Friday, April 26, 2024
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ISRO ने दी खुशखबरी, चांद पर है ऑक्सीजन, हाइड्रोजन की खोज जारी, जानें रोवर प्रज्ञान ने और क्या खोजा

चंद्रयान-3 मिशन के जरिए भारत ने एक और ऐतिहासिक कामयाबी हासिल की है। इसरो ने बताया कि चंद्रयान-3 के रोवर प्रज्ञान ने चांद पर ऑक्सीजन का पता लगाया है।

Malaika Imam Written By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Updated on: August 30, 2023 6:22 IST
चंद्रयान-3 मिशन- India TV Hindi
Image Source : PTI चंद्रयान-3 मिशन

भारत को चंद्रयान-3 मिशन के जरिए एक और ऐतिहासिक कामयाबी मिली है। इसरो (ISRO) ने 29 अगस्त को पूरी दुनिया को गुड न्यूज दी कि चंद्रयान-3 के रोवर प्रज्ञान ने चांद पर जीवन के लिए सबसे जरूरी माने जाने वाले तत्व ऑक्सीजन की खोज की है। रोवर ने चांद के साउथ पोल के करीब सल्फर मौजूद होने की पुष्टि भी की है। वहीं, चांद की सतह पर हाइड्रोजन की खोज जारी है।

साउथ पोल पर सल्फर मौजूद होने की पुष्टि

रोवर प्रज्ञान ने चांद पर ऑक्सीजन के साथ सल्फर, एल्युमिनियम, कैल्सियम, आयरन, क्रोमियम, टाइटैनियम, मैगनीज और सिलिकॉन का भी पता लगाया है। प्रज्ञान रोवर में लगे लेजर-इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS) डिवाइस के जरिए ऑक्सीजन खोजा गया। इसरो ने कहा, "चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर में लगे LIBS डिवाइस के जरिए साउथ पोल पर चांद की सतह की संरचना की पहली बार जांच की गई। इस दौरान साउथ पोल पर सल्फर (S) मौजूद होने की पुष्टि भी हुई है। इसरो ने कहा कि रोवर के स्पेक्ट्रोस्कोप ने उम्मीद के मुताबिक एल्यूमीनियम (A), कैल्शियम (C), आयरन (Fe), क्रोमियम (Cr), टाइटेनियम, मैंगनीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन का पता लगाया। फिलहाल हाइड्रोजन की खोज जारी है।

क्या है LIBS, कैसे करता है काम?

इसरो ने बताया कि LIBS  एक ऐसी वैज्ञानिक तकनीक है। इसके जरिए किसी मटैरियल को तीव्र लेजर पल्स के संपर्क में लाकर उनकी संरचना का विश्लेषण किया जाता है। जबरदस्त ऊर्जा वाली लेजर पल्स मटैरियल की सतह के एक हिस्से पर फोकस करती है। ये मटैरियल कोई चट्टान या मिट्टी भी हो सकती है। इस दौरान लेजर पल्स बहुत ज्यादा गर्मी और प्लाज्मा पैदा करती है, जो मटैरियल की बनावट बताती है।

ऑक्सीजन-सल्फर की खोज कैसे हुई?

लेजर पल्स का इस्तेमाल होता है, तो प्लाज्मा लाइट पैदा होती है, जिन्हें डिटेक्टर्स के जरिए डिटेक्ट किया जाता है। दरअसल, हर मटैरियल के प्लाज्मा वाली अवस्था में जाने पर एक खास तरह की लाइट निकलती है, जिसके आधार पर ये बताया जाता है कि उस मटैरियल में कौन-कौन से तत्व हैं। इस पूरी प्रक्रिया के तहत ही चांद के साउथ पोल की मिट्टी में ऑक्सीजन, सल्फर जैसे तत्वों को खोजा गया है।

 

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