Tuesday, April 16, 2024
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भारत-चीन के सैनिकों की झड़प पर आया भारतीय सेना का बड़ा बयान, जानें क्या कहा

पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन के बीच जारी गतिरोध के बीच सिक्किम के नाकु ला में LAC पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प और हाथापाई हुई। नाकु ला में भारतीय जवान पैट्रोलिंग कर रहे थे तभी उन्होंने सामने से चीनी सैनिकों को आते देखा।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: January 25, 2021 19:58 IST
Indian Army on Face-Off With Chinese Army At Nakula Area of North Sikkim- India TV Hindi
Image Source : PTI सिक्किम के नाकु ला में LAC पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प और हाथापाई हुई।

नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन के बीच जारी गतिरोध के बीच सिक्किम के नाकु ला में LAC पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प और हाथापाई हुई। नाकु ला में भारतीय जवान पैट्रोलिंग कर रहे थे तभी उन्होंने सामने से चीनी सैनिकों को आते देखा। भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों को रोका तो वो हाथापाई पर उतर आए। इस झड़प में कुछ चीनी सैनिकों के घायल होने की खबर है। इसपर सेना ने आधिकारिक बयान जारी कर इसे मामूली झड़प बताया। सेना ने कहा कि इसे लोकल लेवल पर बातचीत करके सुलझा दिया गया है।

नाकू ला में पिछले साल भी हुई थी झड़प

बता दें कि सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच 20 जनवरी को नाकु ला में झड़प हुई। नाकू ला वही स्थान है जहां पर पिछले साल नौ मई को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। इसके बाद पूर्वी लद्दाख के पेंगोंग लेक इलाके में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी और तब से अबतक करीब नौ महीने से वहां सैन्य गतिरोध जारी है। 

चीन के साथ पिछले साल से ही विवाद जारी है
इस बीच, पूर्वी लद्दाख के सभी तनाव वाले इलाके से सैनिकों की वापसी के उद्देश्य से रविवार को भारत और चीन की सेना के बीच रविवार को एक और दौर की कोर कमांडर स्तर की वार्ता हुई। चीन के साथ पिछले साल से ही विवाद जारी है। पूर्वी लद्दाख में अप्रैल-मई के महीने से ही लद्दाख में दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने खड़ी हैं। इसी विवाद के बीच पिछले साल जून के महीने में भारत और चीन की सेनाएं गलवान में भिड़ गईं थी। 

इस झड़प में भारत ने चीन का गुरूर तोड़ दिया है। भारतीय जवानों ने चीन के 40 से ज्यादा सैनिकों को ढेर कर दिया था। इस घटना से चीन इतना ज्यादा टूट गया कि सेना के मनोबल पर असर न पड़े इसलिए उसने अपने मारे गए सैनिकों की संख्या का सम्मान तक नहीं किया और न उनकी संख्या के बारे में जानकारी दी। इस घटना में भारत के 20 जवानों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था।

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