Tuesday, April 16, 2024
Advertisement

UN Peacekeeping Force: संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक अभियानों में महिलाओं की भागीदारी इतनी कम क्यों है? यहां जानिए 3 बडे़ कारण

संयुक्त राष्ट्र हर सैनिक के लिए सदस्य देश को प्रतिमाह 1,400 डॉलर का भुगतना करता है। इससे गरीब देशों को अपनी सेनाओं के खर्च के लिए मदद मिलती है।

Shilpa Written By: Shilpa
Published on: August 01, 2022 15:28 IST
UN Peacekeeping Force Women- India TV Hindi
Image Source : PTI UN Peacekeeping Force Women

Highlights

  • यूएन शांतिरक्षक अभियानों में महिलाओं की संख्या कम
  • महिलाओं की कम संख्या के पीछे हैं कई कारण
  • अधिक महिलाओं को शामिल करने से ज्यादा फायदे

UN Peacekeeping Force: दुनिया के दर्जनभर युद्धग्रस्त क्षेत्रों में संयुक्त राष्ट्र के लगभग 74,000 शांतिरक्षक तैनात हैं और इन सैनिकों को उनके हल्के नीले रंग के हेलमेट से पहचाना जा सकता है, मगर इनमें महिला सैनिकों को ढूंढना कठिन है। शांतिरक्षकों में 121 देशों के सैन्य विशेषज्ञ, पुलिस और इन्फैंट्री बलों के कर्मी होते हैं, जिनमें से महज आठ प्रतिशत महिलाएं होती हैं। आज से 15 साल पहले शांतिरक्षकों की संख्या लगभग आज के बराबर ही थी लेकिन महिलाओं की भागीदारी केवल दो प्रतिशत थी। संयुक्त राष्ट्र पिछले दो साल से इसमें सुधार करने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, पुरुष और महिला शांतिरक्षकों की संख्या बराबर करने का लक्ष्य शायद कभी पूरा नहीं किया जा सकता।

पेंसिल्वेनिया स्टेट विश्वविद्यालय के डेनिस जेट का कहना है कि एक अमेरिकी राजनयिक और अंतरराष्ट्रीय मामलों के विद्वान के तौर पर मैं अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और पश्चिम एशिया में शांतिरक्षण में शामिल रहा हूं। महिला शांतिरक्षकों की संख्या बढ़ाने से जहां सामुदायिक संबंधों में सुधार जैसे फायदे हैं वहीं, शांतिरक्षण के विकास की दृष्टि से लैंगिक समानता असंभव सी प्रतीत होती है। संयुक्त राष्ट्र की अपनी कोई सेना नहीं है इसलिए उसे अपने शांतिरक्षण अभियान के लिए 193 सदस्य देशों से सैन्य कर्मी मांगने पड़ते हैं। संयुक्त राष्ट्र हर सैनिक के लिए सदस्य देश को प्रतिमाह 1,400 डॉलर का भुगतना करता है। इससे गरीब देशों को अपनी सेनाओं के खर्च के लिए मदद मिलती है। 

बांग्लादेश, नेपाल, भारत और रवांडा से पांच-पांच हजार से ज्यादा सैनिक शांतिरक्षक के तौर पर जाते हैं। अमेरिका वर्तमान में केवल 30 स्टाफ अफसरों को ही शांतिरक्षण के लिए भेजता है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने वर्ष 2000 में प्रस्ताव 1352 पारित करते हुए शांतिरक्षक सेना में लैंगिक असमानता का मुद्दा उठाया था। इसमें आग्रह किया गया था कि महिलाओं को भी सेवा का अवसर दिया जाना चाहिए। वर्ष 2018 से संरा ने शांतिरक्षक अभियानों में पुरुषों की संख्या के बराबर महिलाओं को रखने का विशेष निर्देश देना शुरू किया। शोध में पाया गया है कि युद्धग्रस्त क्षेत्रों में महिलाओं को नियुक्त करना एक अच्छा विचार है क्योंकि पुरुषों के मुकाबले उन्हें युद्ध की विभीषिका का ज्यादा अनुभव होता है।

महिला शांतिरक्षकों की कम संख्या के पीछे के 3 कारण

महिलाएं जब शांति समझौतों में भाग लेती हैं तो शांति ज्यादा समय तक कायम रहती है। अधिक मात्रा में महिला शांतिरक्षकों के होने से आम नागरिकों के साथ संबंध सुधारने में आसानी होती है। खुलेतौर पर संपर्क और स्थानीय लोगों तथा शांतिरक्षकों के बीच भरोसा बनने से बेहतर सांस्कृतिक समझ और मूल्यवान खुफिया जानकारी मिल सकती है। इसके अलावा यौन हिंसा के बारे में और अधिक सूचना प्राप्त हो सकती हैं क्योंकि युद्धग्रस्त क्षेत्र में महिलाएं किसी महिला शांतिरक्षक को आसानी से बता सकती हैं। इन सबके बावजूद, शांतिरक्षक सेनाओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने में तीन प्रमुख बाधाएं हैं। पहला यह कि किसी भी देश की सेनाओं में महिलाओं की हिस्सेदारी का प्रतिशत बेहद कम है।

भारत और तुर्की में यह एक प्रतिशत से भी कम है और हंगरी में 20 प्रतिशत तक है। दूसरे, बहुत कम देश महिलाओं को जमीनी लड़ाई के लिए प्रशिक्षित करते हैं। तीसरी बाधा यह है कि जो देश महिलाओं को लड़ाई के लिए प्रशिक्षित करते हैं वे लोकतांत्रिक और अमीर देश हैं। ऐसे देश संरा शांतिरक्षण अभियानों में अपने सैनिकों का योगदान नहीं देते या बेहद कम देते हैं। इन चुनौतियों से निपटे बिना संरा शांतिरक्षण अभियानों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना मुश्किल है।

Latest World News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Around the world News in Hindi के लिए क्लिक करें विदेश सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement