Thursday, December 12, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. हेल्थ
  3. क्या है 'वेट बल्ब टेम्परेचर', क्यों हीटवेब से इसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है?

क्या है 'वेट बल्ब टेम्परेचर', क्यों हीटवेब से इसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है?

उत्तर भारत में लोग भीषण गर्मी से परेशान हैं। हीटवेब के कारण अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन हीटवेब से भी ज्यादा खतरनाक है 'वेट बल्ब टेम्परेचर'। जानिए क्या है 'वेट बल्ब टेम्परेचर' और इसे क्यों ज्यादा हानिकारक माना जाता है?

Written By: Bharti Singh
Published : May 29, 2024 17:10 IST, Updated : May 29, 2024 17:10 IST
Hot Temperature- India TV Hindi
Image Source : FREEPIK Hot Temperature

इंसान का शरीर एक हद तक ही गर्मी बर्दाश्त कर पाता है। इन दिनों भीषण गर्मी पड़ रही है जिसकी वजह से बड़ी संख्या में लोग बीमार पड़ रहे हैं। दिल्ली में तापमान 50 डिग्री तक जा पहुंचा है। दिल्ली एनसीआर, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब जैसे कई राज्यों में गर्मी ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। लेकिन हीटवेब से ज्यादा स्थिति तटीय इलाकों की है। कोलकाता और साउथ के कई राज्यों में तापमान भले ही कम हो, लेकिन यहां ह्यूमिडिटी के कारण परेशानी ज्यादा हो रही है। इस स्थिति को वेट बल्ब कहते हैं, जिसे बर्दाश्त कर पाना इंसान के लिए मुश्किल हो जाता है।

क्या है वेट बल्ब टेंपरेचर?

टेम्परेचर और ह्यूमिडिटी के कॉम्बिनेशन को मापने के लिए 'वेट बल्ब टेम्परेचर' का उपयाग किया जाता है। जब गर्मी तो मापा जाता है तो उस दिन के तापमान को मापते हैं। इसमें हवा के अंदर की नमी को नहीं मापा जाता। जबकि वेट बल्ब टेम्परेचर में हम गर्मी के साथ ह्यूमिडिटी को भी मापते हैं। वेट बल्ब का नाम इसके मापने के तरीके से लिया गया है। इसमें गीला कपड़े लेकर थर्मामीटर बल्ब पर लपेट दिया जाता है और हवा चलाई जाती है। अब गर्म थर्मामीटर का बल्ब और ठंडा कपड़ा जो तापमान देगा उसे 'वेट बल्ब टेम्परेचर' कहा जाता है। इसमें तापमान भले ही कम हो जाता है लेकिन ह्यूमिडिटी काफी बढ़ जाती है। जब वेट बल्ब टेम्परेचर कम आता है तो हवा गर्म होती है जो आसानी से नमी को सोख लेती है। जब वेट बल्ब टेंपरेचर ज्यादा होता है तो तापमान कम और हवा में ह्यूमिडिटी ज्यादा होती है।

हीट वेब से ज्यादा खतरनाक है वेट बल्ब टेंपरेचर?

सिर्फ टेंपरेचर हाई होने पर शरीर पसीना निकालता है जो हवा से ठंडा होकर शरीर को कूल रखने में मदद करता है। जबकि ह्यूमिड हीट के दौरान पसीना निकलता है लेकिन सूख नहीं पाता। जिससे शरीर त्वचा को ठंडा रखने के लिए ज्यादा पसीना निकालता है। इससे लंबे समय में शरीर के अंदर सोडियम और जरूरी मिनरल्स की कमी होने लगती है। ये स्थिति हार्ट और किडनी के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। ऐसे में 31 डिग्री तक वेट बल्ब टेंपरेचर ही शरीर के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

शरीर कितना तापमान बर्दाश्त कर पाता है?

इंसान का शरीर 37 डिग्री सेल्सियस या 98.6 डिग्री फारेनहाइट तक तापमान आसानी से बर्दाश्त कर लेता है। इससे कम तापमान पर ठंड और इससे ज्यादा तापमान पर इंसान को गर्मी लगने लगती है। शरीर बढ़ते और घटते तापमान को खुद से मेंटेन करने लगता है। जब गर्मी अधिक बढ़ती है तो पसीना निकलने लगता है। जिससे शरीर हवा लगने पर ठंडा होता है। गर्मी में शरीर का तापमान बढ़ने पर पसीने की ग्रंथियां एक्टिव होने लगती है। जो शरीर को कूल रखने में मदद करती है।

 

 

Latest Health News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। News in Hindi के लिए क्लिक करें हेल्थ सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement