Thursday, April 25, 2024
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क्या है सीरो सर्वे जिसकी कोरोना रिपोर्ट को लेकर मचा हुआ है हड़कंप

देश की राजधानी दिल्ली में सीरो सर्वे के नतीजे आने के बाद हड़कंप मच गया है। इस रिपोर्ट में करीब 23 प्रतिशत लोगों के कोविड-19 से प्रभावित होने का पता चला है। एनसीडीसी के निदेशक डॉ. सुजीत कुमार ने कहा कि शेष 77 प्रतिशत लोगों के लिए अब भी विषाणुजनित बीमारी का जोखिम है।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: July 22, 2020 9:08 IST
One in four people in Delhi infected by Covid till first week of July, sero survey finds- India TV Hindi
Image Source : PTI One in four people in Delhi infected by Covid till first week of July, sero survey finds

नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में सीरो सर्वे के नतीजे आने के बाद हड़कंप मच गया है। इस रिपोर्ट में करीब 23 प्रतिशत लोगों के कोविड-19 से प्रभावित होने का पता चला है। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के निदेशक डॉ. सुजीत कुमार ने कहा कि शेष 77 प्रतिशत लोगों के लिए अब भी विषाणुजनित बीमारी का जोखिम है और रोकथाम के उपाय समान कठोरता के साथ जारी रहने चाहिए। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार एनसीडीसी द्वारा दिल्ली सरकार के सहयोग से 27 जून से 10 जुलाई तक के बीच किया गया अध्ययन यह भी दिखाता है कि बड़ी संख्या में संक्रमित व्यक्तियों में लक्षण नहीं थे।

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इस अध्ययन में 21,387 नमूने शामिल किए गए। सिंह ने कहा, ‘‘एलिसा जांच किट की संवेदनशीलता और विशिष्टता को ध्यान में रखते हुए, आंकड़े समायोजित किए गए और यह दिल्ली में 22.86 प्रतिशत पाया गया। इसे ही सही आंकड़ा माना जाना चाहिए। कुल 11 जिलों में से 20 में 20 प्रतिशत से अधिक सीरो-प्रीवलेंस हैं।’’ उन्होंने कहा कि सीरो-निगरानी इसलिए की गई ताकि यह पता लगाया जा सके कि दिल्ली की कुल आबादी में कितने अनुपात में लोग कोरोना वायरस से प्रभावित हैं और प्रत्येक जिले से लिये गए नमूनों की संख्या उस क्षेत्र की जनसंख्या के अनुपात में थी।

क्या है सीरो सर्वे

सीरो-सर्वेक्षण अध्ययनों में लोगों के ब्लड सीरम की जांच करके किसी आबादी या समुदाय में ऐसे लोगों की पहचान की जाती है, जिनमें किसी संक्रामक रोग के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित हो जाती हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने इससे पहले कहा था, “सीरो-प्रीवलेंस अध्ययन के परिणाम दिखाते हैं कि औसतन, पूरी दिल्ली में आईजीजी एंटीबॉडी की मौजूदगी 23.48 प्रतिशत है। यह अध्ययन यह भी दिखाता है कि कई संक्रमित लोगों में संक्रमण के लक्षण नहीं थे।” सिंह ने सर्वेक्षण के निष्कर्षों को साझा करते हुए कहा कि इसमें पता चला कि राष्ट्रीय राजधानी के 11 जिलों में से आठ में 20 प्रतिशत से अधिक आबादी के शरीर में कोविड-19 से लड़ने वाली एंटीबॉडी थीं।

उन्होंने कहा, “इसका अर्थ है कि वैश्विक महामारी के करीब छह माह के प्रसार के दौरान, दिल्ली में केवल 22.86 प्रतिशत लोग ही प्रभावित हुए जबकि शहर में घनी आबादी वाले कई इलाके हैं।” मंत्रालय ने इसका श्रेय संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए लॉकडाउन, नियंत्रण एवं निगरानी के उपाय, संक्रमित लोगों के संपर्क में आए लोगों का पता लगाने समेत सरकार द्वारा किए गए अन्य प्रयासों तथा कोविड के संदर्भ में नागरिकों के उचित व्यवहार को दिया। मंत्रालय ने कहा कि शारीरिक दूरी, मास्क या कवर का इस्तेमाल, हाथों की स्वच्छता और भीड़-भाड़ वाली जगह से बचने जैसे कदमों का सख्ती से पालन करना होगा।

दिल्ली के सभी 11 जिलों के लिए सर्वेक्षण टीमें गठित की गई थीं। चयनित व्यक्तियों से उनकी लिखित सहमति लेने के बाद रक्त के नमूने लिए गए और उनके सीरम में आईजीजी एंटीबॉडी तथा संक्रमण की जांच की गई। इसके लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा स्वीकृत कोविड कवच एलिसा का इस्तेमाल किया गया।

राजधानी के दक्षिण-पूर्वी जिले में सीरो उपलब्धता 22.12 प्रतिशत, शाहदरा में 27.61, उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में 23.31, नयी दिल्ली में 22.87, मध्य दिल्ली में 27.86, दक्षिण-पश्चिमी में 12.95, उत्तर-पूर्वी जिले में 27.7, पूर्वी दिल्ली में 23.9, उत्तरी दिल्ली में 25.26, दक्षिणी दिल्ली में 18.61 और पश्चिमी दिल्ली में सीरो उपलब्धता 19.13 प्रतिशत पाई गई।

नीति आयोग के सदस्य वी के पॉल ने कहा, ‘‘क्योंकि एंटीबॉडीज बनने में लगभग 14 दिन लगते हैं, इसलिए अध्ययन दिल्ली की जून के तीसरे सप्ताह (महीने के 18वें और 19वें दिन) की तस्वीर दिखाता है जब संक्रमण के मामले तेज गति से बढ़ रहे थे।’’ दिल्ली में मंगलवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 1,349 नए मामले सामने आए जिससे शहर में कुल मामलों की संख्या 1.25 लाख से अधिक हो गई। राजधानी में महामारी की वजह से 3,690 लोगों की मौत हुई है।

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