Wednesday, April 24, 2024
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क्या फेल हो रही हैं सरकार की सारी कोशिशें, जानिए कृषि मंत्री ने बैठक के बाद क्या कहा?

बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कुछ समय के लिए कृषि सुधार कानूनों को स्थगित किया है। सरकार 1 से 1.5 साल तक भी कानून के क्रियान्वयन को स्थगित करने के लिए तैयार है।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: January 20, 2021 20:58 IST
Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar- India TV Hindi
Image Source : ANI Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar

नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसान संगठनों के बीच बुधवार को दसवें दौर की वार्ता भी विफल रही। कृषि कानूनों को लेकर आंदोलीत किसानों को समझाने की सारी कोशिशें फेल होती नजर आ रही है। जहां एक ओर किसान कृषि कानूनों को रद्द कराने पर अड़े हुए हैं वहीं सरकार उन्हें लगातार समझाने की कोशिश कर रही है लेकिन फिर भी किसान आंदोलन का हल निकलता नजर नहीं आ रहा है। सरकार ने अब गेंद किसान नेताओं के पाले में डाल दी है। 

बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कुछ समय के लिए कृषि सुधार कानूनों को स्थगित किया है। सरकार 1 से 1.5 साल तक भी कानून के क्रियान्वयन को स्थगित करने के लिए तैयार है। इस दौरान किसान यूनियन और सरकार बात करें और समाधान ढूंढे। किसान यूनियन के नेताओं ने कहा कि सरकार के प्रस्ताव पर कल (21 जनवरी) हम अपने नेताओं के साथ विचार करेंगे और 22 जनवरी को दोपहर 12 बजे बैठक में आएंगे और आपको निर्णय से अवगत कराएंगे। 

जिस दिन किसानों का आंदोलन समाप्त होगा...

तोमर ने कहा कि आज की वार्ता से किसानों के प्रदर्शन को लेकर सभी मुद्दों के समाधान की उम्मीद जगी है, सरकार चाहती है कि विरोध प्रदर्शन समाप्त हो, संगठनों के साथ बातचीत जारी रह सकती है। कुछ नरम-गरम क्षणों को छोड़ सौहार्दपूर्ण माहौल में वार्ता हुई। सरकार किसान संगठनों के साथ आज की बैठक में अंतिम निर्णय पर पहुंचने के लिये तैयार थी।जिस दिन किसानों का आंदोलन समाप्त होगा, वह भारतीय लोकतंत्र के लिये जीत होगी

किसी भी सूरत में तीनों कानून को वापस नहीं लेगी सरकार

सरकार और किसान नेताओं की 10वें दौर की वार्ता के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि आज हमारी कोशिश थी कि कोई निर्णय हो जाए। किसान यूनियन क़ानून वापसी की मांग पर थी और सरकार खुले मन से क़ानून के प्रावधान के अनुसार विचार करने और संशोधन करने के लिए तैयार थी। कृषि मंत्री ने कहा कि हम तीनों कानूनों पर आपके साथ बिंदुवार चर्चा के लिए तैयार हैं, लेकिन सरकार किसी भी सूरत में तीनों कानून को वापस नहीं लेगी। तोमर ने कहा कि सरकार और किसान संगठनों के नेताओं की एक कमेटी बना देते हैं, जब तक बीच का रास्ता नहीं निकलेगा तब तक हम कानून को लागू नहीं करेंगे। सरकार ये एफिडेविट सुप्रीम कोर्ट में भी देने को तैयार हैं। 

किसानों की 21 जनवरी को होने वाली बैठक होगी अहम

किसान संगठन और सरकार के बीच 10वें दौर की बातचीत बुधवार को बेनतीजा खत्म हुई। सरकार ने किसानों को प्रस्ताव दिया कि एक निश्चित समय के लिए कानून पर रोक लगा दी जाए और एक कमेटी का गठन किया जाए, जिसमें सरकार और किसान दोनों हो। वहीं किसान संगठन कल (21 जनवरी) बैठक करेंगे, उसके बाद 22 जनवरी को होनी वाली वार्ता में जवाब देंगे।  

किसान सरकार के प्रस्ताव पर नहीं हुए राजी

सरकार ने किसानों को प्रस्ताव दिया कि एक निश्चित समय के लिए कानून पर रोक लगा दी जाए और एक कमेटी का गठन किया जाए, जिसमें सरकार और किसान दोनों हो, लेकिन किसान संगठन इस प्रस्ताव पर नहीं राजी हुए। साथ ही सरकार की ओर से ये भी अपील की गई कि इस प्रस्ताव के साथ-साथ आपको आंदोलन भी खत्म करना होगा। 

किसानों की ट्रैक्टर रैली पर रोक लगाने की याचिका पर सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने गणतंत्र दिवस पर राजधानी दिल्ली में किसान यूनियनों के निकाले जाने वाली ट्रैक्टर रैली पर रोक लगाने की दिल्ली पुलिस की अर्जी पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। बुधवार को मुख्य न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अदालत द्वारा मामले में हस्तक्षेप करना ठीक नहीं है, क्योंकि कानून और व्यवस्था के मुद्दे पर निर्णय लेने का पहला अधिकार पुलिस का है। शीर्ष अदालत ने 25 जनवरी को मामले पर सुनवाई के लिए केंद्र सरकार के अनुरोध को भी ठुकरा दिया और आवेदन को लंबित रखा। इसके बाद केंद्र ने अपना आवेदन वापस ले लिया।

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