Wednesday, April 24, 2024
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कारगिल की वीरगाथा: घायल शेर की तरह कैप्टन विक्रम बत्रा ने किया था दुश्मन का सफाया, शौर्य जानकर दंग रह जाएंगे आप

21 Years of Kargil War: हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में जन्मे कैप्टन विक्रम बत्रा ने 1996 में भारतीय सेना की संयुक्त रक्षा परीक्षा पास की और सेना में कमिशन लेकर लेफ्टिनेंट बने।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: July 26, 2020 13:20 IST
Captain Vikram Batra - India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Captain Vikram Batra

21 Years of Kargil War: 26 जुलाई 2020 को कारगिल में हुए ऑपरेशन विजय को 21 साल पूरे हो गए हैं। 21 साल पहले हुई इस लड़ाई में भारतीय सैनिकों ने दुश्मन को भागने पर मजबूर कर दिया था। यूं तो कारगिल में ऑपरेशन विजय में योगदान देने वाला हर सैनिक भारत का हीरो है लेकिन एक हीरो ऐसा है जिसके साहस के आगे दुश्मन सैनिकों के छक्के छूट गए थे, अंतिम सांस तक भारत माता के लिए लड़ने वाले उस हीरो का नाम है कैप्टन विक्रम बत्रा। कारगिल की लड़ाई में कैप्टन विक्रम बत्रा की बहादुरी और देश के लिए उनके बलिदान को देखते हुए उन्हें मरणोपरांत भारतीय सेना के सर्वोच्च सम्मान परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया।

हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में जन्मे कैप्टन विक्रम बत्रा ने 1996 में भारतीय सेना की संयुक्त रक्षा परीक्षा पास की और सेना में कमिशन लेकर लेफ्टिनेंट बने। कैप्टन विक्रम बत्रा ने कारगिल की लड़ाई में जिस साहस और बहादुरी से दुश्मन का खात्मा किया था उसकी आज भी मिसाल दी जाती है।

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‘ऑपरेशन विजय’ के दौरान 20 जून 1999 को डेल्टा कंपनी कमांडर कैप्टन विक्रम बत्रा को प्वाइंट 5140 पर आक्रमण करने का दायित्व सौंपा गया। कैप्टन विक्रम बत्रा अपनी कंपनी के साथ घूमकर पूर्व दिशा से इस क्षेत्र की तरफ बढ़े और बिना शत्रु को भनक लगे हुए उसकी मारक दूरी के भीतर तक पहुंच गए। कैप्टन ने अपने दस्ते को पुनर्गठित किया और दुश्मन के ठिकानों पर सीधे आक्रमण के लिए प्रेरित किया। सबसे आगे रहकर दस्ते का नेतृत्व करते हुए कैप्टन विक्रम बत्रा ने निडरता से शत्रु पर धावा बोला और आमने सामने की लड़ाई में 4 शत्रु सैनिकों को मार डाला।

7 जुलाई 1999 को प्वाइंट 4875 के पास एक कार्रवाई में कैप्टन विक्रम बत्रा की कंपनी को ऊंचाई पर एक ऐसी संकरी चोटी से दुश्मन के सफाए का कार्य सौंपा गया जिसके दोनो ओर बड़ी ढलान थी और रास्ते में शत्रु ने भारी संख्या में नाकाबंदी की हुई थी।

मिली जिम्मेदारी को शीघ्र पूरा करने के लिए कैप्टन विक्रम बत्रा ने एक संकीर्ण पठार के पास शत्रु ठिकानों पर हमला करने का निर्णय लिया और आमने-सामने की लड़ाई में दुश्मन के 5 सैनिकों को मार गिराया। इस दौरान कैप्टन विक्रम बत्रा गंभीर घायल हो गए, लेकिन इसके बावजूद वे जमीन पर रेंगते हुए आगे बढ़े और ग्रेनेड फेंक कर दुश्मन के ठिकाने का सफाया कर दिया। अपनी जान की परवाह किए बिना उन्होंने आगे रहकर अपने जवानों को हमले के लिए प्रेरित किया और दुश्मन की तरफ से हो रही भारी गोलाबारी के बावजूद प्वाइंट 4875 को कब्जे में करने की मिली जिम्मेदारी को पूरा करके दिखाया। इस दौरान कैप्टन विक्रम बत्रा गंभीर रूप से घायल हो गए थे और वे इस लड़ाई में वीरगति को प्राप्त हुए।

कैप्टन विक्रम बत्रा के साहस और बहादुरी को देखते हुए उन्हें मरणोपरांत भारतीय सेना के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। कैप्टन विक्रम बत्रा की बहादुरी को इंडिया टीवी का नमन।

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