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UN में भारत के प्रहार से चित्त हुआ चीन, UNSC के ढुलमुल रवैये पर भी की तगड़ी चोट

संयुक्त राष्ट्र में भारत ने चीन का नाम लिए बगैर उसे सबके सामने फिर आईना दिखाया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने ढुलमुल रवैये के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की कार्यशैली को भी सवालों के घेरे में खड़ा किया। इससे पहले भी भारत स्थाई सदस्यता को लेकर कई बार यूएन में गरज चुका है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Apr 24, 2024 18:26 IST, Updated : Apr 24, 2024 18:26 IST
रुचिरा कांबोज, संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि।- India TV Hindi
Image Source : AP रुचिरा कांबोज, संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि।

संयुक्त राष्ट्रः  भारत ने संयुक्त राष्ट्र में एक बार फिर चीन को जमकर धोया है। यूएन में भारत की स्थाई प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने चीन पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए कहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की प्रतिबंध समितियों में प्रस्तावों पर लगाई गई रोक एक प्रकार का 'छिपा हुआ वीटो' है और इसकी आड़ में पाकिस्तान स्थित वैश्विक आतंकवादियों को सूचीबद्ध करने जैसे मामलों पर परिषद के कुछ सदस्य देश कोई जिम्मेदारी नहीं लेंगे। उन्होंने इस दौरान यूएनएसी की भी खिंचाई की।

संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि एवं राजदूत रुचिरा कम्बोज ने मंगलवार को कहा, ‘‘किसी भी संस्थान के काम करने के तरीकों को उसके सामने आने वाली चुनौतियों का जवाब देना चाहिए। कंबोज ने कहा कि बढ़ती हुई चुनौतियों का मुकाबला करने में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का रिकॉर्ड काफी निराशाजनक रहा है।’’ उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 'वीटो पहल- संयुक्त राष्ट्र प्रणाली को मजबूत करना' प्रस्ताव को सर्वसम्मति से अपनाने की दूसरी वर्षगांठ के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि सुरक्षा परिषद ने वीटो को छिपाने के लिए अपने कामकाज के तरीके का उपयोग किया। उसने इस काम को अपनी समितियों की तदर्थ कार्य पद्धतियों के माध्यम से छिपाने का प्रयास किया है जो उसकी तरफ से काम तो करती है, किंतु उसकी जवाबदेही बहुत कम है।

छिपी हुई वीटो शक्ति पर भारत ने यूएनएससी पर उठाया सवाल

भारत की प्रतिनिधि ने कहा, ‘‘ हममें से जो लोग मंजूरी समितियों की कार्य प्रणाली और 'रोक और अवरोध' लगाने की इसकी परंपरा से परिचित हैं, वे जानते हैं कि ये उन मामलों पर एक प्रकार की छिपी हुई वीटो शक्ति हैं, जिन पर कुछ परिषद सदस्य कोई जिम्मेदारी नहीं लेंगे और उन्हें अपने निर्णयों की व्याख्या करने की आवश्यकता नहीं होती है।’’ कम्बोज की यह टिप्पणी स्पष्ट रूप से चीन के संदर्भ में है। चीन ने सुरक्षा परिषद की 1267 अल कायदा प्रतिबंध समिति के तहत पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों को नामित करने के लिए भारत और अमेरिका जैसे उसके सहयोगी देशों द्वारा पेश किए गए प्रस्तावों पर बार-बार रोक लगाई है। दो साल पहले, संयुक्त राष्ट्र महासभा में संकल्प 76/262 को अपनाया गया था जिसमें यह निर्णय लिया गया था कि 193 सदस्यीय महासभा के अध्यक्ष 15 देशों की सुरक्षा परिषद के एक या अधिक स्थायी सदस्यों द्वारा वीटो करने के 10 दिनों के भीतर एक औपचारिक बैठक बुलाएंगे।

कम्बोज ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा प्रस्ताव में परिषद के कामकाज के तरीकों की अपारदर्शिता को संबोधित करने और जवाबदेही तय करने की आवश्यकता को प्रतिबिंबित करने वाली भावना का स्वागत है। उन्होंने कहा, ‘‘ इन प्रयासों के महत्व को पहचानते हुए, हम चाहेंगे कि इन प्रयासों को इस तरह से किया जाए जिससे उंगली उठाने के बजाय आम सहमति बनाने का माहौल बने। (भाषा)

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