Explainer: ये हैं रूस के छुपे रुस्त्म! बिना नजर में आए पूरा कर सकते हैं मिशन; जानें इनकी ताकत
Explainer: ये हैं रूस के छुपे रुस्त्म! बिना नजर में आए पूरा कर सकते हैं मिशन; जानें इनकी ताकत
रूस आधुनिक समय की जंग के लिए खुद को अपडेट करते हुए ड्रोन टेक्नोलॉजी में तेजी से कार्य कर रहा है। निगरानी से लेकर हमला करने तक, रूस के पास हर स्तर के ड्रोन मौजूद हैं। चलिए आपका परिचय रूस की ड्रोन ताकत से कराते हैं।
Russia Drone Technology: ड्रोन टेक्नोलॉजी 21वीं सदी के आधुनिक युद्धों और निगरानी अभियानों का बेहद अहम हिस्सा बन चुकी है। रूस ने भी ड्रोन तकनीक के क्षेत्र में जबरदस्त प्रगति की है। हाल ही में रूस की K8 ड्रोन टेक्नोलॉजी चर्चा में रही है। चलिए आपको रूस की K8 तकनीक के बारे में जानकारी देते हैं साथ ही यह भी बताते हैं कि रूस के पास कौन-कौन से प्रमुख ड्रोन मौजूद हैं। सबसे पहले समझते हैं कि यह K8 ड्रोन टेक्नोलॉजी क्या है।
K8 ड्रोन टेक्नोलॉजी के बारे में जानें
K8 असल में रूस की एक ड्रोन श्रेणी है, जिसे खासतौर पर इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर, निगरानी (Surveillance), और लक्ष्य को ट्रैक करने के लिए विकसित किया गया है। इसे रूस की रक्षा कंपनियों द्वारा विकसित किया गया है और यूक्रेन युद्ध के दौरान इसका उपयोग सामने आया है।
यह एक कॉम्पैक्ट और पोर्टेबल ड्रोन है।
इसका इस्तेमाल टारगेट मार्किंग, रियल टाइम इमेजिंग और सिग्नल इंटरसेप्ट के लिए किया जाता है।
यह 100 किमी तक की रेंज में कार्य कर सकता है और इसका संचालन एक व्यक्ति द्वारा भी किया जा सकता है।
इसे इलेक्ट्रॉनिक जामिंग से बचाव के लिए विशेष तकनीक से बनाया गया है।
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शाहिद ड्रोन पर फिदा हुआ रूस
भले ही रूस के पास तमाम तरह के ड्रोन का जखीरा मौजूद है लेकिन शाहिद ड्रोन पर तो वह मानो फिदा हो गया है। हाल के दिनों में रूस ने यूक्रेन पर हमले तेज कर दिए हैं। रूसी हमलों की खास बात यह है कि वो यूक्रेन पर हमलों के लिए ड्रोन का खूब इस्तेमाल कर रहा है। यूक्रेन से जंग के बीच रूस ने ईरान से शाहिद ड्रोन खरीदा यहीं से ड्रोन रूस के लिए गेमचेंजर साबित हुए। रूस इनसे इतना प्रभावित हुआ कि उसने इन मानव रहित मशीनों को अपने देश में ही असेंबल करने के लिए 2023 में कारखाना लगा दिया।
रूस ने ड्रोन को बनाया उन्नत
अब जब रूस में कारखाना लग गया तो इससे रूस को बड़ी संख्या में शाहिद ड्रोन उत्पादन करने का अवसर मिला। समय के साथ रूस ने धीरे-धीरे अपने ड्रोन को उन्नत बनाने की दिशा में भी काम किया। रूस ने इन ड्रोन का स्टील्थ बनाया है। रूस ड्रोन पर कार्बन की परत चढ़ा रहा है जिससे आने वाली तरंगों इससे टकराने के बाद वापस ना जा पाएं। इससे ड्रोन रडार की पकड़ में नहीं आएंगे।
लागत है कम
