Monday, April 29, 2024
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China and Russia Human Rights:चीन और रूस के मानवाधिकार रिकॉर्ड की होगी पड़ताल, यूएएन में कई देश देंगी कड़ी परीक्षा

China and Russia Human Rights:विशेषकर पश्चिमी देश संयुक्त राष्ट्र के मुख्य मानवाधिकार निकाय में दो बड़ी विश्व शक्तियों-चीन और रूस के मानवाधिकार रिकॉर्ड की पड़ताल को लेकर दोहरी चुनौतियों से गुजर रहे हैं।

Dharmendra Kumar Mishra Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published on: October 01, 2022 18:30 IST
China and Russia Human Rights- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV China and Russia Human Rights

Highlights

  • चीन में उइगर मुसलमानों पर ढाया जा रहा जुर्म
  • संयुक्त राष्ट्र के निकाय में चीन और रूस के मानवाधिकार रिकॉर्ड की पड़ताल
  • विकासशील देशों की मतदान में होगी कड़ी परीक्षा

China and Russia Human Rights:विशेषकर पश्चिमी देश संयुक्त राष्ट्र के मुख्य मानवाधिकार निकाय में दो बड़ी विश्व शक्तियों-चीन और रूस के मानवाधिकार रिकॉर्ड की पड़ताल को लेकर दोहरी चुनौतियों से गुजर रहे हैं। चीन पर जहां चरमपंथ विरोधी अभियान के दौरान पश्चिमी झिंजियांग में मानवाधिकार उल्लंघन करने के आरोप हैं, वहीं यूक्रेन में युद्ध का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों पर रूस सरकार की कार्रवाई भी पड़ताल के दायरे में है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की दो शक्तियों पर आरोप

राजनयिकों और मानवाधिकारों के पैरोकारों का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र के ऐसे दो प्रभावशाली सदस्यों के खिलाफ जाना कोई छोटा राजनीतिक लक्ष्य नहीं होगा, जो सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में शामिल हैं। यह लोकतांत्रिक और अधिक निरंकुश देशों के बीच बढ़ती खाई की गवाही देता है और भू-राजनीतिक दबदबे के एक दांव के रूप में आकार ले रहा है, जिसका परिणाम जिनेवा सम्मेलन कक्ष से परे प्रतिध्वनित होगा। जिनेवा में मानवाधिकार परिषद की बैठक होनी है। ऐसे में चीन और रूस के मानवाधिकारों के रिकॉर्ड की पड़ताल में दूसरे देशों की कड़ी परीक्षा होनी तय है।

चीन में उइगर मुसलमानों पर ढाया जा रहा जुर्म
 ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका और पांच नॉर्डिक देश झिंजियांग में उइगर और अन्य मुस्लिम जातीय समूहों के मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर मार्च में अपने अगले सत्र में चर्चा पर सहमत होने के लिए परिषद के सदस्यों का आह्वान कर रहे हैं। उनका उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख की 31 अगस्त की उस रिपोर्ट को गति देना है, जिसमें इस क्षेत्र में चरमपंथ विरोधी अभियान के दौरान मानवता के खिलाफ चीन के कथित अपराधों को लेकर चिंता जताई गई थी। गत मंगलवार को, हंगरी को छोड़कर यूरोपीय संघ के ज्यादातर देशों ने यूक्रेन में युद्ध के रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों की व्यापक गिरफ्तारी और नजरबंदी, पत्रकारों, विपक्षी नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और मानवाधिकारों के रक्षकों के उत्पीड़न को लेकर विशेष दूत नियुक्त करने का प्रस्ताव तैयार किया।

यूरोपीय राजनयिकों की नई चिंता
 दोनों मुद्दे सात अक्टूबर को परिषद के मौजूदा सत्र के अंत में मतदान के लिए रखे जाएंगे। बंद कमरे में गहन कूटनीति पहले से ही चल रही है। परिषद के वर्तमान 47 सदस्यों में एशिया, लातिन अमेरिका, अफ्रीका और मध्य पूर्व के विकासशील देशों की बहुतायत है। कुछ यूरोपीय राजनयिकों ने चिंता व्यक्त की है कि रूस और चीन दोनों के साथ कई विकासशील देशों के सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक संबंध है, साथ ही उनकी चीन पर निर्भरता पश्चिमी देशों के प्रयासों पर पानी फेर सकती है। ह्यूमन राइट्स वॉच के जॉन फिशर ने हाल ही में कहा कि चीन और रूस पर कार्रवाई इसकी शीर्ष दो प्राथमिकताएं हैं, और ये ‘कोई छोटी चुनौतियां नहीं’ हैं। उन्होंने कहा, ‘‘एक समय था जब चीन और रूस जैसे देशों को लगभग अछूत समझा जाता था, लेकिन अब यह महसूस होता है कि सिद्धांत वाले देश अंततः उन लोगों के लिए खड़े हैं, जो अंतरराष्ट्रीय नियम-आधारित व्यवस्था को बाधित करना चाहते हैं।’

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