Friday, May 17, 2024
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मुंबई के यश अवधेश समस्याएं झेल आईआईएम तक पहुंचे

मुंबई के रहने वाले यश अवधेश गांधी ने सेरेब्रल पल्सी, डिस्लेक्सिया, डिसर्थिया से जूझते हुए 92.5 प्रतिशत अंकों के साथ कैट-2019 परीक्षा पास कर नजीर पेश की है। अब आईएआईएम-लखनऊ के छात्र 21 वर्षीय यश पिछले एक महीने से मुंबई स्थित अपने घर से ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल हो रहे हैं।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: September 08, 2020 18:29 IST
Mumbai's Yash Awadhesh reaches IIM with problems- India TV Hindi
Image Source : GOOGLE Mumbai's Yash Awadhesh reaches IIM with problems

लखनऊ। मुंबई के रहने वाले यश अवधेश गांधी ने सेरेब्रल पल्सी, डिस्लेक्सिया, डिसर्थिया से जूझते हुए 92.5 प्रतिशत अंकों के साथ कैट-2019 परीक्षा पास कर नजीर पेश की है। अब आईएआईएम-लखनऊ के छात्र 21 वर्षीय यश पिछले एक महीने से मुंबई स्थित अपने घर से ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल हो रहे हैं। एक स्थानीय समाचारपत्र को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा, "मैं नंबरों को लेकर समस्याओं का सामना करता हूं। इसलिए, मुझे ज्यादा मेहनत करनी पड़ी, विशेष रूप से क्वांटिटेटिव एबिलिटी सेलेक्शन में। यह कठिन था, लेकिन असंभव नहीं था।"

यश को लिखित परीक्षा देने के लिए एक राइटर की जरूरत पड़ी, क्योंकि उन्हें चलने में कठिनाई होती है, लेकिन फिर भी वह मुंबई की लोकल ट्रेनों में यात्रा करते हैं, वह ठीक से बोल नहीं पाते हैं, लेकिन अपने विचारों और भावनाओं को स्पष्टता के साथ जाहिर करते हैं। उनकी कहानी प्रेरणादायक है। यश ने कैट के लिए जुलाई 2018 में तैयारी शुरू कर दी थी, जब वह अपने स्नातक के दूसरे वर्ष में थे।

उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई और कैट पास करने के बाद, उन्हें कोझिकोड और इंदौर सहित कई आईआईएम से इंटरव्यू कॉल आए, लेकिन उन्होंने लखनऊ को चुना, क्योंकि इसकी रैंकिंग ज्यादा बेहतर है। उन्होंने शैक्षणिक सत्र 2020-22 के लिए विकलांग कोटा के तहत आईआईएम-लखनऊ में दाखिला लिया। यश को सेरेब्रल पाल्सी, डिस्लेक्सिया और डिसर्थिया है, एक ऐसी स्थिति जो बोलने के लिए आवश्यक मांसपेशियों को कमजोर करती है।

यश के माता-पिता हमेशा उनका साथ देते आए हैं। एक निजी कंपनी में काम करने वाले यश के पिता अवधेश गांधी ने कहा, "जब उसने स्कूल जाना शुरू किया, तो उसे सीखने में दिक्क त हुई और वह अपने सहपाठियों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहा था। उसे आम बच्चों की अपेक्षा हमेशा ज्यादा मेहनत करनी पड़ी।"

उन्होंने कहा कि कैट के लिए तैयारी करते समय, एक पड़ाव ऐसा भी आया जब यश इतना उदास था कि उसने इसे छोड़ देने का फैसला किया। यश की मां जिग्नाशा ने कहा, "मैंने उसे बताया कि उसमें कुछ भी करने की क्षमता है और उसे प्रयास करना बंद नहीं करना चाहिए। इसके बाद, यश ने फिर से शुरू किया।"अपने गुरु और हर्षित हिंदोचा के लिए यश के दिल में एक खास स्थान है।

हर्षित ने कहा कि यश की सफलता धैर्य और प्रतिबद्धता की एक आदर्श कहानी है। वह शांत रहता है। वह कभी हार नहीं मानता है।यश ने अपना ग्रेजुएशन मुंबई के मीठीबाई कॉलेज से अकाउंटिंग और फाइनेंस से किया और शीर्ष पांच में जगह बनाई।

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