रूस ड्रोन को सिम भी जोड़ रहा है ताकि मोबाइल नेटवर्क के माध्यम से आकंड़े वापस भेजे जा सकें। शाहिद ड्रोन में लगाए जाने वाले वॉर हेड को भी अपडेट किया गया है। ड्रोन सस्ते हैं और लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम हैं। इसका मतलब यह है लागत की चिंता किए बिना इनका जंग में जमकर इस्तेमाल किया जा सकता है। परेशानी तो उनके लिए है जिन्हें यह सोचना है कि ड्रोन को उचित लागत पर कैसे मार गिराया जाए।
AI से लैस हैं ड्रोन
रूस ने ड्रोन को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम से भी लैस किया है जो खुद से इलाके स्कैन करके टारगेट चुनता है। यह ड्रोन बेहद तेज गति टारगेट पकड़ता है और फिर हमला करता है। ये ड्रोन पूरी तरह से ऑटोनोमस यानी खुद से ऑपरेटेड हैं।
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रूस के प्रमुख ड्रोन
रूस के पास विभिन्न प्रकार के ड्रोन मौजूद हैं, जिनमें निगरानी, युद्ध, और आत्मघाती ड्रोन शामिल हैं। चलिए आपको रूस के इन ड्रोन के बारे में बताते हैं।
ओरलान-10 (Orlan-10)
सबसे प्रसिद्ध रूसी सर्विलांस ड्रोन।
यह 16 घंटे तक उड़ान भर सकता है।
इसका इस्तेमाल यूक्रेन युद्ध में बड़े पैमाने पर हुआ।
यह GPS सिस्टम और रियल टाइम डेटा ट्रांसफर करता है।
फॉरपोस्ट (Forpost)
यह एक इजरायली Searcher ड्रोन पर आधारित रूसी संस्करण है।
यह निगरानी और लक्ष्य खोजने में माहिर है।
अब इसका उन्नत संस्करण Forpost-R भी उपलब्ध है।
अल्टीउस (Altius)
रूस का सबसे बड़ा और एडवांस लॉन्ग रेंज ड्रोन।
इसका उपयोग निगरानी के साथ-साथ हथियार ले जाने के लिए भी होता है।
24 घंटे से ज्यादा उड़ान क्षमता है।
लैंसेट (Lancet)
आत्मघाती ड्रोन (कामीकाज़े ड्रोन)।
इसका उपयोग दुश्मन की टैंक, रडार और तोपों को नष्ट करने में किया जाता है।
यूक्रेन में इसका व्यापक प्रयोग देखा गया है।
क्यूब (KUB-BLA)
ZALA Aero द्वारा निर्मित।
यह एक छोटा और आत्मघाती ड्रोन है जो लक्ष्य पर जाकर खुद को विस्फोट से नष्ट कर देता है।
सटीकता और कम लागत इसकी प्रमुख विशेषता है।
चकमा खा जाता है दुश्मन
रूस के ड्रोन के बारे में तो आपने जान लिया चलिए अब आपको इनके लाभ भी बताते हैं। वॉर जोन में दुश्मन के विमानों और मिसाइलों को मार गिराने के लिए एयर डिफेंस सिस्टम की जरूरत होती है। मिसाइलों और विमानों को गिराने के लिए तो एयर डिफेंस सिस्टम का उपयोग समझ में आता है लेकिन ड्रोन के लिहाज से यह बेहद महंगा सौदा है। समस्य सिर्फ इतनी ही नहीं है, ड्रोन एक साथ सैकड़ों की संख्या में आगे बढ़ते हैं। खास बात यह है कि सभी में वॉर हेड भी नहीं लगा होता और दुश्मन चकमा खा जाता है। दुश्मन के लिए यह पता करना लगभग असंभव हो जाता है कि कौन सा ड्रोन तबाही मचाएगा, ऐसी स्थिति में सभी को मार गिराने की जरूरत होती है। अब ऐसे में यह समझना मुश्किल नहीं है कि रूस यूक्रेन के खिलाफ हमलों में ड्रोन का इस्तेमाल क्यों कर रहा है।
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