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उत्तराखंड में तीर्थस्थलों से हटा 'सरकारी कंट्रोल', तीरथ सिंह रावत ने पलटा त्रिवेंद्र का फैसला

उत्तराखंड के नवनियुक्त मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड में शामिल किए गए 51 मंदिरों को बोर्ड से मुक्त कर दिया जाएगा और देवस्थानम बोर्ड के बारे में पुनर्विचार किया जाएगा।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published : Apr 09, 2021 04:38 pm IST, Updated : Apr 09, 2021 09:11 pm IST
उत्तराखंड में तीर्थस्थलों से हटा 'सरकारी कंट्रोल', तीरथ सिंह रावत ने पलटा त्रिवेंद्र का फैसला- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO उत्तराखंड में तीर्थस्थलों से हटा 'सरकारी कंट्रोल', तीरथ सिंह रावत ने पलटा त्रिवेंद्र का फैसला

हरिद्वार। उत्तराखंड के नवनियुक्त मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने 51 तीर्थस्थलों के प्रबंधन संभालने के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के फैसले को पलट दिया है। अपने पूर्ववर्ती के फैसले को पलटते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार को राज्य के 51 मंदिरों को चार धाम देवस्थानम बोर्ड के प्रबंधन से मुक्त करने का निर्णय लिया और कहा कि बोर्ड के गठन को लेकर भी पुनर्विचार किया जाएगा। यहां विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक में शामिल होने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड के गठन पर पुनर्विचार किया जाएगा और उसके दायरे में लाए गए 51 मंदिरों को उससे अलग करने का फैसला लिया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि चार धाम को लेकर आदिगुरु शंकराचार्य की ओर से स्थापित परम्पराओं को जारी रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि देवस्थानम बोर्ड में शामिल किए गए 51 मंदिरों को बोर्ड से मुक्त कर दिया जाएगा और देवस्थानम बोर्ड के बारे में पुनर्विचार किया जाएगा। बता दें कि, बद्रीनाथ-केदारनाथ-यमुनोत्री और गंगोत्री सहित 51 तीर्थस्थल राज्य सरकार के प्रत्यक्ष नियंत्रण में थे।

त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चार धाम देवस्थानम प्रबंधन को दी थी स्वीकृति

 पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में गठित देवस्थानम बोर्ड हिमालयी चारधाम के नाम से प्रसिद्ध बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री सहित प्रदेश के 51 मंदिरों के गठन का प्रबंधन देखता है । राज्य विधानसभा में दिसंबर, 2019 में कानून के जरिए गठित देवस्थानम बोर्ड का साधु संत और तीर्थ पुरोहित पुरजोर विरोध कर रहे हैं और उनका मानना है कि इसकी वजह से उनके पारंपरिक अधिकार प्रभावित हो रहे हैं । तीर्थ पुरोहितों की यह भी शिकायत है कि उनके हितों को सीधे तौर पर प्रभावित करने वाले इस फैसले को लेने से पहले राज्य सरकार ने उन्हें विश्वास में भी नहीं लिया।

मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद तीरथ सिंह रावत ने कहा था कि देवस्थानम बोर्ड पर पुनर्विचार किया जाएगा। तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा तीर्थ पुरोहितों के हितो की रक्षा का बार-बार आश्वासन दिए जाने के बावजूद उन्होंने अपना आंदोलन नहीं छोड़ा। उनमें से कुछ लोगों ने वरिष्ठ भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी से संपर्क किया जिन्होंने मंदिरों पर नियंत्रण के राज्य सरकार के फैसले को उत्तराखंड उच्च न्यायालय में चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की। लेकिन, मुख्यमंत्री पद संभालने के तत्काल बाद तीरथ सिंह रावत ने कहा था कि देवस्थानम बोर्ड पर पुनर्विचार किया जाएगा और इस संबंध में सभी हितधारकों से बातचीत करने के बाद ही कोई निर्णय किया जाएगा।

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने यह भी कहा कि कुंभ मेले में संतों को भूमि आवंटित की जाएगी और अगले कुंभ मेले के लिए संतों को देने के लिए अभी से भूमि चिन्हित की जाएगी। उन्होंने संतों और श्रद्धालुओं से अपील की कि वे और उनके अनुयायी कोविड-19 के नियमों का पालन अवश्य करें ताकि वे स्वयं स्वस्थ रहें, समाज स्वस्थ रहें और लोग स्वस्थ रहें। 

 

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