Tuesday, April 30, 2024
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ISRO की चंद्रयान 3 टीम को मिला US के अंतरिक्ष क्षेत्र का शीर्ष पुरस्कार, दुनिया में बढ़ा भारत का मान

भारत के स्पेस साइंटिस्टों का लोहा पूरी दुनिया मान रही है। भारत ने चंद्रमा के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग कर दुनिया को बता दिया है कि वो अंतरिक्ष के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। इसरो की चंद्रयान 3 टीम को John L Jack Swigert Jr award मिला है।

Amit Mishra Edited By: Amit Mishra @AmitMishra64927
Updated on: April 10, 2024 7:45 IST
इसरो मिशन चंद्रयान 3 (फाइल फोटो)- India TV Hindi
Image Source : AP इसरो मिशन चंद्रयान 3 (फाइल फोटो)

वाशिंगटन: भारत के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का डंका पूरी दुनिया में बज रहा है। स्पेस के क्षेत्र में भारत के वैज्ञानिकों नें शानदार काम किया है और इसका उदाहरण है चंद्रयान 3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग। भारत के इस कार्य की सराहना पूरी दुनिया में हो रही है। इसी क्रम में अब भारत की चंद्रयान 3 मिशन टीम को अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए प्रतिष्ठित 2024 जॉन एल 'जैक' स्विगर्ट जूनियर पुरस्कार मिला है। 

स्पेस फाउंडेशन का शीर्ष पुरस्कार

कोलोराडो में वार्षिक अंतरिक्ष संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह के दौरान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की ओर से ह्यूस्टन में भारत के महावाणिज्य दूत डीसी मंजूनाथ ने यह पुरस्कार प्राप्त किया।  यह अमेरिका आधारित स्पेस फाउंडेशन का एक शीर्ष पुरस्कार है।

'भारत दुनिया के लिए प्रेरण'

स्पेस फाउंडेशन ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाले पहले देश के रूप में, इसरो का मिशन चंद्रयान 3 मानवता की अंतरिक्ष अन्वेषण आकांक्षाओं को समझ और सहयोग के लिए नए क्षेत्रों तक विस्तारित करता है। स्पेस फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हीदर प्रिंगल ने जनवरी में पुरस्कार की घोषणा के समय एक बयान में कहा था, ‘‘अंतरिक्ष में भारत का नेतृत्व दुनिया के लिए प्रेरणा है।’’ उन्होंने कहा था, “चंद्रयान 3 टीम के अग्रणी कार्य ने अंतरिक्ष अन्वेषण के स्तर को फिर से बढ़ा दिया है। उनकी उल्लेखनीय चंद्र लैंडिंग हम सभी के लिए एक मॉडल है। बधाई हो और हम यह देखने के लिए इंतजार नहीं कर सकते कि आप आगे क्या करते हैं!” 

पहला देश बना भारत 

भारत ने पिछले साल अगस्त में मिशन चंद्रयान 3 के तहत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कर इतिहास रच दिया था और चांद के इस क्षेत्र पर उतरने वाला  दुनिया का पहला देश बन गया था। भारत से पहले चांद के दक्षिणी ध्रुव पर किसी देश ने कदम नहीं रखा है। (भाषा) 

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