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मर्डर केस के आरोपी को 24 साल बाद पुलिस ने धर दबोचा, नालंदा से हुई गिरफ्तारी, जानें पूरा मामला

वर्ष 2000 में एक फैक्ट्री में अपने सहकर्मी की हत्या कर फरार आरोपी को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी हत्या के 24 साल बाद हुई है।

Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Published : Aug 04, 2024 8:35 IST, Updated : Aug 04, 2024 8:35 IST
Arrest, murder case- India TV Hindi
Image Source : FILE प्रतीकात्मक तस्वीर

पटना: अपने सहकर्मी की हत्या कर फरार आरोपी को पुलिस ने आखिरकार 24 साल बाद धर दबोचा है। अपराध दिल्ली में हुआ था और गिरफ्तारी दिल्ली पुलिस की टीम ने नालंदा से की है। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने द्वारका के उत्तम नगर इलाके में एक फैक्ट्री कर्मचारी की हत्या करने के आरोपी सकेंद्र यादव उर्फ शक्‍की को गिरफ्तार किया है। उसपर अपने गांव के ही एक साथी रामस्वरूप की हत्या का आरोप है। रामस्वरूप भी आरोपी के गांव का ही रहनेवाला था और दोनों एक साथ दिल्ली में काम करते थे। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने  इससे पहले इसी मामले में फरार आरोपी पप्पू यादव को ब‍िहार के नालंदा से गिरफ्तार किया था।   

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वर्ष 2000 में सहकर्मी की हत्या कर फरार हुआ था आरोपी

क्राइम ब्रांच के डीसीपी सतीश कुमार ने बताया कि तीन अन्य लोगों - पप्पू यादव, मोंटू यादव और विजय के साथ मिलकर वर्ष 2000 में अपने सहकर्मी रामस्वरूप की कथित तौर पर गला घोंटकर हत्या कर दी थी। हाल ही में दिल्ली पुलिस को साकेंद्र कुमार के ठिकाने के बारे में सूचना मिली थी, जिसके बाद पुलिस टीम ने बिहार के नालंदा स्थित गांव में छापा मारा और उसे गिरफ्तार कर लिया। 

बार-बार बदल रहा था ठिकाने 

दिल्ली की कोर्ट ने उसे 26 मई 2000 को भगोड़ा घोषित कर दिया था। इसके बाद से पुलिस को उसकी तलाश थी। लेकिन यह शातिर अपराधी पुलिस से बचने के लिए बार-बार अपने ठिकाने बदल रहा था। पुलिस ने जब पूछताछ की तो उसने बताया कि वह रामस्वरूप यादव उर्फ मोदी की हत्या में शामिल था। उसके साथ पप्पू यादव, मोंटू यादव और विजय भी इस मर्डर में शामिल थे। हत्या के बाद शव को फैक्ट्री के अंदर ही एक कमरे में कच्चे प्लास्टिक की परतों के नीचे फेंक दिया था और कमरे को बाहर से बंद कर दिया था।

सूरत के कपड़ा मिल में किया काम

आरोपी ने बताया कि गिरफ्तारी से बचने के लिए वह इधर-उधर भागता रहे। इस दौरान वह कई शहरों में रहा। शुरुआत में करीब दो से तीन सात तक सूरत में रहा जहां उसने एक कपड़ा मिल में काम किया। इसके बाद वह सूरत से पटना चला गया और वहां पर मजदूर का काम किया। बाद में पटना में एक किराना होम डिलवरी कंपनी में उसने नौकरी की और परिवार के साथ पटना में ही बस गया। (इनपुट-भाषा)

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