Thursday, March 28, 2024
Advertisement

Rajat Sharma’s Blog: प्रवासी मजदूरों को घर लौटने की इजाजत देना सही दिशा में उठाया गया कदम है

केंद्र ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से नोडल अधिकारियों की नियुक्ति करने और विभिन्न राज्यों में फंसे लोगों को रिसीव करने या उन्हें भेजने के लिए एक मानक प्रोटोकॉल बनाने के लिए कहा है।

Rajat Sharma Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: April 30, 2020 15:42 IST
Rajat Sharma Blog, Rajat Sharma Blog on Migrant Workers, Rajat Sharma Blog on Lockdown- India TV Hindi
India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma | India TV

राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के एक महीने से ज्यादा वक्त बीतने के बाद गृह मंत्रालय ने बुधवार को हेल्थ प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन करने के बाद प्रवासी मजदूरों, छात्रों, तीर्थयात्रियों और पर्यटकों की सड़क द्वारा एक राज्य से दूसरे राज्य में आवाजाही इजाजत का आदेश जारी कर दिया। मंत्रालय ने कहा, ‘अब तक लॉकडाउन के कारण काफी सुधार हुआ है और हालात बेहतर हैं।’ राज्य सरकारों द्वारा इन लोगों को बसों के जरिए वापस लेने की सहमति के आधार पर गृह मंत्रालय ने अपने 15 अप्रैल के दिशा-निर्देशों में से क्लॉज 17 को संशोधित किया।

देश के कई राज्यों में फंसे उन लाखों प्रवासी कामगारों के लिए यह अच्छी खबर है जो अपने घरों को लौटना चाहते हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले ही राजस्थान के कोटा से छात्रों को वापस लाने के लिए बसें भेजी थीं। क्वॉरन्टीन सेंटर्स में 14 दिन बिताने के बाद ही ये छात्र अपने घरों को लौटेंगे। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और असम की सरकारों ने भी अपने छात्रों को वापस लाने के लिए बसें भेजीं, जबकि पश्चिम बंगाल सरकार ने बुधवार को अपने छात्रों को बसों के जरिए वापस ले जाना शुरू किया। ये छात्र कोलकाता, आसनसोल और सिलीगुड़ी लौटेंगे। इसी तरह महाराष्ट्र सरकार ने भी कोटा से अपने 1700 छात्रों को वापस लाने के लिए 72 बसें भेजी हैं।

केंद्र ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से नोडल अधिकारियों की नियुक्ति करने और विभिन्न राज्यों में फंसे लोगों को रिसीव करने या उन्हें भेजने के लिए एक मानक प्रोटोकॉल बनाने के लिए कहा है। पिछले 5 हफ्तों में मुझे ऐसे कई लोगों के बारे में पता चला जो काम के सिलसिले में, इलाज के लिए या फिर पर्यटन के चलते अपने-अपने घरों से दूर फंसे हुए थे। उनमें से कई ने मुझे उनके गृह राज्यों में लौटने की व्यवस्था करने का अनुरोध किया था, लेकिन लॉकडाउन के नियम इतने सख्त थे कि मुझे उन्हें कोरोना वायरस महामारी के थमने तक इंतजार करने के लिए कहना पड़ा। मुझे खुशी है कि केंद्र ने अब उन्हें वापस लौटने की इजाजत देने का फैसला किया है।

कोरोना वायरस से संक्रमण के मामलों के दोगुनी होने की दर जो पहले 3 दिन थी, वह बाद में 10 दिन पर आ गई। और पिछले 3 दिनों में तो यह और कम हो गई है और 11.5 दिन पर आ गई है। यात्रा की मंजूरी पाने के लिए किसी शख्स को या फिर लोगों को अपने यहां के नोडल अधिकारी के पास ऑनलाइन ऐप्लिकेशन भेजना होगा। इसके बाद नोडल अधिकारी उन जगहों के नोडल अधिकारियों से संपर्क करेगा, जहां आवेदनकर्ता को जाना है, और राज्यों के बीच आवाजाही की व्यवस्था करेगा। इसके पहले बसों को सैनिटाइज किया जाएगा और उसमें बैठने वाले यात्रियों के बीच सोशल डिस्टैंसिंग के नियम लागू होंगे। मूवमेंट की यह परमिशन एंड टू एंड होगी जिसके चलते उन राज्यों से इजाजत लेने की कोई जरूरत नहीं होगी जहां से ये बसें गुजरेंगी।

