Monday, April 29, 2024
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पीएचडी और रिसर्च करने वाले वालों के लिए तय होगी समय-सीमा, केंद्र सरकार ने दिए निर्देश

केंद्र सरकार ने Aiims दिल्ली को निर्देश दिए हैं कि पीएचडी और रिसर्च करने वाले वालों के लिए समय-सीमा तय की जाए। ये समय सीमा 6 साल की होगी यानी कि अब 6 साल के अंदर रिसर्च कम्प्लीट करना होगा।

IndiaTV Hindi Desk Edited By: IndiaTV Hindi Desk
Published on: July 31, 2023 16:06 IST
Aiims Delhi,- India TV Hindi
Image Source : FILE Aiims Delhi

केंद्र सरकार ने हाल ही में एक एक निर्देश जारी किया है। इस निर्देश के मुताबिक, पीएचडी और रिसर्च करने वाले वालों के लिए समय-सीमा तय की जाएगी। केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स)-दिल्ली से पीएचडी की डिग्री के लिए रिसर्च कर रहे या रिसर्च प्रोजेक्ट पर काम कर रहे साइंटिस्ट्स के लिए 6 साल की समय सीमा तय करने को कहा है। हालांकि एम्स प्रशासन ने अभी यह आदेश लागू नहीं किया है। एम्स में पीएचडी की डिग्री के लिए रिसर्च कर रहे और रिसर्च प्रोजेक्ट पर काम कर रहे साइंटिस्ट इस फैसले का पिछले कुछ दिनों से विरोध कर रहे हैं। वहीं, प्रमुख चिकित्सा संस्थान के फैकल्टी मेंबर ने भी इस कदम पर विरोध जताया है।

नए निर्देश जारी

स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने 12 जुलाई के जारी निर्देश में कहा कि रिसर्च और रिसर्च प्रोजेक्ट में कार्यरत साइंटिस्ट्स को संस्थान में कुल 6 साल की अवधि से अधिक समय तक काम करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। साइंटिस्ट्स के विरोध के बाद, एम्स प्रशासन ने 10 जुलाई को अपने पहले के उस आदेश को रद्द कर दिया था, जिसमें उसने रिसर्चर की भर्ती और सेलेक्शन प्रोसेस को यह कहते हुए रोक दिया था कि संबंधित दिशा-निर्देशों की समीक्षा की जा रही है। इसके बाद मंत्रालय ने 12 जुलाई को एम्स प्रशासन को एक नए निर्देश जारी किए, जिसमें उससे प्रोजेक्ट में काम करने की अवधि को 6 साल तक सीमित करने के लिए कहा गया।

लगभग 1,400 लोग हो जाएंगे सस्पेंड 

‘सोसाइटी ऑफ यंग साइंटिस्ट्स’ (एसवाईएस) के बैनर तले पीएचडी की डिग्री के लिए रिसर्च कर रहे छात्रों और एम्स के साइंटिस्ट्स के समूह ने आरोप लगाया है कि यह समय सीमा लागू करने से एम्स में विभिन्न परियोजनाओं के तहत रिसर्च कर रहे साइंटिस्ट्स और टेक्निकल कर्मचारियों सहित लगभग 1,400 कर्मचारी तत्काल सस्पेंड हो जाएंगे। एम्स के ‘फैकल्टी एसोसिएशन’ और ‘एम्स नर्सेज यूनियन’ ने भी इस मामले पर एसवाईएस को अपना समर्थन दिया था। 

(इनपुट- पीटीआई)

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