Sunday, December 07, 2025
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Explainer: बिहार और आंध्र प्रदेश मांग रहे विशेष राज्य का दर्जा, जानें मिलने पर इन राज्यों को क्या होगा फायदा?

पीएम मोदी की तीसरी सरकार बनने से पहले ही बिहार ने विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग करना शुरू कर दिया है। वहीं, आंध्र प्रदेश भी कतार में लगा हुआ है। ऐसे में आइए समझते हैं कि विशेष राज्य का दर्जा मिलने पर क्या फायदा होता है?

Written By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published : Jun 06, 2024 02:00 pm IST, Updated : Jun 06, 2024 02:05 pm IST
BIHAR, Andhra Pradesh- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV बिहार और आंध्र प्रदेश मांग रहे विशेष राज्य का दर्जा

देश में तीसरी बार NDA की सरकार बनी है पर बीजेपी के लिए इस बार की राह इतनी आसान नहीं होने वाली है। चूंकि बीजेपी इस बार बहुमत के लिए टीडीपी और जेडीयू जैसी पार्टियों के समर्थन के सहारे टिकी होगी। ऐसे में सरकार बनने के पहले से ही लग रहा कि सहयोगी दल समर्थन की कीमत बीजेपी से जबरदस्त तरीके से वसूलने की कोशिश में हैं और इसकी अभी से तस्वीर साफ दिखने लगी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरी बार शपथ लेने से पहले ही जेडीयू ने अपनी डिमांड सामने रख दी है। सीएम नीतीश कुमार के बेहद करीबी और राज्य के मंत्री विजय चौधरी ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग कर दी है।

क्या बोले बिहार के मंत्री

बिहार सरकार के मंत्री विजय चौधरी ने कहा हम लोग जो पहले से कहते रहे हैं कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा, विशेष मदद, विशेष पैकेज मिलना चाहिए और हम लोग ये स्व कारण कहते हैं इसलिए की हमारे संसाधन सीमित हैं और उस पर भी हम लोग सबसे तेज गति से तरक्की कर रहे हैं और फिर भी दो सच्चाई है कि हम लोग सभी मानकों पर अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन फिर भी गरीबी के पैमाने पर हम गरीब रह जा रहे हैं, मतलब ये अपने आप में साबित करता है कि बिहार को जब इतना सुशासित प्रदेश है पर वैसे प्रदेश को विशेष मदद मिलना चाहिए।

नीतीश ने पहली बार सीएम बनते ही की थी मांग

इनके साथ ही गोपालगंज से JDU संसद गोपाल कुमार सुमन और जदयू के सीनियर लीडर केसी त्यागी ने भी इस पर मुहर लगा दी है, उन्होंने कहा कि बिहार को विशेष दर्जा देने की मांग पहले से है और अब भी वो मांग रहेगा। केसी त्यागी ने भी बिहार को स्पेशल स्टेट्स में शामिल करने की बात कही है। वैसे बता दें कि बिहार को विशेष राज्य के दर्जा जेडीयू की कोई नई मांग नहीं है। नीतीश लंबे समय से पीएम मोदी के सामने ये मुद्दा उठाते रहे हैं, लेकिन बदले हालात में उनकी मांग काफी अहम हो गई है। वैसे बता दें कि सीएम नीतीश कुमार ने सबसे पहले इस मुद्दे को तब उठाया था, जब वह 2005 में पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी।

चंद्र बाबू नायडू की भी यही मांग

वहीं, टीडीपी प्रमुख चंद्र बाबू नायडू की भी लंबे समय से आंध्र प्रदेश के लिए यही मांग है। उन्हें भी अपने राज्य के लिए विशेष दर्जा चाहिए। चंद्र बाबू नायडू भी विशेष राज्य के दर्जे के लिए काफी समय से अभियान चला रहे हैं। जब साल 2014 में आंध्र प्रदेश का बंटवारा हुआ और तेलंगाना अलग राज्य बना तो आंध्र के राजस्व के एक बड़े हिस्से का नुकसान हुआ। इसके बाद नायडू ने साल 2017 में राज्य के लिए विशेष दर्जा देने की मांग उठाई।  आइए आज जानते हैं कि आखिर स्पेशल पैकेज क्या है और इसे किन राज्यों को दिया जा सकता है इससे राज्यों को क्या फायदा मिल सकता है।

क्या होता है विशेष राज्य का दर्जा?

दरअसल, स्पेशल स्टेट्स का दर्जा उन राज्यों को दिया जाता है, जो देश के बाकी हिस्सों की तुलना में पिछड़े हुए हैं। ऐसे राज्यों को विकसित करने के लिए केंद्र सरकार के स्पेशल एटेंशन की जरूरत पड़ती है। विशेष राज्य का दर्जा मिलने के बाद से प्रदेश सरकार को कई तरह की छूट और अनुदान मिलने लगते हैं। साथ ही उन्हें विशेष राज्य का दर्जा देकर केंद्र की ओर से विशेष पैकेज, टैक्स में छूट जैसी राहत मिलती है, ताकि उन राज्यों में रोजगार, विकास, कारोबार का विकास हो सके।अभी ज्यादातर ये दर्जा दुर्गम पहाड़ी राज्यों के पास है।

क्या फायदा होता है?

अब जानिए कि विशेष राज्य का दर्जा मिलने से क्या फायदा होता है? राज्य में चलने वाली केंद्रीय योजनाओं में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी बढ़ जाती है। केंद्र सरकार से वित्तीय मदद मिलती है। राज्य के उद्योगों को टैक्स में रियायत मिलने लगती है, वहीं एक्साइज, कस्टम ड्यूटीज में बड़ी राहत मिलती है। केंद्र सरकार की ओर से मिलने वाले फंड में 90 फीसदी अनुदान का होता है, जबकि सिर्फ 10 फीसदी कर्ज होता है, जिसपर राज्यों को ब्याज तक नहीं देना पड़ता है।

विशेष राज्य का दर्जा कैसे मिलेगा?

अगर बिहार और आंध्र प्रदेश की विशेष राज्य के दर्जे की मांग मानी जाती है तो उसका रास्ता क्या हो सकता है ये भी जान लीजिए। सरकार के गठन के बाद जुलाई में बजट आएगा। ऐसे में वित्त मंत्रालय एक विशेष पैकेज तैयार कर सकता है। इसका साइज़ एक लाख करोड़ तक का हो सकता है। ये एकमुश्त नहीं मिलेगा बल्कि इसकी मियाद एक साल तक रखी जा सकती है यानी ये पैकेज (1 लाख करोड़ रुपए) एक साल में ही जारी किए जाएंगे।

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