Friday, April 19, 2024
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Rajat Sharma’s Blog: कोरोना की संभावित तीसरी लहर बच्चों के लिए घातक नहीं

एक कड़वा सच ये है कि जब महामारी पीक पर थी उस दौरान लोगों ने इतना बुरा वक्त देखा कि उनके मन में आज भी कोरोना को लेकर खौफ़ है।

Rajat Sharma Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: June 18, 2021 15:43 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

पिछले कई दिनों से कोरोना वायरस को लेकर जो आंकड़े आ रहे हैं वो राहत देने वाले हैं। मार्च-अप्रैल में कोरोना महामारी की दूसरी लहर जितनी तेज़ी से ऊपर आई थी, उतनी ही तेजी से नीचे जा रही है। जरा याद कीजिए वो दिन जब रोजाना 4 लाख नए केस सामने आते थे। अब यह आंकड़ा तेजी से नीचे गिरकर 67 हजार तक पहुंच गया है। अस्पतालों में अब कोरोना मरीजों के लिए बेड, ऑक्सीजन की कमी नहीं है। आईसीयू में भी जगह उपलब्ध है। इतना ही नहीं कोरोना से होने वाली मौतों की संख्या भी लगातार कम हो रही है। याद कीजिए वो वक्त जब एक दिन में 4-4 हज़ार लोगों की मौत की खबर आती थी, जब श्मशानों और कब्रिस्तानों में जगह कम पड़ने लगी थी। अब हालात काबू में है और पिछले 24 घंटे में मरनेवालों की संख्या घटकर 2, 330 हो गई है।

एक कड़वा सच ये है कि जब महामारी पीक पर थी उस दौरान लोगों ने इतना बुरा वक्त देखा कि उनके मन में आज भी कोरोना को लेकर खौफ़ है। कोई इसके बारे में बात नहीं करना चाहता। देश में लोग अब तीसरी लहर की आशंका जता रहे हैं। लोगों को डर है कि अगर तीसरी लहर आई बच्चों पर इसका ज्यादा असर होगा। लोग पूछते है कि बच्चों के लिए तो वैक्सीन भी नहीं है ऐसे में हम उन्हें कैसे बचाएंगे? इसे लेकर एम्स और WHO के सीरो सर्वे का दिलचस्प रिजल्ट आया है। यह सर्वे डब्ल्यूएचओ के सहयोग से एम्स द्वारा 5 राज्यों में 10 हजार प्रतिभागियों के बीच किया गया।

इस सीरो सर्वे में यह पाया गया कि 2 से 17 साल की उम्र के बच्चों पर कोरोना वायरस की तीसरी लहर का कोई खास असर नहीं पड़ेगा। क्योंकि इस तरह का कोई  सांख्यिकीय प्रमाण नहीं है कि इस आयु वर्ग के बच्चे खासतौर से तीसरी लहर की चपेट में आ सकते हैं। डब्ल्यूएचओ के लिए एम्स द्वारा किए गए सीरो सर्वे ने भारत में संभावित तीसरी लहर के बारे में इन आशंकाओं को दूर कर दिया है। 15 मार्च से 10 जून तक दिल्ली की पुनर्वास कॉलोनियों, फरीदाबाद, भुवनेश्वर ग्रामीण, गोरखपुर ग्रामीण और अगरतला ग्रामीण क्षेत्रों में यह सर्वे किया गया था।

गुरुवार रात अपने प्राइम टाइम शो 'आज की बात' में मैंने इस सीरो सर्वे के बारे में एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया से बात की। डॉ. गुलेरिया ने जोर देकर कहा, 'तीसरी लहर में बच्चों के अधिक प्रभावित होने की संभावना नहीं है, क्योंकि सीरो सर्वे से पता चला कि बच्चों में 18 वर्ष से अधिक उम्र के वयस्कों के समान एंटीबॉडी हैं। उन्होंने कहा, इसका मतलब है कि 50 से 60 प्रतिशत बच्चों में पहले से ही कोरोना का संक्रमण था। इसलिए ये संभावना कम है कि अगर तीसरी लहर आती है तो इस दौरान वे ज्यादा प्रभावित होंगे। डॉ. गुलेरिया ने बताया, 'हमें इस बात से चिंतित नहीं होना चाहिए या घबराना नहीं चाहिए कि तीसरी लहर बच्चों को और भी ज्यादा प्रभावित करेगी।'

एम्स के डायरेक्टर ने बताया कि दूसरी लहर के दौरान जिन लोगों की कोविड इंफेक्शन पकड़ में नहीं आई या फिर जिन्होंने टेस्ट नहीं कराया उनमें भी एंटीबॉडी थे। इसका मतलब ये हुआ कि वे वायरस से संक्रमित थे, लेकिन उन्हें हल्का संक्रमण था। डॉ.गुलेरिया ने कहा, 'ऐसे लोगों के दोबारा संक्रमित होने की संभावना कम है।' उन्होंने कहा कि इस सीरो सर्वे के मुताबिक कुछ इलाकों में 80 प्रतिशत से अधिक लोगों में एंटीबॉडी पाए गए। डॉ. गुलेरिया ने कहा कि उनका मानना है कि संभावित तीसरी लहर के दौरान दूसरी लहर के मुकाबले ज्यादा मामले नहीं आएंगे। उन्होंने कहा कि तीसरी लहर से बचने के लिए लोग कोरोना को लेकर लापरवाही नहीं बरतें। डॉ. गुलेरिया ने ये भी समझाया कि अभी भी मास्क, दो गज की दूरी, बार-बार हाथ धोना जरूरी है। उन्होंने कहा कि कोरोना को लेकर जो भी प्रोटोकॉल बार-बार बताया गया है, उसका पालन करें।

बच्चों के लिए वैक्सीन के मुद्दे पर एम्स प्रमुख ने कहा, 'फाइजर वैक्सीन को मंजूरी दे दी गई है, जबकि अन्य वैक्सीन के ट्रायल चल रहे हैं।' उन्होंने कहा कि इन ट्रायल्स के आंकड़े सितंबर तक प्रकाशित हो जाएंगे। डॉ. गुलेरिया ने भोपाल और कुछ अन्य जगहों पर पाए गए डेल्टा प्लस वैरिएंट के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि यह वायरस का नया म्यूटेंट है। उन्होंने बताया कि कोरोना के नए वेरिएंट डेल्टा प्लस को अभी तक घातक नहीं कहा जा सकता, इस पर नजर रखी जा रही है। अबतक कोई ऐसा डेटा सामने नहीं आया है जिससे ये पता चलता हो कि यह ज्यादा गंभीर है।

एम्स डायरेक्टर ने बताया कि मार्च से मई तक दूसरी लहर के दौरान कोरोना के मामलों में वृद्धि सख्त लॉकडाउन के बाद ही घटी। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे कोरोना की वैक्सीन जरूर लगवाएं, क्योंकि लगभग सभी टीके प्रभावी पाए गए हैं। कोई खास वैक्सीन ही सबसे ज्यादा सुरक्षित है, इसे साबित करने के लिए कोई स्टडी नहीं हुई है। उन्होंने कहा, इस समय मौजूद सभी वैक्सीन प्रभावी हैं, और इन टीकों के प्रभावी होने की क्षमता में थोड़ा-बहुत अंतर हो सकता है।

कोविशील्ड वैक्सीन की डोज के बीच के अंतर के मुद्दे पर डॉ. गुलेरिया ने कहा, जिन लोगों को पहली डोज के 12 सप्ताह बाद दूसरी डोज दी गई उनमें पहली डोज के 4 सप्ताह बाद दूसरी डोज लेने वालों की तुलना में ज्यादा एंटीबॉडी पाए गए। उन्होंने कहा कि वायरस और महामारी को हराने के लिए वैक्सीन ही एकमात्र हथियार है।

इस बीच, मध्य प्रदेश के भोपाल में जिस 64 वर्षीय महिला में कोरोना के डेल्टा-प्लस वैरिएंट का पहला मामला पाया गया वो अब ठीक है। यह देश में पाया गया सातवां डेल्टा-प्लस वैरिएंट केस है। कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग में 20 लोगों का पता चला है, जिनका गुरुवार को टेस्ट किया गया। महिला का सैंपल 25 दिन पहले लिया गया था, और 16 सैंपल जीनोम सीक्वेंसिंग और अन्य विश्लेषण के लिए आईसीएमआर भेजे गए हैं। यह महिला 23 मई को कोरोना पॉजिटिव पाई गई जबकि इससे पहले ही उसने वैक्सीन की दोनों डोज ले ली थी।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा कि महिला के घर के आसपास चमगादड़ भी रहते थे और वे अक्सर खुले दरवाजों और खिड़कियों के पास लटके रहते थे। इतना ही नहीं ये चमगादड़ महिला के आंगन में बिखरे जामुन भी खाते थे। अब सैंपल्स को आगे के विश्लेषण के लिए भेजा गया है। कोरोना के नए डेल्टा-प्लस वैरिएंट में K417N नाम का नया म्यूटेशन है।

देश में कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट से संक्रमित 7 लोग पाए गए हैं जबकि नेपाल, कनाडा, जर्मनी, रूस, स्विट्जरलैंड, पोलैंड, अमेरिका और पुर्तगाल जैसे देशों में इस वैरिएंट से 150 से ज्यादा लोग संक्रमित हुए हैं। नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी के पॉल के अनुसार, SARS-Cov-2 वायरस के वैरिएंट म्यूटेट करते हैं, लेकिन इस समय भारत में यह चिंता का विषय नहीं है। डॉक्टर और वैज्ञानिक अलर्ट हैं और जरूरी एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं।

वैज्ञानिक इस वायरस को लेकर अपना काम कर रहे हैं, उन्हें अपना काम करने दें। मैं एक बार फिर सभी से अपील करता हूं कि जल्द से जल्द वैक्सीन लगवाएं। हर वक्त कोविड के प्रोटोकॉल का पालन करें। सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें, बार-बार हाथों को धोते रहें और सार्वजनिक स्थानों पर मास्क जरूर लगाएं। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 17 जून, 2021 का पूरा एपिसोड

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