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West Bengal: जादवपुर विश्वविद्यालय के प्रो वाइस चांसलर की हुई मौत, बेल्ट से लगाई फांसी, मचा हड़कंप

West Bengal: प्रो-वाइस चांसलर सामंतक दास का शव उनके आवास के पंखे से लटका हुआ बरामद हुआ है और बेल्ट से फांसी लगाई थी। शव के पास से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है।

Written By: Khushbu Rawal
Published : Jul 20, 2022 11:22 pm IST, Updated : Jul 20, 2022 11:25 pm IST
Jadavpur University Pro Vice Chancellor - India TV Hindi
Image Source : IANS Jadavpur University Pro Vice Chancellor

Highlights

  • जादवपुर विश्वविद्यालय के प्रो वाइस चांसलर आवास पर लटके मिले
  • पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पता चलेगा- कैसे हुई मौत
  • परेशान थे और डिप्रेशन से जूझ रहे थे सामंतक दास

West Bengal: कोलकाता के प्रतिष्ठित जादवपुर विश्वविद्यालय के प्रो-वाइस चांसलर सामंतक दास बुधवार दोपहर दक्षिण कोलकाता में अपने आवास से लटके पाए गए। पुलिस ने यह जानकारी दी। पुलिस सूत्रों ने बताया कि उनका शव उनके आवास के पंखे से लटका हुआ बरामद हुआ है और बेल्ट से फांसी लगाई थी। शव के पास से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पता चलेगा- कैसे हुई मौत

एक जांच अधिकारी ने कहा, "हालांकि शुरुआती निष्कर्ष संकेत देते हैं कि उनकी मौत का कारण आत्महत्या है, पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने तक आधिकारिक तौर पर कुछ भी पुष्टि नहीं की जा सकती है। हमने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और गुरुवार तक रिपोर्ट मिलने की उम्मीद है।"

डिप्रेशन से जूझ रहे थे सामंतक दास
बता दें कि दास कई दिनों से किसी अज्ञात कारण से परेशान थे और इसी वजह से डिप्रेशन में थे। इस बात की जांच की जा रही है कि क्या उन्होंने अपनी जिंदगी समाप्त करने का यह निर्णय किन वजहों से लिया होगा। 57 वर्षीय सामंतक दास ने कोलकाता के ला मार्टिनियर फार बॉयज से आइसीएसई और आइएससी पास किया। दास ने जादवपुर विश्वविद्यालय से ही अंग्रेजी साहित्य में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की।

पहले वे बीरभूम जिले के बोलपुर-शांतिनिकेतन में विश्व-भारती विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग से जुड़े थे। 2005 में, वह जादवपुर विश्वविद्यालय के तुलनात्मक साहित्य विभाग में शामिल हो गए। वह जादवपुर विश्वविद्यालय के रवींद्रनाथ स्टडीज स्कूल से भी जुड़े थे।

गम में डूबा विश्वविद्यालय कैंपस
विश्वविद्यालय के प्रो वाइस चांसलर बनने से पहले दास तुलनात्मक साहित्य विभाग के प्रमुख भी रह चुके हैं। वह अपनी संवादात्मक शिक्षण शैली के कारण विश्वविद्यालय के छात्रों के बीच बेहद लोकप्रिय थे। उनके निधन की खबर से पूरा विश्वविद्यालय कैंपस गम में डूब गया।

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