Saturday, April 20, 2024
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NASA Artemis 1 Mission: चांद पर पहली बार महिला को भेजेगा नासा, चंद्रमा को खंगालेंगी सैटेलाइट, 50 साल के बाद क्यों खास है ये मिशन?

NASA Artemis 1 Mission: नासा का आर्टेमिस-1 मिशन करीब आधी सदी के बाद मनुष्यों को चंद्रमा की यात्रा कराकर वापस लाने के एक महत्वपूर्ण कदम की ओर अग्रसर है। इस मिशन को 29 अगस्त 2022 को रवाना किया जाना है और नासा की अतंरिक्ष प्रक्षेपण प्रणाली और ऑरियन क्रू कैप्सूल के लिए यह महत्वपूर्ण यात्रा होने वाली है।

Ravi Prashant Edited By: Ravi Prashant @iamraviprashant
Updated on: August 28, 2022 18:23 IST
NASA Artemis 1 Mission- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV NASA Artemis 1 Mission

Highlights

  • आर्टेमिस-1 मानवरहित मिशन होगा
  • अंतरिक्ष यात्री कक्षा में ही जाएंगे
  • कुछ छोटे उपग्रहों को कक्षा में छोड़ेगा और स्वयं कक्षा में स्थापित हो जाएगा

NASA Artemis 1 Mission: नासा का आर्टेमिस-1 मिशन करीब आधी सदी के बाद मनुष्यों को चंद्रमा की यात्रा कराकर वापस लाने के एक महत्वपूर्ण कदम की ओर अग्रसर है। इस मिशन को 29 अगस्त 2022 को रवाना किया जाना है और नासा की अतंरिक्ष प्रक्षेपण प्रणाली और ऑरियन क्रू कैप्सूल के लिए यह महत्वपूर्ण यात्रा होने वाली है। यह अंतरिक्ष यान चंद्रमा तक जाएगा, कुछ छोटे उपग्रहों को कक्षा में छोड़ेगा और स्वयं कक्षा में स्थापित हो जाएगा। नासा का उद्देश्य अंतरिक्ष यान के परिचालन का प्रशिक्षण प्राप्त करना और चंद्रमा के आसपास अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा अनुभव किए जाने वाले हालात की जांच करना है। साथ ही सुनिश्चित करना है कि अंतरिक्षयान और उसमें सवार प्रत्येक अंतरिक्ष यात्रा सुरक्षित तरीके से पृथ्वी पर लौट सके।

 क्या काफी शक्तिशाली है ये रॉकेट?

द कन्वरसेशन ने कोलोराडो बोल्ड विश्वविद्यालय में प्रोफसर और अंतरिक्ष वैज्ञानिक एवं नासा के प्रेसिडेंशियल ट्रांजिसन टीम के पूर्व सदस्य जैक बर्नस से आर्टेमिस मिशन के बारे में विस्तार से बताने को कहा। उनसे पूछा कि आर्टेमिस कार्यक्रम से अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में क्या सुनिश्चित होगा, यह चंद्रमा पर मानव कदम पड़ने की आधी सदी के बाद अंतरिक्ष कार्यक्रम में बदलाव को किस तरह से प्रतिबिंबित करेगा। यह भी पूछा कि आर्टेमिस-1 अन्य रॉकेट से कैसे अलग है जिन्हें नियमित रूप से प्रक्षेपित किया जाता है? आर्टेमिस-1 नयी अंतरिक्ष प्रक्षेपण प्रणाली की पहली उड़ान होगी। यह हेवी लिफ्ट (भारी वस्तु कक्षा में स्थापित करने में सक्षम) रॉकेट है जैसा कि नासा उल्लेख करता है। इसमें अबतक प्रक्षेपित रॉकेटों के मुकाबले सबसे शक्तिशाली इंजन लगे हैं। यहां तक कि वर्ष 1960 एवं 1970 के दशक में चंद्रमा पर मनुष्यों को पहुंचाने वाले अपोलो मिशन के सैटर्न पंचम प्रणाली से भी शक्तिशाली है।

कितना एडवांस है ये रॉकेट?
यह नयी तरह की रॉकेट प्रणाली है क्योंकि इसके मुख्य इंजन दोनों तरल ऑक्सीजन और हाइड्रोजन प्रणाली का सम्मिश्रण है, साथ ही अंतरिक्ष यान से प्रेरणा लेकर दो ठोस रॉकेट बूस्टर भी लगे हैं। यह वास्तव में अंतरिक्ष यान (स्पेस शटल) और अपोलों के सैटर्न पंचम रॉकेट को मिलाकर तैयार हाइब्रिड स्वरूप है। यह परीक्षण बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि ऑरियन क्रून कैप्सूल का वास्तविक कार्य देखने को मिलेगा।यह प्रशिक्षण चंद्रमा के अंतरिक्ष वातावरण में करीब एक महीने होगा जहां पर विकिरण का उच्च स्तर होता है। यह कैप्सूल के ऊष्मा रोधक कवच (हीट शिल्ड) के परीक्षण के लिए भी यह महत्वपूर्ण है जो 25 हजार मील प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी पर लौटते समय घर्षण से उत्पन्न होन वाली गर्मी से कैप्सूल और उसमें मौजूद लोगों को बचाता है। अपोलो के बाद यह सबसे तेज गति से यात्रा करने वाला कैप्सूल होगा, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि ऊष्मा रोधी कवच ठीक से काम करे।