विभिन्न राज्यों में फंसे हुए लोगों को वापस जाने की इजाजत देने के केंद्र के फैसले के पीछे कई कारण हैं। पहला, प्रवासी मजदूरों को भयंकर गर्मी में लंबी दूरी की पैदल यात्राओं से रोकने के लिए; दूसरा, लॉकडाउन का 40वां दिन आते-आते इन लोगों का सब्र अब जवाब देने लगा था; तीसरा, अधिकांश प्रवासी मजदूर झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाकों में रह रहे थे, जहां सोशल डिस्टैंसिंग बनाए रखना मुश्किल था और वे आसानी से वायरस का शिकार हो सकते थे; और इन सबके अलावा प्रवासी मजदूरों के पास कोई काम नहीं था और उनकी बचत खत्म हो रही थी। इन सब कारणों के चलते सिर्फ एक ही विकल्प बच रहा था और वह था उन्हें अपने घरों को लौटने की इजाजत देना। वहां वे बेहतर तरीके से अपने स्वास्थ्य की देखभाल कर सकते हैं और जीवन के निर्वाह के लिए कम से कम मनरेगा के अंतर्गत काम कर सकते हैं।

मैंने मंगलवार को दो मंत्रियों के साथ प्रवासी श्रमिकों के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की थी। मेरा सुझाव यह था कि चूंकि नेशनल और स्टेट हाईवे पर मुश्किल से कोई गाड़ी दौड़ रही है और राज्य सरकारों के पास तमाम बसें हैं, इसलिए प्रवासी कामगारों और फंसे हुए अन्य लोगों को वापस भेजने की प्लानिंग पूरी सावधानी से करनी होगी। लॉकडाउन के खत्म होने का इंतजार करना और फिर इन मजदूरों को भीड़ की शक्ल में वापस जाने की इजाजत देना विनाशकारी होगा। बस और ट्रेन सेवाएं जिस दिन फिर से बहाल हो जाएंगी, लाखों मजदूर एवं अन्य यात्री रेलवे स्टेशनों और बस टर्मिनलों पर टूट पड़ेंगे और सोशल डिस्टैंसिंग के नियमों की धज्जियां उड़ जाएंगी। इस तरह लॉकडाउन का मुख्य उद्देश्य ही खत्म हो जाएगा। रेलवे स्टेशनों और बस टर्मिनलों पर भारी भीड़ को कंट्रोल कर पाना मुश्किल होगा।

लोगों ने पूछा कि क्या मजदूरों की आवाजाही से राज्यों में वायरस फैलने की संभावना नहीं होगी। मैंने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार द्वारा निर्धारित प्रोटोकॉल का हवाला दिया। उनकी सरकार ने कोटा से लाए गए सभी छात्रों के लिए 14 दिन का क्वॉरन्टीन अनिवार्य कर दिया था। इसके चलते महामारी जिलों में नहीं फैल पाई। गांव के लोगों ने स्कूलों की बिल्डिंग में खुद ही क्वॉरन्टीन सेंटर बना लिए, और वापस आने वाले लोगों के लिए खाने-पीने का इंतजाम किया। इस दौरान ग्रामीणों ने बाहर से आने वाले लोगों से जरूरी दूरी बनाए रखी।

मेरा मानना है कि ग्रामीण भारत में रहने वाले लोग सोशल डिस्टैसिंग के नियमों के पालन की जरूरत को अच्छी तरह से समझते हैं। वे अपने-अपने गांवों में क्वॉरन्टीन का नियम लागू करने के लिए सबसे सही व्यक्ति हैं। यदि ये प्रवासी मजदूर शहरों की झुग्गी-झोपड़ियों में रह जाते, तो इनके सामने भूख या फिर महामारी से जान गंवाने का खतरा पैदा हो जाता।

फंसे हुए लोगों की घर वापसी की इजाजत देने के अलावा केंद्र अब ऑरेंज और ग्रीन जोन में 4 मई से लॉकडाउन के नियमों में ढील देने के लिए दिशा-निर्देश तैयार कर रहा है, जहां महामारी ने मानव जीवन को बहुत प्रभावित नहीं किया है। इन छूटों के चलते सामान्य जनजीवन का बहाल होना और आर्थिक गतिविधियों का पटरी पर लौटना सुनिश्चित होगा। केंद्र मार्केट और शॉपिंग मॉल को भी फिर से खोलने की इजाजत दे सकता है। केवल रेड जोन में, जिसमें दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद और चेन्नई जैसे महानगर शामिल हैं, हो सकता है कि बड़ी संख्या में हॉटस्पॉट की वजह से तत्काल राहत न मिले।

कुल मिलाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की प्राथमिकताएं साफ हैं। केंद्र ने सबसे पहले गरीब लोगों, विशेषकर महिलाओं और किसानों के लिए पैसे जारी किए, ताकि उन्हें लॉकडाउन की अवधि के दौरान आर्थिक कठिनाइयों का सामना न करना पड़े। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में महामारी के प्रसार को रोकने में काफी हद तक मदद मिली। इसके बाद सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित उद्योगों को फिर से काम शुरू करने की इजाजत दी। अब सरकार ने फंसे हुए प्रवासी कामगारों को उनके गृह राज्यों में वापस जाने की इजाजत दी है।

अंतिम चरण निर्णायक होने वाला है। रेड जोन (हमारे महानगरों) में महामारी को नियंत्रित करना होगा और हॉटस्पॉट्स की संख्या में कमी लानी होगी। यहीं से कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी जाएगी। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 29 अप्रैल, 2020 का पूरा एपिसोड

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement