Friday, April 26, 2024
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अस्पतालों में दाखिले के लिये कोविड-19 संक्रमित होने की रिपोर्ट जरूरी नहीं, स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी जानकारी

राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के लिये एक महत्वपूर्ण निर्देश में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि स्वास्थ्य केंद्रों में भर्ती के लिये मरीज के पास कोविड-19 संक्रमित होने की रिपोर्ट अनिवार्य नहीं है।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: May 08, 2021 23:16 IST
A COVID-19 patient receives treatment in a hospital, in Ajmer on Saturday.- India TV Hindi
Image Source : PTI A COVID-19 patient receives treatment in a hospital, in Ajmer on Saturday.

नयी दिल्ली। राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के लिये एक महत्वपूर्ण निर्देश में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि स्वास्थ्य केंद्रों में भर्ती के लिये मरीज के पास कोविड-19 संक्रमित होने की रिपोर्ट अनिवार्य नहीं है। कोविड मरीजों के उपचार के लिये समर्पित निजी और सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं में दाखिले के लिये संशोधित राष्ट्रीय नीति में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि किसी भी मरीज को ऑक्सीजन या आवश्यक दवाओं आदि समेत किसी भी मद में सेवा देने से इनकार नहीं किया जा सकता, भले ही वह किसी दूसरे शहर का ही क्यों न हो।

मंत्रालय ने कहा, “राज्यों को एक महत्वपूर्ण दिशानिर्देश में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने विभिन्न श्रेणियों के कोविड देखभाल केंद्रों में कोविड मरीजों के दाखिले की राष्ट्रीय नीति में संशोधन किया है।” मंत्रालय के मुताबिक, “इन मरीज केंद्रित उपायों का उद्देश्य कोविड-19 से पीड़ित मरीजों को त्वरित, प्रभावी और समग्र उपचार उपलब्ध कराना है।” सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जारी निर्देश में कहा गया, “कोविड मरीजों का प्रबंधन कर रहे निजी अस्पतालों समेत, केंद्र, राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन के तहत आने वाले अस्पताल यह सुनिश्चित करेंगे कि कोविड-19 देखभाल केंद्र में दाखिले के लिये कोरोना वायरस संक्रमित होने की रिपोर्ट की जरूरत अनिवार्य नहीं होगी।”

इसमें कहा गया, “संदिग्ध मामले को कोविड देखभाल केंद्र (सीसीसी) संदिग्ध रोगियों के वार्ड, समर्पित कोविड स्वास्थ्य केंद्र (डीसीएचसी) और समर्पित कोविड अस्पताल (डीएचसी) जो भी हो वहां भर्ती किया जाएगा।” इन दिशानिर्देश में कहा गया है कि किसी भी मरीज को सेवा देने से इनकार नहीं किया जाएगा, न तो ऑक्सीजन या दवाओं की वजह से और न ही उसके किसी अन्य शहर से होने की वजह से।

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मंत्रालय ने यह भी कहा कि अस्पताल में दाखिला निश्चित रूप से “जरूरत के आधार” पर होना चाहिए। इसमें कहा गया, “यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि बिस्तर उस व्यक्ति की वजह भरा न हो जिसे अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता नहीं है। इसी के साथ, अस्पताल से छुट्टी भी संशोधित नीति के तहत होनी चाहिए।” मंत्रालय ने कहा कि उसने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को परामर्श दिया है कि वे तीन दिनों में इन निर्देशों का शामिल करते हुए आवश्यक आदेश और परिपत्र जारी करें, जो तब तक प्रभावी रहेंगे जब तक एक उचित एकरूप नीति इसकी जगह नहीं ले लेती। 

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