Friday, April 26, 2024
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कानून तोड़ने पर ममता बनर्जी के खिलाफ कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है CBI: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, उनके कानून मंत्री या कानून तोड़ने करने की कोशिश करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सीबीआई स्वतंत्र है।

IANS Written by: IANS
Published on: May 25, 2021 21:43 IST
कानून तोड़ने पर ममता बनर्जी के खिलाफ कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है CBI: सुप्रीम कोर्ट- India TV Hindi
Image Source : AP कानून तोड़ने पर ममता बनर्जी के खिलाफ कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है CBI: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, उनके कानून मंत्री या कानून तोड़ने करने की कोशिश करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सीबीआई स्वतंत्र है। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा नारदी मामले में चार टीएमसी नेताओं की नजरबंदी को चुनौती देने वाली सीबीआई की अपील पर सुनवाई कर रही थी।

सीबीआई के अनुसार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री 17 मई को उनके कार्यालय पहुंची और उन्होंने जांच एजेंसी के बारे में कई अपमानजनक टिप्पणियां की। एजेंसी ने कहा कि वह छह घंटे तक धरने पर बैठी रही, जबकि एक अनियंत्रित भीड़ संगठित तरीके से बढ़ती रही, जिससे जांच अधिकारी द्वारा आरोपी व्यक्तियों की गिरफ्तारी के बाद की जाने वाली कार्रवाई में बाधा उत्पन्न हुई।

सीबीआई ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के हजारों समर्थकों ने पिछले सोमवार को कोलकाता के निजाम पैलेस में सीबीआई की इमारत की घेराबंदी की और लगातार पथराव में शामिल होकर कानून की प्रक्रिया को बाधित करने की कोशिश की।

न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई ने सीबीआई का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि उन्होंने सीबीआई कार्यालय की घेराबंदी करने में मुख्यमंत्री और कानून मंत्री के आचरण को स्वीकार नहीं किया है और न ही उन्होंने इसकी अनुमति दी है।

पीठ ने कहा कि ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए संविधान में पर्याप्त उपाय हैं। पीठ ने टिप्पणी की, हम यहां सरकार या सीबीआई को सलाह देने के लिए नहीं हैं। मुख्यमंत्री और कानून मंत्री के धरने के कारण आरोपी व्यक्तियों को पीड़ित क्यों बनाया जाए?

अदालत ने कहा कि आप उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई के लिए आगे बढ़ सकते हैं जिन्होंने कानून अपने हाथ में लिया है। पीठ ने कहा कि वह एजेंसी पर दबाव बनाने के लिए मुख्यमंत्री द्वारा इस तरह के धरने की सराहना नहीं करती।

पीठ ने कहा, हम नागरिकों की स्वतंत्रता को राजनेताओं के किसी भी अवैध कृत्य के साथ मिलाना पसंद नहीं करते हैं। हम ऐसा नहीं करेंगे।

कलकत्ता उच्च न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की पीठ पहले से ही मामले की सुनवाई कर रही है और इसे देखते हुए शीर्ष अदालत ने सीबीआई से पूछा कि क्या वह उच्च न्यायालय के खिलाफ अपील वापस लेना चाहेगी।

मेहता ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि सीबीआई उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपनी अपील वापस लेगी, जिसमें टीएमसी नेताओं को नजरबंद करने का आदेश दिया गया था।

2016 के नारद स्टिंग टेप मामले में सीबीआई के अधिकारियों द्वारा तृणमूल कांग्रेस के दो मंत्रियों फरहाद हकीम और सुब्रत मुखर्जी के साथ ही वर्तमान विधायक मदन मित्रा और कोलकाता नगर निगम के पूर्व मेयर सोवन चट्टोपाध्याय को गिरफ्तार करने के बाद राजनीति गर्मा चुकी है। 

कोलकाता में 17 मई को गिरफ्तारी के बाद से इस मामले में भारी ड्रामा देखने को मिला है। इस कथित टेप में कई राजनेता और एक उच्च पदस्थ पुलिस अधिकारी कथित रूप से एक फर्जी कंपनी को अनौपचारिक लाभ प्रदान करने के लिए नकदी स्वीकार करते पाए गए थे।

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