Thursday, April 18, 2024
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भारत-चीन गतिरोध के बीच वायुसेना को मिलेगी राफेल की ताकत

राफेल लड़ाकू विमान मेटेओर, स्कैल्प और मिका जैसे विजुअल रेंज मिसाइलों से सुसज्जित होगा, जोकि दूर से ही अपने लक्ष्य को भेद सकती हैं। वायुसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राफेल लड़ाकू विमान ताकत बढ़ाने वाला होगा। 

IANS Written by: IANS
Published on: July 20, 2020 21:23 IST
The first batch of five Indian Air Force #Rafale is likely to arrive in India by end of July.- India TV Hindi
Image Source : TWIITER/AIRNEWSALERTS The first batch of five Indian Air Force #Rafale is likely to arrive in India by end of July.

नई दिल्ली. भारतीय वायुसेना(आईएएफ) के बेड़े में जुलाई के अंत तक 36 राफेल लड़ाकू विमानों में से कम से कम पांच विमान शामिल हो जाएंगे, जिससे देश की वायु शक्ति में जरूरी ताकत का इजाफा होगा। भारतीय सेना उत्तरी सीमा पर चीन की पीएलए के साथ कई जगहों पर संघर्ष की स्थिति में है तो पश्चिमी सीमा पर वह पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों के घुसपैठ और सीमापार से गोलीबारी का सामना करती रहती है।

इन परिस्थितियों में हवाई शक्ति ही सुंतलन को बनाए रख सकती है। राफेल लड़ाकू विमान मेटेओर, स्कैल्प और मिका जैसे विजुअल रेंज मिसाइलों से सुसज्जित होगा, जोकि दूर से ही अपने लक्ष्य को भेद सकती हैं। वायुसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राफेल लड़ाकू विमान ताकत बढ़ाने वाला होगा। दुश्मनों के हमला करने का हमेशा डर बना रहता है। हालांकि एक भारतीय राफेल लड़ाकू विमान दुश्मन की योजना को नेस्तनाबूत कर सकता है।

उन्होंने यह भी बताया कि जब राफेल भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल हो जाएगा, भारत आसमान में राज करेगा। इसका निर्माण फ्रांस की दसां एविएशन ने किया है। विमान जुलाई अंत तक भारत पहुंच जाएगा, हालांकि इसे बाद में बेड़े में शामिल किया जाएगा। उत्तरी सीमा के लिए, यह अंबाला एयर फोर्स स्टेशन और दूसरा हाशिमारा में तैनात होगा।

भारत-चीन की वायु शक्ति की बात करें तो, पश्चिमी कमांड में, चीन की पीएलए वायुसेना ने 157 लड़ाकू विमान और 20 जीजे-1 डब्ल्यूडी-1के को तैनात किया है। चीन दावा करता है कि इसके घर में बने जे-10सी और जे-16 लड़ाकू विमान, रूस में बने मिग-29, सु-30एस और फ्रांस में बने मिराज 2000 जेट से ज्यादा उन्नत हैं।

चीन का यह भी दावा है कि जे-20 लड़ाकू विमान के पास भारतीय लड़ाकू विमान के मुकाबले पीढ़ीगत लाभ है और इस गैप को किसी भी तरह भरपाना मुश्किल है। वहीं दूसरी ओर भारत दावा करता है कि मिराज 2000 और सुखोई 30 चीन के जे10, जे11 और सु-27 विमानों से अधिक ताकतवर हैं।

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