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Fact Check: क्या NTA एक प्राइवेट संस्था है और RTI के तहत नहीं आता? जानें इसकी सच्चाई

सोशल मीडिया पर इन दिनों दावा किया जा रहा है कि NTA एक प्राइवेट संस्था है और RTI के तहत नहीं आता, जिसे इंडिया टीवी की पड़ताल में भ्रामक पाया गया।

Written By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published : Jun 27, 2024 17:39 IST, Updated : Jun 27, 2024 18:38 IST
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Image Source : INDIA TV INDIA TV Fact Check

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) अंडरग्रेजुएट मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET में कथित अनियमितताओं और UGC-NET को रद्द करने के कारण विवादों में घिरी हुई है। छात्रों और अभिभावकों द्वारा एजेंसी को समाप्त करने की मांग के बाद केंद्र ने NTA के महानिदेशक सुबोध कुमार सिंह को हटाकर प्रदीप सिंह खरोला को नियुक्त कर दिया। इसी बीच, एक सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया गया कि NTA एक ​​प्राइवेट संस्था है और यह सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम के अंतर्गत नहीं आती है। जिसे हमारी फैक्ट चेक में पाया गया कि दावा भ्रामक यानी मिसलिडिंग है।

क्या किया गया दावा?

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वरिष्ठ पत्रकार पंकज पचौरी ने X पर सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत NTA के इनकॉर्पोरेशन का सर्टिफिकेट शेयर किया और लिखा, "यह जानकर आश्चर्य हुआ कि NTA एक ​​प्राइवेट संस्था है जो छात्रों के भविष्य का फैसला सार्वजनिक रूप से वित्तपोषित सरकारी संस्थानों में करती है।

RTI के अंतर्गत नहीं = कोई जानकारी नहीं।
कोई सार्वजनिक निगरानी नहीं = कोई जवाबदेही नहीं। 
यही कारण है कि सरकार और मंत्रालय घोटाले से अपना पल्ला झाड़ सकते हैं।"

क्या मिला हमारी पड़ताल में?

एनटीए की वेबसाइट पर जाकर, हमें रजिस्ट्रेशन और एमओए टैब के अंतर्गत इनकॉर्पोरेशन का सर्टिफिकेट मिला। जिसे लेकर सोशल मीडिया पर यह दावा किया गया। सर्टीफिकेट में कहा गया है कि इसे 15 मई, 2018 को सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1860 के तहत निगमित यानी इनकॉर्पोर्टड किया गया था।

बता दें कि एनटीए एक इंडिपेडेंट ऑटोनॉमस बॉडी है जिसे कैबिनेट की मंजूरी के बाद बनाया गया है, जिसे 25 करोड़ रुपये का एकमुश्त अनुदान भी दिया गया था। एजेंसी का प्रशासन इसके सामान्य निकाय द्वारा किया जाता है, और इसकी अध्यक्षता करने वाले इसके अध्यक्ष को भारत सरकार द्वारा नियुक्त दी जाती है। केंद्र एनटीए को अपनी नीतियों के बारे में निर्देश भी दे सकता है, जिसका पालन करना उसके लिए बाध्य है।

यह ध्यान देने योग्य है कि ऑटोनॉमस बॉडी या तो वैधानिक (संसद के अधिनियम द्वारा निर्मित) या गैर-वैधानिक हो सकते हैं। पहले वाले उस अधिनियम के प्रावधानों द्वारा शासित होते हैं जिसके तहत उन्हें बनाया गया है। बाद वाले उस अधिनियम द्वारा शासित होते हैं जिसके तहत उन्हें शामिल किया गया था, जैसे कि सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट और ट्रस्ट रजिस्ट्रेशन एक्ट। हालाँकि, दोनों ही मामलों में, सरकार नियंत्रण रखती है।

क्या NTA से RTI मांगी जा सकती है?

सूचना के अधिकार अधिनियम के दायरे में आने के लिए संगठनों और निकायों को कुछ मानदंडों को पूरा करना होगा। एक्ट के अनुसार, इसमें वे निकाय शामिल हैं जो सरकार द्वारा जारी अनुमोदन या अधिसूचनाओं द्वारा गठित किए गए हैं और इसके द्वारा पर्याप्त रूप से वित्तपोषित भी हैं। और बता दें कि NTA इन मानदंडों को पूरा करता है, जिससे यह RTI एक्ट के जवाब के लिए एक पब्लिक अथॉरिटी बन जाता है।

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Image Source : RTI.GOV.IN
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जबकि स्टूटरी ऑटोनॉमस बॉडी (statutory autonomous bodies) के विपरीत इन ऑटोनॉमस बॉडी की पारदर्शिता और जवाबदेही के बारे में सवाल उठते रहे हैं, आरटीआई पोर्टल ने NTA को एक्ट के तहत सूचना मांगने वाले कई सार्वजनिक प्राधिकरणों में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया है।

जानकारी दे दें कि आरटीआई एक्ट के तहत नागरिकों द्वारा एनटीए से जवाब भी मांगे गए है जिसका जवाब भी एजेंसी ने दिया है। साल 2022-2023 के लिए एनटीए द्वारा संसाधित आरटीआई प्रश्नों की संख्या की अंतिम उपलब्ध रिपोर्ट यहाँ देखी जा सकती है।

क्या निकला निष्कर्ष?

इंडिया टीवी फैक्ट चेक ने पाया कि एनटीए भारत के शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग के तहत एक स्वायत्त निकाय है जो आरटीआई के दायरे में आता है। इसकी पुष्टि खुद PIB ने भी की है और सोशल मीडिया पर चल रहे इसके विपरीत दावे वाला वायरल पोस्ट भ्रामक (Misleading) है।

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