Friday, April 19, 2024
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नेपाली संसद के निचले सदन ने विवादित नक्शे संबंधित संशोधन को दी मंजूरी, भारत पहले ही जता चुका है आपत्ति

भारत ने नेपाल के दावों को खारिज करते हुए दोहराया कि यह सड़क पूरी तरह उसके भूभाग में स्थित है। नेपाल ने पिछले महीने देश का संशोधित राजनीतिक और प्रशासनिक नक्शा जारी कर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इन इलाकों पर अपना दावा बताया था।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: June 13, 2020 18:19 IST
Nepal Map- India TV Hindi
Image Source : AP Representational Image

नई दिल्ली. नेपाल की संसद के निचले सदन ने शनिवार को राजनीतिक नक्शे को बदलने संबंधित संविधान संशोधन विधेयक को पारित किया है। इस संसोधन में उस विवादित नए विवादित नक्शे को मंजूरी दे दी गई है, जिसमें भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा इलाकों को नेपाल ने अपना बताया है।  

इस विधेयक का अनुमोदन पहले से ही निश्चित माना जा रहा था क्योंकि विपक्षी नेपाली कांग्रेस और जनता समाजवादी पार्टी- नेपाल ने नए नक्शे को शामिल कर राष्ट्रीय प्रतीक को अद्यतन करने के लिये संविधान की तीसरी अनुसूची में संशोधन से संबंधित सरकार के विधेयक का समर्थन करने का फैसला था।

अब क्योंकि इस विधेयक को पारित किया जा चुका है, अब इसे नेपाल की राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा, जिसके बाद इसे संविधान में शामिल किया जाएगा। नेपाली संसद ने नौ जून को आम सहमति से इस विधेयक के प्रस्ताव पर विचार करने पर सहमति जताई थी। 

भारत और नेपाल के रिश्तों में दिखा तनाव

भारत और नेपाल के बीच रिश्तों में उस वक्त तनाव दिखा जब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आठ मई को उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे को धारचुला से जोड़ने वाली रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन किया। नेपाल ने इस सड़क के उद्घाटन पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए दावा किया कि यह सड़क नेपाली क्षेत्र से होकर गुजरती है।

भारत ने नेपाल के दावों को खारिज करते हुए दोहराया कि यह सड़क पूरी तरह उसके भूभाग में स्थित है। नेपाल ने पिछले महीने देश का संशोधित राजनीतिक और प्रशासनिक नक्शा जारी कर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इन इलाकों पर अपना दावा बताया था।

भारत यह कहता रहा है कि यह तीन इलाके उसके हैं। काठमांडू द्वारा नए नक्शे को जारी करने पर भारत ने नेपाल से कड़े शब्दों में कहा था कि वह क्षेत्रीय दावों को “कृत्रिम रूप से बढ़ा-चढ़ाकर” पेश करने का प्रयास न करे। नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने इस महीने के शुरू में कहा था कि उनकी सरकार कालापानी मुद्दे का समाधान ऐतिहासिक तथ्यों और दस्तावेजों के आधार पर कूटनीतक प्रयासों और बातचीत के जरिये चाहती है। 

With inputs from Bhasha

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