे दी है। उन्होंने देश के दक्षिणी राज्य के सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश से जांच करवाने के औचित्य पर भी सवाल उठाया। (IANS)

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