छोटे उपग्रहों की श्रृंखला चांद पर क्या करेंगे?
यह मिशन अपने साथ छोटे उपग्रहों की श्रृंखला को ले जाएगा जिन्हें चंद्रमा की कक्षा में स्थापित किया जाएगा। ये उपग्रह पूर्व सूचना देने का काम करेंगे जैसे हमेशा अंधेरे में रहने वाले चंद्रमा के गड्ढों (क्रेटर) पर नजर रखने का काम, जिनके बारे में वैज्ञानिकों का मनना है कि उनमें पानी है। इन उपग्रहों की मदद से पानी में विकिरण की गणना की जानी है ताकि लंबे समय तक ऐसे वातारण में रहने वाले मनुष्यों पर पड़ने वाले असर का आकलन किया जा सके

आर्टेमिस परियोजना का लक्ष्य क्या है?
यह मिशन आर्टेमिस-3 मिशन के रास्ते में पहला कदम है जिसका नतीजा 21वीं सदी में पहली बार चंद्रमा के लिए मानव मिशन के रूप में होगा। इसके साथ ही वर्ष 1972 के बाद पहली बार मानव चंद्रमा पर कदम रखेगा। आर्टेमिस-1 मानवरहित मिशन होगा। अगले कुछ साल में आर्टेमिस-2 को प्रक्षेपित करने की योजना है जिसके साथ अंतरिक्ष यात्रियों को भी भेजा जाएगा और इस दौरान अंतरिक्ष यात्री कक्षा में ही जाएंगे जैसा कि अपोला-8 मिशन में हुआ था। तब अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा का चक्कर काटकर वापस लौट आए थे। हालांकि अंतरिक्ष यात्रा चंद्रमा का चक्कर लगाते हुए लंबा समय व्यतीत करेंगे और मानव दल के साथ सभी पहलुओं का परीक्षण करेंगे।

इसके बाद आर्टेमिस- 3 मिशन चंद्रमा की सतह पर जाने के लिए रवाना होगा जो इस दशक के मध्य में जाने की संभावना है और स्पेस एक्स स्टाशिप मिल सकता है और अंतरिक्ष यात्रियों की अदाला-बदली कर सकता है। ऑरियन कक्षा में ही रहेगा और लूनर स्टाराशिप अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा की सतह पर ले जाएगा। वे चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर जाएंगे। इन क्षेत्रों को वैज्ञानिकों ने अबतक समुचित रूप से अध्ययन नहीं किया है और इसके बाद वे वहं मौजूद बर्फ की जांच करेंगे।

क्या आर्टेमिस, अपोलो के समान है?
अपोलों मिशन की परिकल्पना (अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जे एफ) कैनेडी ने शुरुआत में सोवियत संघ को मात देने के लिए की। प्रशासन विशेष तौर पर अंतरिक्ष या चंद्रमा की यात्रा को प्राथमिकता नहीं दी, लेकिन उनका स्पष्ट उद्देश्य अंतरिक्ष और प्रौद्योगिकी के मामले में अमेरिका को पहले स्थान पर स्थापित करना था। आधी सदी बीतने के बाद माहौल अब अलग है। हम यह रूस या चीन या किसी और को मात देने के लिए नहीं कर रहे हैं बल्कि पृथ्वी की कक्षा से परे स्थायी अन्वेषण शुरू करने के लिए कर रहे हैं।

इतने सालों में क्या बदलाव आए?
आर्टेमिस कार्यक्रम के कई लक्ष्य है जिनमें यथा संभव संसाधनों का इस्तेमाल है, जिसका अभिप्राय है चंद्रमा पर मौजूद बर्फ के रूप में मौजूद पानी और मिट्टी का इस्तेमाल खाना, ईंधन और इमारत निर्माण सामग्री बनाने में करना। यह कार्यक्रम चंद्रमा और अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था स्थापित करने में मदद करेगा। इसकी शुरुआत उद्यमिता से हो रही है क्योंकि स्पेसएक्स चांद के सतह पर पहुंचने के इस पहले मिशन का हिस्सा है। नासा स्टारशिप का स्वामित्व नहीं रखता लेकिन यह सीटों को खरीद रहा है ताकि अतंरिक्ष यात्री चंद्रमा के सतह पर जा सके।

स्पेसएक्स इसके बाद स्टारशिप का इस्तेमाल अन्य उद्देश्यों जैसे प्रक्षेपकों के परिवहन, निजी अंतरिक्ष यात्रियों और अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के परिवहन में कर सकती है। पचास साल के प्रौद्योगिकी विकास का अभिप्राय है कि चंद्रमा पर जाना अब कम महंगा और प्रौद्योगिकी के लिहाज से अधिक व्यावहरिक है, अधिक जटिल प्रयोग संभव है। बीते 50 साल के तकनीकी विकास से आमूल-चूल बदलाव आया है। अब कोई भी वित्तीय संसाधन से युक्त व्यक्ति अंतरिक्ष यान को चंद्रमा तक भेज सकता है। हालांकि, जरूरी नहीं कि वह मनुष्यों को ही भेजे।

आर्टेमिस से क्या बदलाव आ सकते हैं?
नासा ने बताया कि पहला मानव मिशन आर्टेमिस-3 के जरिये भेजा जाएगा जिसमें कम से कम एक महिला होगी और संभव है कि अंतरिक्ष यात्री अश्वेत हों। ऐसे अंतरिक्ष यात्रियों की संख्या एक या कई हो सकती है। मैं इसमें और विविधता देखता हूं क्योंकि आज के युवा जो नासा को देखते हैं, कह सकते हैं, ‘‘देखों, वह अंतरिक्ष यात्री मेरे जैसा दिखता है। मैं भी यह कर सकता हूं। मैं भी अंतरिक्ष कार्यक्रम का हिस्सा हो सकता हूं।

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